अब राफेल, सुखोई और ब्रह्मोस के बिना भी लाहौर तक गोले बरसाएगा भारत, जानें इस ATAGS की ताकत

    भारत की रक्षा प्रणाली में एक नई शक्ति का उदय हुआ है—एक ऐसा हथियार जो बिना आसमान में उड़ान भरे, बिना समुद्र में उतरे, दुश्मन के गढ़ में बैठकर उसकी कमर तोड़ने की ताकत रखता है.

    Indian Army will get new ATAGS Know its power
    प्रतीकात्मक तस्वीर/Photo- ANI

    नई दिल्ली: भारत की रक्षा प्रणाली में एक नई शक्ति का उदय हुआ है—एक ऐसा हथियार जो बिना आसमान में उड़ान भरे, बिना समुद्र में उतरे, दुश्मन के गढ़ में बैठकर उसकी कमर तोड़ने की ताकत रखता है. हम बात कर रहे हैं भारत में विकसित की गई एडवांस्ड टोड आर्टिलरी गन सिस्टम (ATAGS) की, जिसे देश की नई पीढ़ी की सबसे घातक स्वदेशी तोप कहा जा रहा है.

    ऑपरेशन सिंदूर: हवाई हमलों के साथ ज़मीनी ताकत की भी ताकतवर झलक
    हाल ही में भारत के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान राफेल, सुखोई-30 एमकेआई और ब्रह्मोस मिसाइलों ने दुश्मन पर कहर बरपाया और पाकिस्तान तीन दिन में ही घुटने टेकने को मजबूर हो गया. परंतु इस सफल ऑपरेशन के पीछे एक और शक्ति रही—ATAGS—जिसकी क्षमता अब खुलकर सामने आ रही है.

    ATAGS: भारत की भूमि से लाहौर तक सीधी मार

    ATAGS, यानी Advanced Towed Artillery Gun System, को डीआरडीओ (DRDO) ने भारत फोर्ज और टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स के साथ मिलकर विकसित किया है. यह 155 मिमी/52 कैलिबर की तोप अत्याधुनिक तकनीक से लैस है और इसकी मारक सीमा वर्तमान में 48 किलोमीटर है. यानी अमृतसर से बैठे-बैठे यह तोप पाकिस्तान के लाहौर जैसे संवेदनशील शहर को टारगेट कर सकती है.

    अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सबसे आगे

    जहां दुनिया के पास भी कई लंबी दूरी की तोपें हैं, ATAGS उन्हें रेंज और सटीकता दोनों में पीछे छोड़ देती है. यह ‘शूट एंड स्कूट’ तकनीक पर काम करती है, यानी फायरिंग के तुरंत बाद अपनी जगह बदल सकती है, जिससे दुश्मन के जवाबी हमलों से बचा जा सके.

    और क्या-क्या है खास?

    • सुपर फास्ट तैनाती: केवल 80 सेकेंड में ऑपरेशनल स्थिति में आ जाती है
    • तेज फायरिंग क्षमता:
    • 2.5 मिनट में 10 हाई-एक्सप्लोसिव गोले
    • 60 सेकेंड में 5 गोले
    • हाई मोबिलिटी ट्रक पर आधारित: 8×8 ट्रक जो 90 किमी/घंटे की रफ्तार से चल सकता है
    • 85% देसी निर्माण: पूरी तरह से भारत में बने पुर्जे, आत्मनिर्भरता का प्रतीक
    • कम लागत, ज्यादा ताकत: प्रति यूनिट कीमत लगभग ₹15 करोड़, जो विदेशी तोपों से आधी है

    भविष्य की योजनाएं: 90 किमी तक की रेंज!

    DRDO अब GPS-गाइडेड और रैमजेट प्रोपेल्ड गोले विकसित कर रहा है, जिससे ATAGS की रेंज 80 से 90 किलोमीटर तक पहुंच सकती है. यह क्षमता इसे दुश्मन के देश के अंदर तक वार करने योग्य बना देगी—बिना सीमा लांघे.

    सेना में तैनाती की शुरुआत

    भारत सरकार ने इस वर्ष मार्च में 307 ATAGS तोपों की खरीद के लिए ₹6,900 करोड़ की डील साइन की है. पहला रेजिमेंट (18 तोपें) 2027 तक सेना को सौंपा जाएगा. यह भारतीय सेना की मारक क्षमता में क्रांतिकारी बदलाव लाने वाला कदम साबित होगा.

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