गुरिल्ला युद्ध से होगा आतंक का सफाया! कुलगाम के घने जंगलों में आठवें दिन भी ऑपरेशन जारी, जानें सेना की तैयारी

    Kulgam Encounter: कश्मीर घाटी के दुर्गम जंगलों में आतंकवाद के खिलाफ जारी सुरक्षाबलों की जंग अब आठवें दिन में प्रवेश कर चुकी है. कुलगाम जिले के अक्खाल गांव के घने जंगलों में चल रही इस मुठभेड़ में हालात बेहद चुनौतीपूर्ण बने हुए हैं.

    guerrilla warfare Operation continues in the dense forests of Kulgam for the eighth day
    Image Source: ANI/ File

    Kulgam Encounter: कश्मीर घाटी के दुर्गम जंगलों में आतंकवाद के खिलाफ जारी सुरक्षाबलों की जंग अब आठवें दिन में प्रवेश कर चुकी है. कुलगाम जिले के अक्खाल गांव के घने जंगलों में चल रही इस मुठभेड़ में हालात बेहद चुनौतीपूर्ण बने हुए हैं. सुरक्षाबल और आतंकियों के बीच रुक-रुक कर गोलीबारी जारी है, और ऑपरेशन को सफल बनाने के लिए हर रणनीतिक कदम उठाया जा रहा है.

    सूत्रों की मानें तो आतंकियों ने रणनीति बदली है. वे दिन के समय फायरिंग से बच रहे हैं ताकि उनकी पोजीशन उजागर न हो, लेकिन रात के अंधेरे में सुरक्षाबलों की घेराबंदी तोड़ने की कोशिश में गोलीबारी करते हैं. यह इलाका अत्यंत दुर्गम है, चारों ओर घना जंगल, ऊंचे पहाड़, प्राकृतिक गुफाएं, और खानाबदोश समुदाय के अस्थायी डेरे भी मौजूद हैं, जो अभियान को और जटिल बना रहे हैं.

    कम से कम आठ आतंकी, तीन पोजीशन पर

    जानकारी के अनुसार, जंगल में करीब आठ आतंकी छिपे हुए हैं जिन्होंने तीन अलग-अलग जगहों पर मोर्चा बना रखा है. सुरक्षाबलों ने पूरे इलाके को घेर रखा है और सभी संभावित भागने के रास्तों को सील कर दिया गया है. ड्रोन, हेलीकॉप्टर और अन्य आधुनिक तकनीक की मदद से आतंकियों की खोजबीन की जा रही है.

    अब तक तीन आतंकी ढेर, नौ जवान घायल

    इस अभियान में अब तक तीन आतंकियों को मार गिराया गया है जबकि नौ सुरक्षाकर्मी घायल हुए हैं. सेना, सीआरपीएफ और जम्मू-कश्मीर पुलिस संयुक्त रूप से इस ऑपरेशन को अंजाम दे रहे हैं.

    शीर्ष अधिकारियों ने लिया मोर्चे का जायजा

    जम्मू-कश्मीर पुलिस के डीजी नलिन प्रभात और सेना की उत्तरी कमान के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल प्रतीक शर्मा खुद भी मौके का दौरा कर चुके हैं और उन्होंने मुठभेड़ स्थल पर अधिकारियों से रणनीतिक चर्चा की.

    जंगलों में गुरिल्ला युद्ध की तैयारी

    विशेषज्ञ मानते हैं कि यह ऑपरेशन मौजूदा साल का सबसे लंबा आतंकरोधी अभियान बन गया है. इससे यह संकेत मिलता है कि आतंकी अब पारंपरिक हमलों की जगह गुरिल्ला युद्ध की रणनीति अपना रहे हैं. जम्मू-कश्मीर के डोडा, राजौरी और पुंछ जैसे इलाकों में भी इसी तरह की गतिविधियां देखने को मिली हैं.

    पहाड़ी इलाकों में आतंकी गतिविधियों का फैलाव

    पिछले कुछ वर्षों में हुए आतंकी हमलों की प्रवृत्ति का विश्लेषण करें तो यह साफ हो जाता है कि आतंकी अब घने जंगलों और पहाड़ी इलाकों को अपनी सुरक्षित पनाहगाह बना रहे हैं. एक हमले के बाद वे लंबे समय तक अगली कार्रवाई की तैयारी करते हैं, जिससे उनका पकड़ में आना मुश्किल हो जाता है.

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