रूस की Igla-S एयर डिफेंस मिसाइल, पाकिस्तान को चटकाने में भारत की करेगी मदद; कैसे बचें सोचेंगे शहबाज-मुनीर!

    जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने अपनी हवाई सुरक्षा प्रणाली को और मजबूत करने के लिए एक अहम कदम उठाया है. रूस से मंगाई गई इग्ला-एस एयर डिफेंस मिसाइलों की ताज़ा खेप अब भारतीय सीमाओं की रक्षा में अहम भूमिका निभाएगी.

    India Receive Igla s air defence missile from russia amid pahalgam attack
    Image Source: Social Media

    जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने अपनी हवाई सुरक्षा प्रणाली को और मजबूत करने के लिए एक अहम कदम उठाया है. रूस से मंगाई गई इग्ला-एस एयर डिफेंस मिसाइलों की ताज़ा खेप अब भारतीय सीमाओं की रक्षा में अहम भूमिका निभाएगी. सीमाओं पर कम ऊंचाई पर उड़ने वाले दुश्मन के ड्रोन और विमानों को रोकने में सक्षम ये मिसाइलें सेना और वायुसेना की त्वरित प्रतिक्रिया क्षमताओं को नई धार देंगी.

    इमरजेंसी डिफेंस डील के तहत हुआ 200 करोड़ रुपये का सौदा

    रक्षा मंत्रालय ने आपातकालीन खरीद (Emergency Procurement) के तहत लगभग 200 करोड़ रुपये की लागत से यह सौदा पूरा किया है. इससे पहले 2023 में सेना ने लगभग 260 करोड़ रुपये में 48 इग्ला-एस लॉन्चर, 100 मिसाइलें, 48 नाइट साइट्स और एक टेस्टिंग सेंटर का अनुबंध किया था. यह सौदा भारत की कम दूरी की वायु सुरक्षा को पुनर्संरचित और आधुनिक बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है.

    फ्रंटलाइन डिफेंस के लिए हाई अलर्ट पर सेना और वायुसेना

    रिपोर्ट्स के अनुसार, इग्ला-एस मिसाइल सिस्टम को तेजी से अग्रिम मोर्चों पर तैनात किया जा रहा है. साथ ही, सेना और वायुसेना मिलकर मोबाइल रडार यूनिट्स, स्वदेशी ड्रोन-नाशक सिस्टम और अतिरिक्त मिसाइल ऑर्डर्स के ज़रिए अपने हवाई प्रतिरोधी ढांचे को सशक्त बना रही हैं. इस कवायद को पड़ोसी देश के साथ बढ़ते तनाव के बीच भारत की सामरिक सतर्कता का संकेत माना जा रहा है.

    क्या है इग्ला-एस मिसाइल सिस्टम की खासियत?

    • कंधे से दागी जाने वाली मिसाइल: यह पोर्टेबल एयर डिफेंस सिस्टम किसी भी सैनिक द्वारा आसानी से कंधे पर रखकर संचालित किया जा सकता है.
    • वजन: पूरी प्रणाली का वजन लगभग 18 किलोग्राम जबकि मिसाइल का वजन करीब 10.8 किलोग्राम होता है.
    • लंबाई और विस्फोटक क्षमता: इसकी लंबाई 5.16 फीट है और यह 1.17 किलोग्राम विस्फोटक से लैस होती है.
    • स्पीड और रेंज: मिसाइल की गति लगभग 2,266 किलोमीटर प्रति घंटा है और यह 6 किलोमीटर की दूरी व 3.5 किलोमीटर ऊंचाई तक लक्ष्यों को भेद सकती है.
    • प्रभावशीलता: यह सिस्टम कम ऊंचाई पर उड़ने वाले विमान, हेलिकॉप्टर और ड्रोन्स को बेहद सटीकता से निशाना बना सकता है.

    रणनीतिक बढ़त की दिशा में अहम कदम

    इग्ला-एस सिस्टम 1990 के दशक से दुनिया भर की सेनाओं द्वारा इस्तेमाल किया जा रहा है, लेकिन भारत को मिला यह एडवांस वर्जन अधिक ताकतवर और आधुनिक तकनीकों से लैस है. इसकी तैनाती भारत को सीमाओं पर किसी भी हवाई हमले से निपटने के लिए अधिक तैयार बनाती है.

    यह भी पढ़ें: 'कश्मीर-गाजा का हल है जिहाद', पहलगाम हमले से पहले PoK में हमास की मीटिंग; फिर लश्कर कमांडर ने दिया था भड़काऊ बयान