ट्रंप को सबक सिखाएगा भारत-चीन! SCO में PM Modi होंगे शामिल तो गदगद हुआ ड्रैगन

    PM Modi China Visit: दुनिया की नजरें एक बार फिर एशिया की दो बड़ी ताकतों, भारत और चीन पर टिकी हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 31 अगस्त से 1 सितंबर तक चीन के तियानजिन में आयोजित होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे.

    India-China will teach Trump a lesson Dragon is elated when PM Modi will join SCO
    Image Source: ANI/ File

    PM Modi China Visit: दुनिया की नजरें एक बार फिर एशिया की दो बड़ी ताकतों, भारत और चीन पर टिकी हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 31 अगस्त से 1 सितंबर तक चीन के तियानजिन में आयोजित होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे. इस बहुप्रतीक्षित यात्रा को लेकर अंतरराष्ट्रीय मंच पर चर्चाएं तेज हो गई हैं, खासकर इसलिए क्योंकि यह गलवान घाटी में 2020 में हुए संघर्ष के बाद पीएम मोदी की पहली चीन यात्रा होगी.

    चीन ने औपचारिक रूप से प्रधानमंत्री मोदी का स्वागत किया है. चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ जियाकुन ने शुक्रवार को कहा, “चीन प्रधानमंत्री मोदी का SCO तियानजिन समिट में स्वागत करता है. हमें विश्वास है कि सभी पक्षों के सहयोग से यह सम्मेलन सकारात्मक और एकजुटता का संदेश देगा.”

    2020 की तल्ख़ यादें और आज की उम्मीदें

    2018 के बाद यह पीएम मोदी की पहली चीन यात्रा है. लेकिन इसकी अहमियत केवल एक सम्मेलन तक सीमित नहीं है. 2020 में गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद दोनों देशों के रिश्तों में काफी तनाव आ गया था. राजनयिक संवाद जारी रहने के बावजूद, विश्वास की कमी साफ नजर आती रही है. अब यह यात्रा दोनों देशों के संबंधों में एक नई शुरुआत के रूप में देखी जा रही है.

    कूटनीतिक तैयारी पहले से जारी

    इससे पहले जून में भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने SCO की मंत्रीस्तरीय बैठकों में भाग लिया था. जयशंकर की बीजिंग में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात भी इसी क्रम में महत्वपूर्ण मानी जा रही है, जहां उन्होंने नेतृत्व स्तर की भूमिका को फिर से मजबूत करने की बात कही थी.

    जापान से सीधे तियानजिन

    प्रधानमंत्री मोदी 30 अगस्त को जापान की यात्रा करेंगे और वहां से सीधे तियानजिन पहुंचेंगे. यह दो दिवसीय दौरा केवल SCO एजेंडे तक सीमित नहीं है — इसे भारत-चीन द्विपक्षीय संबंधों के नए अध्याय के लिए भी एक अवसर के रूप में देखा जा रहा है.

    अमेरिकी दबाव और एशियाई संतुलन

    यह सम्मेलन ऐसे समय पर हो रहा है जब अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध फिर से तेज हो गया है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए 50% टैरिफ से वैश्विक आर्थिक असंतुलन की स्थिति बनी हुई है. ऐसे में भारत की भूमिका एक संतुलनकारी शक्ति के रूप में उभर सकती है, और यह सम्मेलन उसी रणनीतिक पृष्ठभूमि में हो रहा है.

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