पाकिस्तान में प्रलय लाएगी भारत की ये मिसाइल, इसके वार से इस्लामाबाद में पसरेगा मातम; शहबाज़ बेचैन!

    भारत-पाकिस्तान के बीच चल रहे तनाव के बीच भारतीय सेना ने अपनी मारक क्षमता को और बढ़ाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है. सेना पहले ही ‘प्रलय’ नामक टैक्टिकल मिसाइल के कुछ यूनिट्स को अपने बेड़े में शामिल कर चुकी है और अब इसके और अधिक यूनिट्स खरीदने की तैयारी कर रही है.

    India Boost Pralay Missile amid pahalgam tension
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    भारत-पाकिस्तान के बीच चल रहे तनाव के बीच भारतीय सेना ने अपनी मारक क्षमता को और बढ़ाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है. सेना पहले ही ‘प्रलय’ नामक टैक्टिकल मिसाइल के कुछ यूनिट्स को अपने बेड़े में शामिल कर चुकी है और अब इसके और अधिक यूनिट्स खरीदने की तैयारी कर रही है. यह फैसला ऐसे वक्त में आया है जब दोनों पड़ोसी देशों के बीच सैन्य तनाव अपने चरम पर है और भविष्य में किसी भी हालात के लिए तैयार रहना जरूरी हो गया है.

    क्या है प्रलय मिसाइल और क्यों है ये खास?

    ‘प्रलय’ एक स्वदेशी रूप से विकसित क्वाज़ी-बैलिस्टिक मिसाइल है, जिसे DRDO (रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन) ने तैयार किया है. इसकी मारक दूरी 150 से 500 किलोमीटर तक है और यह लगभग 1000 किलोग्राम का वॉरहेड ले जा सकती है. इसकी सबसे बड़ी ताकत है इसका अनपेक्षित और टेढ़ा-मेढ़ा उड़ान मार्ग. इसका मतलब ये है कि यह मिसाइल बीच उड़ान में दिशा बदल सकती है, जिससे दुश्मन के रडार और एयर डिफेंस सिस्टम को इसे पहचानना और रोकना मुश्किल हो जाता है.

    रात के अंधेरे में भी कर सकती है हमला

    ‘प्रलय’ मिसाइल की खासियत सिर्फ दिन में हमला करने तक सीमित नहीं है. इसमें ऐसे सेंसर लगे हैं जो रात में भी निशाना लगाने में सक्षम हैं. इसमें इंफ्रारेड और थर्मल स्कैनिंग तकनीक का इस्तेमाल किया गया है, जो इसे किसी भी समय, किसी भी मौसम में हमला करने में सक्षम बनाती है.

    तैनाती और उपयोगिता

    यह मिसाइल ट्रक-बेस्ड है, जिसे कहीं भी ले जाकर तैनात किया जा सकता है. सेना की योजना इसे पश्चिमी (पाकिस्तान) और उत्तरी (चीन) सीमाओं पर तैनात करने की है. इससे दुश्मन के कमांड सेंटर्स, लॉजिस्टिक बेस और हथियार डिपो जैसे अहम ठिकानों पर तेज़ और सटीक हमला संभव होगा, वो भी बिना परमाणु हथियार के इस्तेमाल के.

    तकनीक की विरासत और आत्मनिर्भर भारत की झलक

    प्रलय को पृथ्वी-2, पृथ्वी-3 और प्रहार जैसी मिसाइलों की तकनीक को मिलाकर विकसित किया गया है. यह भारत के मिसाइल प्रोग्राम की परिपक्वता का प्रमाण है. इसका विकास 2015 में शुरू हुआ था और 2025 की गणतंत्र दिवस परेड में इसे पहली बार सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित किया गया.

    सेना और वायुसेना का भरोसा, 370 मिसाइलों का ऑर्डर

    अब तक भारतीय थल सेना और वायुसेना मिलाकर 370 से अधिक प्रलय मिसाइलों का ऑर्डर दे चुके हैं. इसका इस्तेमाल दुश्मन पर तीव्र हमला करने के लिए किया जाएगा ताकि भारत की 'नो फर्स्ट यूज़' परमाणु नीति बनी रहे और साथ ही रणनीतिक बढ़त भी कायम हो.

    ब्रह्मोस से अलग, लेकिन उतनी ही घातक

    जहां ब्रह्मोस दुश्मन पर सटीक और चुपचाप हमला करने के लिए जानी जाती है, वहीं ‘प्रलय’ दुश्मन के ठिकानों पर एक ताकतवर झटका देने में सक्षम है. यह भारतीय सेना की आर्टिलरी यूनिट्स में शामिल होकर उसे एक नई शक्ति प्रदान करेगी.

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