पाक-चीन का हाइपरसोनिक वार होगा फेल! भारत अपने जिगरी दोस्त से लेगा ये खतरनाक हथियार, अमेरिका भी परेशान

    S 500 And Sukhoi 57 Deal For India: दुनिया की राजनीति और सामरिक समीकरणों में एक नया मोड़ आने वाला है. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन इस साल भारत दौरे पर आ रहे हैं, और यह केवल एक औपचारिक राजनयिक यात्रा नहीं होगी.

    India russia deal for s500 and sukhoi 57 on putin visit to bharat
    Image Source: ANI/ Freepik

    S 500 And Sukhoi 57 Deal For India: दुनिया की राजनीति और सामरिक समीकरणों में एक नया मोड़ आने वाला है. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन इस साल भारत दौरे पर आ रहे हैं, और यह केवल एक औपचारिक राजनयिक यात्रा नहीं होगी. यूक्रेन युद्ध के बाद यह पुतिन की पहली भारत यात्रा होगी, जहां चर्चा के केंद्र में दो अत्याधुनिक हथियार सिस्टम, सुखोई-57 फाइटर जेट और S-500 एयर डिफेंस सिस्टम होंगे.

    यह वही दौर है जब भारत “ऑपरेशन सिंदूर” जैसी सैन्य कार्रवाइयों के ज़रिए दुनिया को अपने एयर डिफेंस की ताकत दिखा चुका है. अब अगला कदम, S-500 के साथ खुद को भविष्य की जंगों के लिए तैयार करना है.

    दुश्मन का हर ‘कदम’ ज़मीन से अंतरिक्ष तक देखता है

    रूसी रक्षा उद्योग की सबसे उन्नत रचना, S-500 एयर डिफेंस सिस्टम, हाइपरसोनिक मिसाइलों से लेकर स्टील्थ फाइटर जेट्स और स्पेस सैटेलाइट्स तक को निशाना बना सकता है. इसमें ऐसी क्षमताएं हैं, जो S-400 से कई गुना आगे हैं.

    एंटी-एयरक्राफ्ट रेंज: 600 किलोमीटर

    बैलिस्टिक इंटरसेप्शन रेंज: 500 किलोमीटर

    रिएक्शन टाइम: मात्र 3 से 4 सेकंड (S-400 की तुलना में दोगुना तेज)

    इसके अलावा, S-500 का रडार सिस्टम इलेक्ट्रॉनिक जैमिंग से अप्रभावित रहता है और यह स्टील्थ फाइटर जेट को भी ट्रैक करने में सक्षम है, वो भी तब जब वह दुश्मन की नज़रों से पूरी तरह छिपा हो.

    भारत को चाहिए न सिर्फ सिस्टम, बल्कि तकनीक भी

    खास बात ये है कि रूस सिर्फ S-500 देने की पेशकश नहीं कर रहा, बल्कि इसके टेक्नोलॉजी ट्रांसफर में भी रुचि रखता है. अगर यह डील होती है, तो भारत न केवल खुद यह सिस्टम बना सकेगा, बल्कि दक्षिण एशिया, अफ्रीका और मिडिल ईस्ट के मित्र देशों को इसका निर्यात भी कर सकता है.

    रूस के लिए यह रणनीतिक साझेदारी इसलिए जरूरी है क्योंकि पश्चिमी प्रतिबंधों के चलते वह सीधे वैश्विक बाजार में सक्रिय नहीं हो पा रहा है. ऐसे में भारत जैसे साझेदार के साथ मिलकर वह अपनी तकनीक का लाभ उठाना चाहता है.

    ऑपरेशन सिंदूर में S-400 की सफलता ने दिखाई दिशा

    हाल ही में पाकिस्तान के खिलाफ किए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में भारत ने S-400 सिस्टम का इस्तेमाल कर पाकिस्तानी JF-17 फाइटर और मिसाइलों को सफलतापूर्वक मार गिराया था. चीन द्वारा दिए गए एयर डिफेंस सिस्टम इस हमले को रोकने में पूरी तरह नाकाम साबित हुए. ऐसे में अब भारत की रणनीति S-500 को अपनी अगली ढाल बनाना है।

    अमेरिका, चीन और पाकिस्तान में हलचल तय

    भारत-रूस के बीच संभावित S-500 डील को लेकर पश्चिमी देश और चीन पहले से ही सतर्क हैं. अमेरिका पहले ही भारत को रूस से तेल खरीद पर दंडात्मक कर लगाने की धमकी दे चुका है. वहीं चीन, जो रूस को यूक्रेन युद्ध में सहयोग दे रहा है, भारत के खिलाफ DF-21D और DF-26 जैसी हाइपरसोनिक मिसाइलों को सक्रिय रूप से तैनात कर रहा है.

    चीन की बढ़ती सैन्य भागीदारी पाकिस्तान के साथ भी चिंता का विषय है. ऐसे में S-500 जैसी टेक्नोलॉजी भारत को इन दोनों देशों की हरकतों का मुंहतोड़ जवाब देने में सक्षम बना सकती है.

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