FPV, नैनो, मिनी UAV... ड्रोन तकनीक में भारत बना विश्व शक्ति, ऑपरेशन सिंदूर में दुनिया ने देखी ताकत

    भारतीय सेना के हालिया सैन्य अभियान "ऑपरेशन सिंदूर" ने दुनिया को न केवल भारत की रणनीतिक सूझबूझ का परिचय दिया, बल्कि यह भी सिद्ध कर दिया कि भारत अब पारंपरिक युद्ध से कहीं आगे बढ़कर "टेक्नोलॉजी-संचालित युद्धक्षेत्र" की ओर सफलतापूर्वक बढ़ रहा है.

    India became a world power in drone technology
    प्रतीकात्मक तस्वीर/Photo- FreePik

    नई दिल्ली: भारतीय सेना के हालिया सैन्य अभियान "ऑपरेशन सिंदूर" ने दुनिया को न केवल भारत की रणनीतिक सूझबूझ का परिचय दिया, बल्कि यह भी सिद्ध कर दिया कि भारत अब पारंपरिक युद्ध से कहीं आगे बढ़कर "टेक्नोलॉजी-संचालित युद्धक्षेत्र" की ओर सफलतापूर्वक बढ़ रहा है. इस अभियान में जिस आधुनिक ड्रोन तकनीक और काउंटर-ड्रोन सिस्टम का उपयोग किया गया, उसने भारत की सैन्य शक्ति की एक नई और उन्नत तस्वीर पेश की.

    पिछले कुछ वर्षों में, भारत ने तेजी से सैन्य क्षेत्र में टेक्नोलॉजिकल अपग्रेडेशन किया है और आज देश की सेना के पास वो ड्रोन क्षमताएं हैं जो पहले सिर्फ विकसित देशों तक सीमित थीं. ऑपरेशन सिंदूर में इसका पहला सार्वजनिक प्रदर्शन देखने को मिला, और यह स्पष्ट हो गया कि भारत अब ड्रोन युद्ध कौशल में दुनिया की अग्रणी सेनाओं में गिना जा सकता है.

    ड्रोन युद्ध में भारत की आत्मनिर्भर छलांग

    भारतीय सेना ने पिछले 3-4 वर्षों में स्वदेशी रूप से विकसित और स्वदेश में खरीदे गए अनेक प्रकार के ड्रोन अपने शस्त्रागार में जोड़े हैं, जिनमें शामिल हैं:

    • FPV (First Person View) ड्रोन
    • स्वॉर्म ड्रोन (झुंड में हमला करने वाले)
    • नैनो और मिनी UAVs
    • लॉजिस्टिक ड्रोन
    • टीथर्ड सर्विलांस ड्रोन
    • लोइटरिंग म्यूनिशन (घूमते हुए आत्मघाती ड्रोन)
    • रिमोटली पायलटेड एयरक्राफ्ट सिस्टम (RPAS)

    इन सभी को भारतीय सेना के ड्रोन कोर में व्यवस्थित ढंग से इंटीग्रेट किया गया है. इनका संचालन न केवल युद्धभूमि में निगरानी और हमला करने के लिए होता है, बल्कि सीमावर्ती क्षेत्रों में निरंतर ट्रैकिंग, आतंकवादी मूवमेंट की पहचान और लॉजिस्टिक सपोर्ट के लिए भी किया जाता है.

    FPV ड्रोन: शक्तिशाली हथियार

    FPV ड्रोन यानी First Person View ड्रोन, ऑपरेटर को ऐसा दृश्य प्रदान करता है मानो वह ड्रोन में बैठकर उसे उड़ा रहा हो. यह तकनीक उन मिशनों के लिए बेहद प्रभावी है जिनमें सटीक टारगेटिंग और हाई-स्पीड इंटरसेप्शन की जरूरत होती है.

    सेना के अधिकारियों के मुताबिक, इस प्रकार के ड्रोन का प्रशिक्षण अब सभी संबंधित फील्ड फॉर्मेशन्स, प्रशिक्षण स्कूलों और टेक्निकल इकाइयों में स्टैंडर्ड प्रैक्टिस का हिस्सा बन चुका है. इसके लिए ओईएम (Original Equipment Manufacturer) और डिफेंस इंस्टीट्यूशंस के बीच सहयोग से विशेष पाठ्यक्रम तैयार किए गए हैं.

    काउंटर ड्रोन टेक्नोलॉजी: टैंकों की ढाल

    ड्रोन हमलों की बढ़ती संख्या ने यह आवश्यक बना दिया है कि रक्षा प्रणाली में काउंटर-ड्रोन क्षमताएं भी जोड़ी जाएं. भारत ने इस मोर्चे पर भी गंभीरता से कार्य शुरू कर दिया है.

    सेना अब अपने T-90 और T-72 टैंकों को प्लेटफॉर्म-बेस्ड काउंटर ड्रोन सिस्टम्स से लैस करने जा रही है.

    स्वदेशी विकास पर ज़ोर

    ‘मेक इन इंडिया’ पहल के अंतर्गत, सेना ने देश की रक्षा कंपनियों और सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों से ऐसे सिस्टम्स के लिए प्रस्ताव मंगाए हैं, जो ड्रोन की पहचान (detection) से लेकर सॉफ्ट किल (electronic jamming) और हार्ड किल (फिजिकल डिस्ट्रक्शन) क्षमताओं से लैस हों.

    टैंकों की गतिशीलता पर असर न पड़े

    सेना की प्राथमिक शर्त है कि यह सिस्टम टैंकों में इस तरह से इंटीग्रेट किया जाए कि उनकी चाल, फायर पावर या युद्धक क्षमता पर कोई असर न पड़े.

    ऑपरेशन सिंदूर में ड्रोन तकनीक प्रयोग

    ऑपरेशन सिंदूर में आतंकियों के सात ठिकानों को आर्टिलरी और ड्रोन तकनीक के संयुक्त उपयोग से ध्वस्त किया गया.

    लॉइटरिंग म्यूनिशन, यानी सुसाइड ड्रोन, को उन ठिकानों पर भेजा गया जो मानचित्र पर सटीक रूप से चिह्नित थे और जहां दुश्मन की सक्रियता लगातार देखी जा रही थी.

    इन ड्रोन ने बिना सीमा लांघे 30 किमी दूर पीओके (पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर) और सियालकोट जैसे क्षेत्रों में स्थित लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिद्दीन के ठिकानों को नष्ट किया.

    ये प्रहार इतने सटीक और विनाशकारी थे कि इनमें इस्तेमाल हुए एम-777 हॉवित्जर से छोड़े गए प्रिसिशन म्यूनिशन और ड्रोन तकनीक की कॉम्बिनेशन ने दुश्मन को संभलने का कोई मौका नहीं दिया.

    डिजिटल युद्ध का भविष्य: भारत तैयार है

    ड्रोन युद्ध केवल आधुनिकता का प्रतीक नहीं, बल्कि भविष्य का युद्ध सिद्धांत है. भारत की सेना अब इस दिशा में तेजी से आगे बढ़ रही है. भारत के पास पहले से मौजूद स्पेस बेस्ड निगरानी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस-संचालित सिस्टम, और अब ड्रोन व काउंटर-ड्रोन क्षमताओं के साथ, सेना अगली पीढ़ी की युद्ध रणनीति के लिए पूरी तरह तैयार है.

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