एयर इंडिया की अहमदाबाद-दिल्ली फ्लाइट का वो हादसा जिसे लेकर देशभर में आशंका और पीड़ा बनी रही, आखिरकार जांच रिपोर्ट के रूप में सामने आया. लेकिन जिस रिपोर्ट से उम्मीद थी कि वह तस्वीर साफ करेगी, उसने उलझनों की एक नई परत खोल दी है.
Aircraft Accident Investigation Bureau (AAIB) की इस आधिकारिक रिपोर्ट के बाद लोगों के मन में सवाल और गहरे हो गए हैं — क्योंकि रिपोर्ट में कई अहम पहलुओं को या तो छुआ ही नहीं गया, या फिर सतही ढंग से बताया गया.
दोनों इंजन एक साथ फेल कैसे हो सकते हैं?
AAIB के अनुसार, हादसे के वक्त दोनों इंजनों में फ्यूल सप्लाई अचानक रुक गई, जिससे प्लेन के दोनों इंजन बंद हो गए. लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि फ्यूल कटऑफ स्विच अपने आप शिफ्ट नहीं हो सकते.
पूर्व वायुसेना पायलट एहसान खालिद बताते हैं, "इन स्विचेस को केवल मैन्युअली बदला जा सकता है, और उनमें सेफ्टी लॉकिंग मैकेनिज्म होता है जिसे जानबूझकर हटाना पड़ता है."
यानी अगर दोनों इंजन एक साथ बंद हुए, तो यह एक बेहद असामान्य स्थिति है — क्या यह तकनीकी खामी थी या मानवीय गलती?
CVR से सिर्फ एक वाक्य क्यों मिला?
Cockpit Voice Recorder (CVR) की ट्रांसक्रिप्ट से एक और विवाद खड़ा हो गया है. 38 सेकंड तक हवा में रहने के बावजूद, रिपोर्ट में सिर्फ एक सवाल-जवाब का जिक्र है, "स्विच ऑफ क्यों किया?" जवाब आया, "मैंने नहीं किया."
लेकिन रिपोर्ट में नहीं बताया गया कि यह संवाद कौन बोल रहा था और किसको संबोधित था. न ही बाकी बातचीत की कोई जानकारी है.
क्या रिकॉर्डिंग अधूरी है? या पूरी ट्रांसक्रिप्ट को छिपाया गया है? यही सवाल पायलट यूनियन को भी परेशान कर रहा है.
क्या तकनीकी खामी की जांच अधूरी है?
AAIB रिपोर्ट में उल्लेख है कि 2018 में FAA (अमेरिका की एविएशन अथॉरिटी) ने एक तकनीकी एडवाइजरी दी थी, जिसमें Boeing के कुछ विमानों में फ्यूल स्विच की लॉकिंग फीचर को हटाने की बात कही गई थी.
AI171 जिस Boeing 787-8 विमान से हादसा हुआ, उसमें भी वही मॉडल नंबर का पार्ट (4TL837-3D) लगा था. लेकिन चूंकि यह FAA की एडवाइजरी अनिवार्य नहीं थी, एयर इंडिया ने इसे नजरअंदाज कर दिया.
रिपोर्ट में इसके बावजूद किसी भी तकनीकी दोष या निर्माता को दोषी नहीं ठहराया गया, न ही कोई भविष्य की सिफारिश दी गई.
पायलट यूनियन की तीखी प्रतिक्रिया
पायलट यूनियन ने AAIB की रिपोर्ट पर खुलकर आपत्ति जताई है. उनका कहना है कि रिपोर्ट पूर्वाग्रहपूर्ण और इकतरफा है, जिसमें जांच की दिशा पायलट एरर की तरफ मोड़ने की कोशिश की गई है.
कहा, "जब तक निष्पक्ष और गहराई से जांच नहीं होगी, तब तक न पायलट्स सुरक्षित रहेंगे, न उड़ान भरने वाले लोग."
अब आगे क्या?
जहां एक तरफ रिपोर्ट तकनीकी विवरणों के माध्यम से संभावित कारणों की ओर इशारा करती है, वहीं दूसरी तरफ स्पष्ट निष्कर्षों और पारदर्शिता की कमी रिपोर्ट की विश्वसनीयता को कमजोर बनाती है.
इस हादसे को लेकर जो मानव त्रासदी और तकनीकी जटिलताएं जुड़ी थीं, उनका समाधान खोजने की बजाय अब नए संदेह पैदा हो गए हैं.
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