"बकरे की अम्मा कब तक खैर मनाएगी", पाकिस्तान पर फिट बैठती है ये कहावत, 2 साल बाद होगी सच, जानें कैसे?

    भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा पर तनाव कम होने का नाम नहीं ले रहा. 10 मई को जैसे ही दोनों देशों ने सीजफायर की घोषणा की, कुछ ही घंटों बाद पाकिस्तान ने ड्रोन हमलों और फायरिंग के जरिए फिर से संघर्ष विराम का उल्लंघन कर दिया. इस घटनाक्रम से एक बार फिर साफ हो गया कि पाकिस्तान की कथनी और करनी में जमीन-आसमान का फर्क है.

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    प्रतीकात्मक तस्वीर | Photo: Internet

    भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा पर तनाव कम होने का नाम नहीं ले रहा. 10 मई को जैसे ही दोनों देशों ने सीजफायर की घोषणा की, कुछ ही घंटों बाद पाकिस्तान ने ड्रोन हमलों और फायरिंग के जरिए फिर से संघर्ष विराम का उल्लंघन कर दिया. इस घटनाक्रम से एक बार फिर साफ हो गया कि पाकिस्तान की कथनी और करनी में जमीन-आसमान का फर्क है. लेकिन सीमा पार से आती इन ख़बरों के साथ पाकिस्तान की बिगड़ती आर्थिक स्थिति चर्चा में है. एक ओर पाकिस्तान की सेना एलओसी पर तनाव बढ़ा रही है, वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था कर्ज के बोझ से कराह रही है.

    पाकिस्तान की बीमार अर्थव्यवस्था

    पाकिस्तान की पूरी अर्थव्यवस्था अब कर्ज पर टिकी एक खोखली इमारत जैसी बन चुकी है. इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड (IMF) ने हाल ही में पाकिस्तान को एक और 1 अरब डॉलर का बेलआउट पैकेज दिया है. यह कोई नई बात नहीं है. 1958 में पहली बार जब पाकिस्तान ने IMF से मदद मांगी थी, तब से लेकर अब तक 24 बार बेलआउट ले चुका है.

    वर्तमान में पाकिस्तान पर लगभग 130 बिलियन डॉलर (13 खरब डॉलर) का भारी-भरकम कर्ज है. हैरानी की बात यह है कि इसमें से 30 अरब डॉलर का भुगतान 2025 तक और शेष कर्ज 2027 तक चुकाना है. ऐसे में सवाल उठता है — क्या पाकिस्तान इस दबाव को झेल पाएगा?

    भारत आगे निकला, पाकिस्तान पीछे छूटा

    भारत और पाकिस्तान एक ही समय आजाद हुए थे. लेकिन आज जब हम दोनों देशों की स्थिति को देखें, तो भारत वैश्विक मंच पर एक मज़बूत और आत्मनिर्भर राष्ट्र के रूप में उभर चुका है. वहीं पाकिस्तान की पहचान सिर्फ आतंकवाद, राजनीतिक अस्थिरता और आर्थिक कंगाली से जुड़ गई है.

    वर्तमान में पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार बांग्लादेश से भी कम है, जो कभी पाकिस्तान से अलग होकर बना था. विदेशी निवेशक और अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं अब पाकिस्तान की नीतियों से उकताने लगे हैं. अगर वह अपनी आतंक परस्त नीतियों को नहीं बदलता, तो आने वाले समय में उसे मिलने वाला समर्थन भी पूरी तरह से बंद हो सकता है.

    पाकिस्तान का दोहरा चरित्र

    भारत के जम्मू-कश्मीर में 22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने जवाबी कार्रवाई में पीओके और पाकिस्तान के भीतर 9 आतंकी ठिकानों को ध्वस्त कर दिया. भारत की ओर से इसे ऑपरेशन सिंदूर नाम दिया गया. इसके बाद पाकिस्तान ने भारतीय नागरिकों को निशाना बनाया और फिर संघर्ष विराम की बात की.

    लेकिन अब यह स्पष्ट होता जा रहा है कि पाकिस्तान सीजफायर का इस्तेमाल सिर्फ कूटनीतिक ढाल के रूप में कर रहा है, ताकि दुनिया को दिखाया जा सके कि वह शांति चाहता है. जबकि वास्तव में उसकी हरकतें कुछ और ही बयां करती हैं. दरअसल पाकिस्तान की ओर से ही सीजफायर की पहल की गई थी. वहीं, सीजफायर के ऐलान के तीन घंटे बाद ही पाकिस्तान ने अपनी औकात दिखा दी थी. पाकिस्तानी सेना ने शुक्रवार को सीजफायर का उल्लंघन करते हुए भारत में कई जगह ड्रोन से हमले करने की कोशिश की थी और कई जगह गोलीबारी की भी घटना सामने आई थी.

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