पाकिस्तान का साथ देने वाले अजरबैजान के बूरे दिन शुरू! भारत ने उसके दुश्मन से की इन हथियारों की डील

    भारत के खिलाफ पाकिस्तान का समर्थन करने वाले कट्टर इस्लामिक मुल्क अजरबैजान को बड़ा झटका लगने वाला है.

    India signed arms deal with Azerbaijans enemy Armenia
    प्रतीकात्मक तस्वीर/Photo- ANI

    नई दिल्ली: दक्षिण काकेशस में भू-राजनीतिक संतुलन एक बार फिर बदलता नजर आ रहा है. भारत और अर्मेनिया के बीच एक नई रक्षा डील के तहत भारत अपने प्रमुख एयर डिफेंस सिस्टम 'आकाश-1S' के अपग्रेडेड वर्जन की 15 यूनिट अर्मेनिया को देने जा रहा है. यह सौदा न केवल दो देशों के द्विपक्षीय संबंधों को मजबूती देता है, बल्कि क्षेत्रीय सुरक्षा परिदृश्य को भी प्रभावित कर सकता है.

    इंडियन एयरोस्पेस डिफेंस न्यूज (IADN) की रिपोर्ट के मुताबिक, यह पहली बार है जब भारत का यह स्वदेशी रूप से विकसित एयर डिफेंस सिस्टम एक सक्रिय संघर्ष क्षेत्र में इस्तेमाल के लिए निर्यात किया जा रहा है.

    तुर्की और अजरबैजान की चिंता

    इस सौदे को लेकर अजरबैजान और उसके रणनीतिक सहयोगी तुर्किए में चिंता की लहर देखी जा रही है. अजर न्यूज के मुताबिक, अंकारा में तुर्की के पूर्व सैन्य अताशे ब्रिगेडियर जनरल (सेवानिवृत्त) यूसेल करोज ने इस सौदे पर प्रतिक्रिया दी. उनका मानना है कि यह सिस्टम तकनीकी रूप से रक्षात्मक है, लेकिन इसे विवादित परिस्थिति में खरीदा जाना एक राजनीतिक संदेश है, जो तनाव को और बढ़ा सकता है.

    उनके अनुसार, "यह सिस्टम अर्मेनिया को दुश्मन के ड्रोन, यूएवी, एसआईएचए और एयरक्राफ्ट को ट्रैक कर उन्हें नष्ट करने की क्षमता देता है. इसलिए, चाहे इसकी प्रकृति रक्षात्मक हो, लेकिन इसकी रणनीतिक अहमियत काफी अधिक है."

    आकाश-1S: DRDO की उपलब्धि

    भारत में विकसित आकाश-1S प्रणाली रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है. इसकी खासियतें इस प्रकार हैं:

    • 30 किलोमीटर तक मारक क्षमता
    • चार लक्ष्यों को एकसाथ ट्रैक और एंगेज करने की क्षमता
    • ड्रोन, क्रूज मिसाइल और फाइटर जेट्स को निशाना बनाने में सक्षम
    • 360 डिग्री कवरेज और मल्टी-टार्गेट ट्रैकिंग

    पिछले वर्षों में इस सिस्टम ने वास्तविक समय के खतरों से निपटने में भी अपनी विश्वसनीयता साबित की है, खासकर भारत-पाकिस्तान सीमा पर ड्रोन इंटरसेप्शन के मामलों में.

    अर्मेनिया और अजरबैजान के बीच विवाद

    नागोर्नो-काराबाख क्षेत्र को लेकर अर्मेनिया और अजरबैजान के बीच लंबे समय से विवाद चला आ रहा है. यह क्षेत्र अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अजरबैजान का हिस्सा माना जाता है, लेकिन ऐतिहासिक रूप से यहां बड़ी संख्या में ईसाई अर्मेनियाई लोग बसे हैं.

    • 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद नागोर्नो-काराबाख अजरबैजान को सौंपा गया था.
    • स्थानीय लोगों ने खुद को अर्मेनिया के करीब माना और स्वायत्तता की मांग की, जिससे तीव्र संघर्ष शुरू हुआ.
    • 2020 और 2023 में दोनों देशों के बीच फिर से संघर्ष छिड़ा, जिसमें अजरबैजान ने सैन्य बढ़त हासिल की.

    इस पूरे परिदृश्य में अर्मेनिया की सैन्य क्षमताओं को मजबूत करना अब उसकी रणनीतिक प्राथमिकता बन गया है.

    एक उभरती रक्षा साझेदारी

    भारत और अर्मेनिया के बीच रक्षा संबंध पिछले कुछ वर्षों में धीरे-धीरे गहरे हुए हैं. इससे पहले भी भारत ने अर्मेनिया को स्वदेशी पिनाका मल्टी-बैरल रॉकेट लॉन्चर और रडार सिस्टम की आपूर्ति की थी. अब ‘आकाश’ सिस्टम की बिक्री इस रक्षा सहयोग को नई ऊंचाइयों पर ले जा रही है.

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