अमेरिका का टैरिफ बेअसर! भारत ने बनाया रूसी तेल खरीद का रिकॉर्ड, क्यों नहीं हुआ ट्रंप की धमकी का असर?

    अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ और रूस पर कड़े प्रतिबंधों के बावजूद भारत और रूस के बीच ऊर्जा व्यापार पर इसका खास असर देखने को नहीं मिला है.

    India made a record in purchasing Russian oil US tariff ineffective
    प्रतिकात्मक तस्वीर/ ANI

    अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ और रूस पर कड़े प्रतिबंधों के बावजूद भारत और रूस के बीच ऊर्जा व्यापार पर इसका खास असर देखने को नहीं मिला है. हालिया आंकड़े बताते हैं कि भारत ने पिछले पांच महीनों में रूसी कच्चे तेल की रिकॉर्ड मात्रा खरीदी है. नवंबर महीने में भारत का रूस से कच्चा तेल आयात बढ़कर 2.6 अरब यूरो तक पहुंच गया, जो इस अवधि का सबसे ऊंचा स्तर है.

    रिपोर्ट्स के अनुसार, नवंबर में भारत का रूसी कच्चे तेल का आयात अक्टूबर की तुलना में करीब 4 प्रतिशत अधिक रहा. इस तेल का बड़ा हिस्सा भारतीय रिफाइनरियों में प्रोसेस किया गया और उससे तैयार पेट्रोल, डीजल और अन्य रिफाइंड ईंधन का निर्यात कई देशों को किया गया, जिसमें ऑस्ट्रेलिया प्रमुख गंतव्य रहा.

    चीन के बाद भारत दूसरा सबसे बड़ा खरीदार

    यूरोप स्थित थिंक टैंक सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (CREA) की रिपोर्ट के मुताबिक, नवंबर में रूस से कच्चे तेल की खरीद के मामले में भारत, चीन के बाद दूसरा सबसे बड़ा आयातक रहा. अक्टूबर में भारत ने रूस से लगभग 2.5 अरब यूरो का कच्चा तेल खरीदा था, जो नवंबर में और बढ़ गया.

    रिपोर्ट में बताया गया कि नवंबर के दौरान रूस के कुल कच्चे तेल निर्यात में:

    • 47 प्रतिशत हिस्सा चीन को गया
    • 38 प्रतिशत भारत को
    • 6 प्रतिशत तुर्किये को
    • 6 प्रतिशत यूरोपीय संघ को

    CREA के अनुसार, कुल आयात मात्रा लगभग स्थिर रही, लेकिन भारत की हिस्सेदारी बढ़ना यह दिखाता है कि रूसी तेल अब भी भारतीय बाजार के लिए बेहद अहम बना हुआ है.

    दिसंबर में और बढ़ सकती है खरीद

    CREA का अनुमान है कि दिसंबर में भी भारत द्वारा रूसी तेल की खरीद में बढ़ोतरी हो सकती है. इसकी एक बड़ी वजह यह है कि अमेरिका द्वारा नए प्रतिबंध लागू होने से पहले कई रूसी ऑयल टैंकर पहले ही रवाना हो चुके थे. इन शिपमेंट्स का फायदा भारतीय रिफाइनरियों को मिल सकता है.

    अमेरिकी प्रतिबंधों का सीमित असर

    अमेरिका ने 22 अक्टूबर को रूस की प्रमुख तेल कंपनियों रोसनेफ्ट और ल्यूकऑयल पर प्रतिबंध लगाए थे. इन प्रतिबंधों का उद्देश्य यूक्रेन युद्ध के चलते रूस की वित्तीय आपूर्ति को सीमित करना था.

    इन पाबंदियों के बाद भारत की कुछ निजी और संयुक्त उद्यम वाली रिफाइनरियों- जैसे रिलायंस इंडस्ट्रीज, एचपीसीएल, एचपीसीएल-मित्तल एनर्जी और मैंगलोर रिफाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड ने रूसी तेल का आयात अस्थायी रूप से कम या रोक दिया. हालांकि, सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां, खासकर इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन, अब भी गैर-प्रतिबंधित रूसी सप्लायर्स से तेल की खरीद जारी रखे हुए हैं.

    सरकारी तेल कंपनियों की खरीद में तेज उछाल

    CREA की रिपोर्ट के मुताबिक, जहां निजी तेल कंपनियों के आयात में नवंबर के दौरान हल्की गिरावट देखी गई, वहीं सरकारी तेल कंपनियों ने रूसी कच्चे तेल की खरीद में करीब 22 प्रतिशत की बढ़ोतरी की.

    भारत, जो दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक देश है, यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से रूस से रियायती दरों पर तेल खरीदने वाले सबसे बड़े ग्राहकों में शामिल हो गया है. एक समय भारत के कुल तेल आयात में रूसी तेल की हिस्सेदारी एक प्रतिशत से भी कम थी, जो अब बढ़कर लगभग 40 प्रतिशत तक पहुंच गई है.

    घरेलू खपत के साथ बड़े पैमाने पर निर्यात

    हालांकि नवंबर में रूस की हिस्सेदारी में थोड़ी गिरावट आई, फिर भी उसने भारत की कुल कच्चे तेल आपूर्ति में करीब 35 प्रतिशत योगदान दिया. इस कच्चे तेल को भारतीय रिफाइनरियों में प्रोसेस कर घरेलू जरूरतों को पूरा किया गया, साथ ही बड़ी मात्रा में रिफाइंड ईंधन का निर्यात भी किया गया.

    CREA के अनुसार, नवंबर में भारत और तुर्किये की छह रिफाइनरियों ने कुल 807 मिलियन यूरो मूल्य का रिफाइंड ईंधन निर्यात किया. इनमें से:

    • 465 मिलियन यूरो यूरोपीय संघ
    • 110 मिलियन यूरो अमेरिका
    • 51 मिलियन यूरो ब्रिटेन
    • 150 मिलियन यूरो ऑस्ट्रेलिया
    • 31 मिलियन यूरो कनाडा

    को भेजा गया.

    रूसी कच्चे तेल से बने ईंधन की वैश्विक मांग

    इन निर्यातों में से लगभग 301 मिलियन यूरो मूल्य के रिफाइंड उत्पाद रूसी कच्चे तेल से तैयार किए गए थे. रिपोर्ट के मुताबिक, नवंबर में ऑस्ट्रेलिया को भारत से ईंधन निर्यात में 69 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई, जो पूरी तरह गुजरात स्थित जामनगर रिफाइनरी से हुआ.

    इसके अलावा, कनाडा ने भी आठ महीनों के अंतराल के बाद पहली बार रूसी कच्चे तेल से बने रिफाइंड ईंधन की खेप प्राप्त की.

    ये भी पढ़ें- मैक्सिको ने सिर्फ भारत ही नहीं इन देशों पर भी लगाया है टैरिफ, किसे होगा ज्यादा नुकसान?