'यहूदियों को लेबनान, इराक, यमन और सीरिया में...' हूतीयों ने इजरायल का नामोनिशान मिटाने की दी धमकी

    गाजा युद्ध के थमने के बावजूद इज़रायल को पश्चिम एशिया से लगातार चुनौतियाँ मिल रही हैं.

    Houthis threaten to wipe out Israel on world map
    प्रतीकात्मक तस्वीर/Photo- ANI

    सना (यमन): गाजा युद्ध के थमने के बावजूद इज़रायल को पश्चिम एशिया से लगातार चुनौतियाँ मिल रही हैं. यमन स्थित हूती विद्रोही गुट ने एक बार फिर आक्रामक रुख अपनाते हुए कहा है कि उनका संघर्ष तब तक जारी रहेगा जब तक इज़रायल पूरी तरह समाप्त नहीं हो जाता. साथ ही उन्होंने यमन में कुरान आधारित शासन व्यवस्था स्थापित करने की योजना का भी ऐलान किया है.

    लंबे समय तक अपेक्षाकृत अज्ञात रहे अंसारुल्लाह (हूती) अब लाल सागर में इज़रायली जहाजों को निशाना बनाकर वैश्विक व्यापार मार्गों को प्रभावित कर रहे हैं. इज़रायली बंदरगाह एइलेट और स्वेज नहर के ज़रिए होने वाला व्यापार इससे बुरी तरह बाधित हुआ है.

    इज़रायल का वजूद अस्वीकार्य- हूती नेता का दावा

    इज़रायली मीडिया हाउस Ynet को दिए गए एक इंटरव्यू में, हूती नेतृत्व से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कई बातें साझा कीं. उनका कहना था, "हमारा संघर्ष केवल एक भू-राजनीतिक लड़ाई नहीं, बल्कि एक अस्तित्व की लड़ाई है. इज़रायल की नींव अन्याय, कब्जे और धर्मस्थलों के अपमान पर रखी गई है. ऐसे राष्ट्र का अंत निश्चित है."

    उन्होंने कहा कि अंसारुल्लाह संगठन का मकसद यह है कि यहूदियों को "अरब ज़मीन से पूरी तरह बाहर किया जाए" और फिलिस्तीन को स्वतंत्र किया जाए.

    यमन से लेकर लेबनान तक, हमला हर मोर्चे पर

    हूती अधिकारी ने बताया कि संगठन आने वाले समय में अपने अभियान को और तेज करेगा. उन्होंने कहा, "हम यहूदियों को हर मोर्चे पर, चाहे वह यमन हो, सीरिया, इराक या लेबनान—हर जगह शिकस्त देंगे. हमारा लक्ष्य स्पष्ट है – इज़रायल को सैन्य, राजनीतिक और मनोवैज्ञानिक रूप से तोड़ना."

    उन्होंने ये भी जोड़ा कि लाल सागर और अरब सागर में इज़रायल के खिलाफ सैन्य गतिविधियाँ और बढ़ेंगी.

    "हम यमन के भीतर और बाहर इज़रायल से जुड़े सभी लक्ष्यों को वैध मानते हैं. आने वाले दिनों में हमारे अभियानों की गूंज दुनिया भर में सुनाई देगी."

    यमन में इस्लामी शासन का एजेंडा

    हूती नेतृत्व ने यह भी स्पष्ट किया कि वे ईरान के साथ अपने सामरिक संबंधों को और मजबूत करेंगे. साथ ही उन्होंने यमन में एक "कुरान पर आधारित शासकीय मॉडल" लागू करने की मंशा जताई है.

    यह बयान ऐसे समय आया है जब हाल ही में मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि इज़रायली हमले में ईरान के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियान घायल हो गए थे.

    ईरानी राष्ट्रपति पर इज़रायली हमला

    सूत्रों के मुताबिक, 16 जून को तेहरान में एक उच्च स्तरीय सुरक्षा बैठक के दौरान इज़रायल द्वारा एक सटीक मिसाइल हमला किया गया था. इसमें राष्ट्रपति पेजेशकियान के पैर में हल्की चोट आई. यह हमला उस वक्त हुआ जब ईरान की सुप्रीम नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल की बैठक चल रही थी, जिसमें न्यायपालिका प्रमुख मोहसेनी एजेई और संसद अध्यक्ष मोहम्मद बाघेर गालिबाफ भी शामिल थे.

    ईरानी सुरक्षा एजेंसियों को संदेह है कि यह हमला किसी ‘भीतर के व्यक्ति’ द्वारा दी गई सूचना के आधार पर हुआ. फिलहाल इस हमले की जांच शुरू कर दी गई है.

    ये भी पढ़ें- अब राफेल, सुखोई और ब्रह्मोस के बिना भी लाहौर तक गोले बरसाएगा भारत, जानें इस ATAGS की ताकत