भारत के साथ मिलकर मिसाइल बनाएगा जापान, 2030 में होगी लॉन्च; बचने का रास्ता खोजता रहेगा पाकिस्तान!

    भारत और जापान के बीच रणनीतिक रक्षा साझेदारी एक नए मोड़ पर पहुंच चुकी है. दोनों देश अब मिलकर अगली पीढ़ी की एयर-टू-एयर मिसाइल विकसित करने की योजना पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं.

    India and Japan will develop visual range air missile bvraam will launch in 2030
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    भारत और जापान के बीच रणनीतिक रक्षा साझेदारी एक नए मोड़ पर पहुंच चुकी है. दोनों देश अब मिलकर अगली पीढ़ी की एयर-टू-एयर मिसाइल विकसित करने की योजना पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं. यह मिसाइल 300 किलोमीटर से अधिक रेंज वाली होगी और भविष्य के लड़ाकू विमानों के लिए बेहद उपयोगी मानी जा रही है.

    यह प्रस्तावित मिसाइल परियोजना भारत के एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) और जापान के ग्लोबल कॉम्बैट एयर प्रोग्राम (GCAP) के तहत तैयार हो रहे फाइटर जेट्स को ध्यान में रखते हुए डिजाइन की जा रही है.

    क्यों है यह मिसाइल आवश्यक?

    चीन की बढ़ती सैन्य ताकत और उसकी लंबी दूरी की मिसाइल क्षमताएं, खासकर PL-16 (200-250 किमी) और PL-17 (400 किमी) जैसी मिसाइलें, भारत और जापान के लिए एक रणनीतिक चुनौती बन चुकी हैं. इन मिसाइलों की मदद से चीन दुश्मन के AWACS (हवाई चेतावनी और नियंत्रण प्रणाली) और टैंकर विमानों को काफी दूरी से ही निशाना बना सकता है. ऐसे में भारत और जापान को एक ऐसी मिसाइल की जरूरत है जो इन खतरों का जवाब दे सके और लंबी दूरी से भी सटीकता के साथ हमला कर सके.

    भारत और जापान की मौजूदा मिसाइल क्षमता

    भारत

    • अस्त्र Mk-I: 110 किमी रेंज — पहले से वायुसेना में सेवा में.
    • अस्त्र Mk-II: 160 किमी रेंज — परीक्षण प्रक्रिया में, 2025 तक शामिल होने की उम्मीद.
    • अस्त्र Mk-III (गांडिव): 340 किमी रेंज — 2030 तक सेवा में शामिल किया जा सकता है.

    जापान

    AAM-4TDR: करीब 160-170 किमी रेंज — वर्तमान में प्रमुख एयर-टू-एयर मिसाइल, लेकिन चीन की नई तकनीकों के मुकाबले कमजोर मानी जाती है.

    रक्षा सहयोग की नई दिशा

    भारत और जापान के बीच सैन्य सहयोग पहले से ही कई क्षेत्रों में मजबूत हो रहा है. हाल ही में भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान द्वारा गिराई गई चीनी PL-15E मिसाइल से जुड़े ECCM (इलेक्ट्रॉनिक काउंटर-काउंटरमेजर्स) डेटा को जापान के साथ साझा किया. यह सहयोग दोनों देशों के बीच तकनीकी और खुफिया साझेदारी की गहराई को दर्शाता है.

    2030 तक लॉन्च हो सकती है नई मिसाइल

    अगर सब कुछ योजना के अनुसार चलता है, तो यह संयुक्त रूप से विकसित की जाने वाली बियॉन्ड-विजुअल-रेंज एयर-टू-एयर मिसाइल (BVRAAM) वर्ष 2030 तक तैयार हो सकती है. यह मिसाइल न सिर्फ दोनों देशों की वायुसेना को तकनीकी बढ़त देगी, बल्कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शक्ति संतुलन को बनाए रखने में भी एक अहम भूमिका निभाएगी.

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