यमन के हूती विद्रोही और सऊदी अरब के बीच तनाव अब एक बड़े युद्ध के रूप में सामने आ सकता है. हूतियों ने सऊदी अरब को कड़ी चेतावनी दी है कि वह अमेरिका के नेतृत्व वाले हमलों में शामिल होने से बचें, नहीं तो सऊदी अरब के तेल प्रतिष्ठानों पर हमला किया जाएगा. इस खतरे के बाद, पूरे खाड़ी क्षेत्र में तनाव और बढ़ने की आशंका है, जिससे वैश्विक राजनीति और व्यापार पर असर पड़ सकता है.
हूती विद्रोहियों की धमकी और ताजा घटनाक्रम
9 अप्रैल को हूती विद्रोहियों ने सऊदी अरब को ट्विटर जैसे प्लेटफॉर्म पर धमकी दी. उनका कहना था कि अगर सऊदी अरब अमेरिका के नेतृत्व में हूतियों के खिलाफ किसी भी सैन्य अभियान में भाग लेता है, तो सऊदी अरामको, जो दुनिया की सबसे बड़ी तेल कंपनी है, उसके तेल प्रतिष्ठानों पर हमला किया जाएगा. हूतियों ने यह भी कहा कि, “हम सऊदी अरब के आसमान को आग के बादलों में बदल देंगे, और पूरी दुनिया इसे देखेगी.”
सऊदी अरब और हूतियों के बीच संघर्ष का इतिहास
सऊदी अरब और हूतियों के बीच यह संघर्ष कोई नया नहीं है. पिछले दस सालों से, सऊदी अरब हूतियों के खिलाफ सैन्य अभियान चला रहा था, लेकिन उन्हें इस शिया समूह के विस्तार को रोकने में सफलता नहीं मिली. 2014 में हूती विद्रोहियों ने यमन की राजधानी सना पर कब्जा कर लिया था, जिसके बाद सऊदी अरब ने संघर्ष में सीधे तौर पर शामिल होने का फैसला किया था.
लेकिन 2023 में इजरायल पर हमास का हमला और उसके बाद गाजा में सैन्य अभियान शुरू होने के बाद, सऊदी-हूती शांति वार्ता भी बंद हो गई. इसके बाद से हूतियों ने लाल सागर से गुजरने वाले अंतरराष्ट्रीय जहाजों को निशाना बनाना शुरू कर दिया, जिससे वैश्विक व्यापार पर असर पड़ा.
अमेरिकी सैन्य हस्तक्षेप और स्थिति का विकास
इस बीच, अमेरिका ने हूती विद्रोहियों के खिलाफ अपनी सैन्य कार्रवाई को तेज कर दिया है. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन की सरकार ने 15 मार्च, 2024 को घोषणा की थी कि अमेरिका यमन में हूतियों के खिलाफ हमले और सैन्य दबाव बढ़ाएगा. यह कार्रवाई हूतियों के इजरायल के खिलाफ खुले समर्थन को देखते हुए की जा रही है, क्योंकि हूतियों ने गाजा में फिलिस्तीनियों के समर्थन में युद्ध छेड़ा हुआ है.
अमेरिकी सैन्य अभियानों ने हूतियों के ठिकानों को निशाना बनाया है, जिससे सऊदी अरब को डर है कि अगर ये संघर्ष और बढ़ता है, तो उनके तेल क्षेत्र खतरे में पड़ सकते हैं.
सऊदी अरब के लिए क्या है खतरा?
अगर यह संघर्ष और बढ़ता है, तो सऊदी अरब के लिए एक बड़ा संकट खड़ा हो सकता है. सऊदी अरब के लिए तेल उसकी सबसे बड़ी प्राथमिकता है और हूतियों का कहना है कि वह सऊदी अरब के तेल प्रतिष्ठानों को निशाना बना सकते हैं. इसके अलावा, अमेरिका के साथ पारंपरिक सैन्य सहयोग के चलते सऊदी अरब अमेरिका के अभियान में गुप्त रूप से शामिल हो सकता है, जो हूतियों के लिए और भी खतरनाक साबित हो सकता है.
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