चीन, पाकिस्तान, तुर्की, अजरबैजान... दुश्मनों के लिए भारत ने बनाया ब्लैक सी कॉरिडोर प्लान, जानें

    आधुनिक वैश्विक भू-राजनीतिक परिदृश्य में जब शक्ति संतुलन एशिया से यूरेशिया की ओर बढ़ रहा है, ऐसे समय में भारत की मल्टी-वेक्टर विदेश नीति भी एक निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुकी है.

    India made a Black Sea Corridor plan for its enemies
    प्रतीकात्मक तस्वीर/Photo- Internet

    येरेवन (आर्मेनिया): आधुनिक वैश्विक भू-राजनीतिक परिदृश्य में जब शक्ति संतुलन एशिया से यूरेशिया की ओर बढ़ रहा है, ऐसे समय में भारत की मल्टी-वेक्टर विदेश नीति भी एक निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुकी है. इसी कड़ी में ब्लैक सी कॉरिडोर जैसी परियोजनाएं भारत के लिए केवल भौगोलिक संपर्क नहीं, बल्कि एक रणनीतिक परिकल्पना बनकर उभर रही हैं.

    इस दिशा में एक अहम कदम सामने आया है — आर्मेनिया द्वारा भारत के ब्लैक सी कॉरिडोर प्रोजेक्ट को समर्थन देना. यह समर्थन सिर्फ कूटनीतिक नहीं, बल्कि एक बड़े भू-राजनीतिक समीकरण में भारत की भूमिका को मजबूत करने का मंच भी बन रहा है, खासकर तब जब चीन, तुर्की, अजरबैजान और पाकिस्तान जैसे शक्तिशाली गठबंधनों की जटिलता यूरेशिया क्षेत्र को प्रभावित कर रही है.

    भारत-आर्मेनिया साझेदारी: मजबूत होती मित्रता

    • बीते कुछ वर्षों में भारत और आर्मेनिया के संबंधों में अप्रत्याशित प्रगति देखने को मिली है.
    • 2022 में भारत, रूस को पीछे छोड़ते हुए, आर्मेनिया का सबसे बड़ा रक्षा आपूर्तिकर्ता बना.
    • ईरान-इजरायल संघर्ष के दौरान भारत ने अपने नागरिकों को सुरक्षित निकालने के लिए आर्मेनिया के रास्ते का उपयोग किया — यह भरोसे की बुनियाद है.
    • ऑपरेशन सिंदूर जैसे अभियानों में आर्मेनिया ने भारत का खुलकर समर्थन किया.

    इन पहलुओं ने भारत को यह समझने का अवसर दिया है कि यदि यूरेशिया में एक विश्वसनीय रणनीतिक सहयोगी की जरूरत है, तो आर्मेनिया एक प्राकृतिक भागीदार बनकर उभरता है.

    ब्लैक सी कॉरिडोर: भारत की वैश्विक नीति का नया आधार

    ब्लैक सी कॉरिडोर की परिकल्पना, भारत को मध्य एशिया, कॉकस, और यूरोप से जोड़ने का एक भू-सामरिक और आर्थिक पुल प्रदान कर सकती है. इस मार्ग में प्रमुख पड़ाव होंगे — ईरान, आर्मेनिया, जॉर्जिया और अंत में ब्लैक सी के रास्ते यूरोप.

    इस परियोजना के लाभ:

    • चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के विकल्प के रूप में भारत की भूमिका.
    • रूस-यूक्रेन युद्ध से बाधित पारंपरिक रूट्स के विकल्प की तलाश में भारत की सक्रियता.
    • INSTC (North–South Transport Corridor) का स्वाभाविक विस्तार.

    रणनीतिक विशेषज्ञ एन्वार्ड चालिक्यान ने फर्स्टपोस्ट से कहा, "अगर भारत यूरोप तक एक वैकल्पिक मार्ग चाहता है जो तुर्की और अजरबैजान से होकर न गुजरे, तो ईरान, आर्मेनिया और जॉर्जिया के रास्ते ब्लैक सी सबसे उपयुक्त मार्ग है."

    वास्तविकता: प्रतिबंध और भू-राजनीतिक उलझनें

    हालांकि इस योजना में कई व्यावहारिक अड़चनें भी हैं:

    • ईरान पर पश्चिमी प्रतिबंध परियोजना को आर्थिक और कानूनी चुनौतियों में डाल सकते हैं.
    • अपर्याप्त अवसंरचना (rail connectivity, सड़क नेटवर्क) अब भी प्रगति की राह में रोड़े हैं.
    • चीन और अजरबैजान द्वारा इस क्षेत्र में हो रहे भारी निवेश और उनका प्रभुत्व भी भारत की संभावनाओं को चुनौती देता है.

    फिर भी, भारत और आर्मेनिया दोनों के लिए यह अवसर इतना रणनीतिक रूप से लाभकारी है कि दोनों देश इस दिशा में अपने-अपने कूटनीतिक प्रयासों से आगे बढ़ने को तैयार हैं.

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