चीन में आएगी आफत! भारत के बाद एक और देश ने खरीदा 'सबसे खतरनाक हथियार', नाम सुनकर कांप उठेगा ड्रैगन!

    कोरिया गणराज्य नौसेना ने 3 जुलाई को औपचारिक रूप से P-8A पोसाइडन विमानों का संचालन शुरू कर दिया है.

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    प्रतीकात्मक तस्वीर | Photo: Freepik

    इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में सामरिक संतुलन लगातार बदल रहा है. अब इस रणनीतिक होड़ में दक्षिण कोरिया ने भी अपनी निगरानी और सुरक्षा क्षमता को नए स्तर पर पहुंचा दिया है. अमेरिका से प्राप्त अत्याधुनिक P-8 पोसाइडन समुद्री निगरानी विमानों की तैनाती के साथ दक्षिण कोरिया अब उन चुनिंदा देशों की कतार में शामिल हो गया है, जो चीन और उत्तर कोरिया की समुद्री गतिविधियों पर सतर्क नजर रखने में सक्षम हैं.

    दक्षिण कोरिया ने छह P-8A विमानों को सेवा में लिया

    दक्षिण कोरियाई समाचार एजेंसी योनहाप के मुताबिक, कोरिया गणराज्य नौसेना ने 3 जुलाई को औपचारिक रूप से P-8A पोसाइडन विमानों का संचालन शुरू कर दिया है. अमेरिका की विमान निर्माता कंपनी बोइंग से मंगवाए गए छह विमान जून 2024 तक दक्षिण कोरिया को मिल चुके थे. उसके बाद चालक दल और तकनीकी कर्मियों के लिए वर्षभर का प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाया गया. अब ये विमान पूरी तरह ऑपरेशनल घोषित कर दिए गए हैं.

    पुराने P-3 विमानों की जगह लेंगे P-8 पोसाइडन

    उत्तर कोरिया से बढ़ते खतरे को देखते हुए दक्षिण कोरिया ने यह कदम उठाया है. पुराने हो चुके P-3 विमानों की तुलना में P-8A पोसाइडन तकनीकी रूप से कहीं अधिक सक्षम हैं. यह विमान न केवल लंबी दूरी की समुद्री निगरानी में माहिर है, बल्कि पनडुब्बियों का पीछा करने, उन्हें नष्ट करने और शिप-वारफेयर मिशनों में भी बेहद प्रभावशाली प्रदर्शन करता है.

    "समुद्र दुश्मनों के लिए बनेगा कब्रगाह"

    दक्षिण कोरिया के पूर्व रक्षा मंत्री शिन वोन-सिक ने P-8A विमानों के आगमन पर कहा था, “ये विमान दुश्मन की पनडुब्बियों को कबाड़ में बदल देंगे. समुद्र दुश्मन के लिए नरक साबित होगा.” इस बयान से स्पष्ट है कि दक्षिण कोरिया इस विमान का उपयोग केवल उत्तर कोरिया पर नजर रखने के लिए ही नहीं, बल्कि क्षेत्र में चीन की बढ़ती समुद्री गतिविधियों को नियंत्रित करने के उद्देश्य से भी कर रहा है.

    भारत समेत कई देश पहले से कर रहे हैं इस्तेमाल

    P-8 पोसाइडन विमान पहले से ही भारत, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड जैसे इंडो-पैसिफिक देशों के बेड़े का हिस्सा है. भारत ने इसे न केवल समुद्री सीमाओं की निगरानी के लिए, बल्कि लद्दाख और डोकलाम जैसे संवेदनशील सीमाई इलाकों में भी तैनात किया है.

    2020 के गलवान संघर्ष और 2017 के डोकलाम विवाद के दौरान भारतीय वायुसेना ने इस विमान का इस्तेमाल रियल-टाइम इंटेलिजेंस जुटाने के लिए किया था. इसकी मदद से चीनी सैनिकों की गतिविधियों की लाइव मॉनिटरिंग संभव हो सकी थी.

    चीन की बढ़ती बेचैनी

    P-8 पोसाइडन विमान को चीन एक बड़े खतरे के रूप में देखता है. बीते वर्ष चीन ने अमेरिका पर आरोप लगाया था कि वह दक्षिण चीन सागर में P-8A के माध्यम से पनडुब्बी डिटेक्टर तैनात कर रहा है. यह दर्शाता है कि यह विमान चीन की रणनीतिक योजनाओं में सेंध लगा सकता है.

    साझा सुरक्षा के लिए सहयोग

    इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में P-8 पोसाइडन ऑपरेट करने वाले देशों के बीच सूचनाओं का साझा किया जाना इस प्रणाली को और अधिक प्रभावी बनाता है. कठिन परिस्थितियों में ये देश एक-दूसरे की क्षमताओं को पूरक बनाकर क्षेत्रीय सुरक्षा को मज़बूत करने में अहम भूमिका निभा सकते हैं.

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