नई दिल्लीः जब हम दुनिया के सबसे जटिल और लंबे समय से चले आ रहे संघर्षों की बात करते हैं, तो मिडिल ईस्ट का नाम सबसे पहले आता है. फिलिस्तीन मुद्दा और वहां की लगातार चल रही अशांति ने ना सिर्फ उस क्षेत्र को, बल्कि पूरी दुनिया को प्रभावित किया है. अब, इस समस्या को हल करने के लिए भारत ने अपनी आवाज़ उठाई है. न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत के स्थायी प्रतिनिधि, राजदूत हरीश पर्वथानेनी ने मिडिल ईस्ट में चल रहे संघर्षों पर अपनी चिंता जताई और शांति स्थापित करने के लिए युद्धविराम और बातचीत की जरूरत पर जोर दिया.
युद्धविराम और बातचीत का रास्ता
राजदूत हरीश ने कहा कि शांति स्थापित करने के लिए युद्धविराम एकमात्र रास्ता है. उनका मानना था कि युद्धविराम लागू करने से स्थिति में ठहराव आएगा और इसके बाद दोनों पक्षों के बीच बातचीत का माहौल बनेगा, जिससे वास्तविक समाधान तक पहुंचा जा सके. उन्होंने ये भी कहा कि इस संघर्ष में बंधकों की रिहाई अत्यंत महत्वपूर्ण है. युद्ध में फंसे निर्दोष नागरिकों और सैनिकों की रिहाई शांति की दिशा में पहला कदम हो सकती है.
मानवीय सहायता की आवश्यकता
हरिश जी ने इस बात पर जोर दिया कि मानवीय संकट को बढ़ने से रोकने के लिए जरूरी है कि मदद सही समय पर और सुरक्षित तरीके से उन तक पहुंचे. गाजा जैसी जगहों पर जहां स्थिति बहुत नाजुक है, वहां की सुरक्षा और सहायता बेहद महत्वपूर्ण हो जाती है. विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार, गाजा के 95% अस्पताल युद्ध की वजह से नष्ट हो चुके हैं, और लाखों बच्चे स्कूलों से वंचित हो चुके हैं. ऐसे में युद्धविराम के साथ-साथ इस प्रकार के मानवीय संकटों को हल करने के लिए तत्काल कदम उठाए जाने चाहिए.
भारत का दृष्टिकोण: सबको साथ लेकर चलना
भारतीय राजदूत ने यह स्पष्ट किया कि भारत हमेशा से सबको साथ लेकर चलता आया है. भारत की विदेश नीति शांति और कूटनीति पर आधारित रही है, और यही कारण है कि भारत इस संघर्ष के समाधान में किसी भी पक्ष को पीछे नहीं छोड़ने की अपनी प्रतिबद्धता पर अडिग है. युद्ध के मैदान में जहां विनाश और असहमति फैल रही है, वहीं भारत शांति और समाधान के रास्ते पर चलने का प्रयास कर रहा है.
संघर्ष का समाधान सिर्फ बातचीत में
युद्धविराम और मानवीय सहायता पर जोर देने के बाद, राजदूत हरीश ने यह भी कहा कि संघर्ष का समाधान सिर्फ बातचीत और कूटनीति में ही निहित है. उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि इस संघर्ष को समाप्त करने के लिए सभी पक्षों को एकजुट होकर समाधान पर बात करनी चाहिए. केवल कूटनीतिक संवाद ही इस समस्या का स्थायी हल दे सकता है.
आगे का रास्ता
राजदूत ने आगे कहा कि भारत हमेशा अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ मिलकर काम करने के लिए तैयार है. मिडिल ईस्ट में जो भी मानवीय पीड़ा हो रही है, उसे समाप्त करने के लिए भारत ने पहले भी मदद की है और आगे भी करता रहेगा. भारत का उद्देश्य है कि इस क्षेत्र में शांति की स्थिति कायम हो, ताकि वहां के लोग एक बेहतर भविष्य की ओर कदम बढ़ा सकें.
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