'10% टैरिफ हटाएं और 9 जुलाई से प्रस्तावित शुल्क भी रद्द करें', भारत ने ट्रंप प्रशासन के सामने रखी कड़ी शर्त

    India and US Tariff: भारत और अमेरिका के बीच चल रही व्यापारिक बातचीत का केंद्र इन दिनों अमेरिकी बेसलाइन टैरिफ बना हुआ है. अप्रैल 2025 से ट्रंप प्रशासन द्वारा लागू किए गए 10% टैरिफ और आगामी 16% अतिरिक्त शुल्क ने भारत-अमेरिका व्यापार समझौते की दिशा को चुनौतीपूर्ण बना दिया है.

    India Demand America to remove  10 percent tarif on india
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    India and US Tariff: भारत और अमेरिका के बीच चल रही व्यापारिक बातचीत का केंद्र इन दिनों अमेरिकी बेसलाइन टैरिफ बना हुआ है. अप्रैल 2025 से ट्रंप प्रशासन द्वारा लागू किए गए 10% टैरिफ और आगामी 16% अतिरिक्त शुल्क ने भारत-अमेरिका व्यापार समझौते की दिशा को चुनौतीपूर्ण बना दिया है. भारत ने इन शुल्कों को "अनुचित" बताते हुए अमेरिकी उत्पादों पर जवाबी शुल्क जारी रखने की चेतावनी दी है.

    अमेरिका से भारत की दो टूक मांग

    वार्ता से जुड़े सूत्रों के अनुसार, भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने अमेरिकी टीम से साफ कहा है कि यदि अमेरिका टैरिफ वापस नहीं लेता तो भारत को भी अमेरिकी वस्तुओं पर मिलाकर 26% तक का शुल्क जारी रखने का अधिकार रहेगा. भारत ने यह भी स्पष्ट किया कि अगर कोई समझौता होता है, तो टैरिफ दोनों देशों द्वारा एकसाथ हटाए जाने चाहिए.

    दिल्ली में चल रही है पांचवें दौर की वार्ता

    4 जून को अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि ब्रेंडन लिंच के नेतृत्व में एक उच्च स्तरीय अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल भारत पहुंचा है. इस बार की बातचीत 10 जून तक जारी रहेगी. यह इस विषय पर पांचवीं दौर की औपचारिक वार्ता है और भारत की कोशिश है कि 9 जुलाई से पहले कोई प्रारंभिक समझौता ("Early Harvest Deal") हो जाए ताकि अतिरिक्त शुल्कों के खतरे को टाला जा सके.

    पीएम मोदी और ट्रंप की मुलाकात का संदर्भ

    भारत इस मुद्दे पर 13 फरवरी को पीएम मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप के बीच हुई मुलाकात और साझा बयान का हवाला दे रहा है, जिसमें "न्यायपूर्ण और परस्पर लाभकारी व्यापार" की बात कही गई थी. इसके तहत वर्ष 2030 तक 500 अरब डॉलर तक के द्विपक्षीय व्यापार का लक्ष्य रखा गया है.

    "भारत तैयार, बशर्ते अमेरिका भी समान भावना दिखाए"

    वार्ता में शामिल एक अधिकारी के अनुसार, भारत अपने बाजार को अमेरिकी उत्पादों के लिए और खोलने को तैयार है, लेकिन वह ऐसा सिर्फ समानता और संतुलन के आधार पर ही करेगा. उन्होंने कहा, “हमारा व्यापार पूरक है, प्रतिस्पर्धी नहीं. कोई भी समझौता तभी सफल होगा जब वह संतुलित और जनता को स्वीकार्य हो.”

    ब्रिटेन-अमेरिका डील से ली सीख

    भारत ने इस संदर्भ में ब्रिटेन और अमेरिका के बीच हुई ‘इकोनॉमिक प्रॉस्पेरिटी डील’ (EPD) का उदाहरण भी रखा. भारत ने साफ किया कि वह उस तरह का कोई समझौता नहीं चाहेगा जिसमें बेसलाइन टैरिफ बरकरार रहें. भारत चाहता है कि अमेरिका की ओर से भी वैसी ही रियायतें मिलें जैसी वह खुद दे रहा है.

    मंत्री गोयल की अमेरिकी यात्रा का असर

    वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल की अमेरिका यात्रा (17-22 मई) का असर भी इन वार्ताओं पर स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है. अमेरिका में उनकी यूएस ट्रेड रिप्रजेंटेटिव जैमीसन ग्रीर और कॉमर्स सेक्रेटरी हॉवर्ड लटनिक से हुई बैठकें अब इस मसले को नई दिशा देने में मदद कर रही हैं.

    जुलाई तक एक शुरुआती समझौते की उम्मीद

    दोनों देशों के बीच सितंबर-अक्टूबर 2025 तक एक व्यापक द्विपक्षीय व्यापार समझौता (BTA) तैयार करने की योजना है. लेकिन उससे पहले, जुलाई में प्रस्तावित टैरिफ से बचने के लिए एक त्वरित समझौते पर पहुंचना जरूरी है. वार्ता अब निर्णायक मोड़ पर है और आने वाले कुछ दिन बेहद अहम माने जा रहे हैं.

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