पुराने हुए ड्रोन और गोला बारूद, अब कॉकरोच की मदद से युद्ध लड़ने का प्लान, जर्मनी के दुश्मनों की होगी हवा टाइट

    हाल के वर्षों में युद्ध के तौर-तरीकों में बड़ा बदलाव देखने को मिला है. पाकिस्तान के खिलाफ भारत के ऑपरेशन ‘सिंदूर’ से लेकर रूस-यूक्रेन संघर्ष तक, आधुनिक तकनीकों की भूमिका निर्णायक बनती जा रही है.

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    हाल के वर्षों में युद्ध के तौर-तरीकों में बड़ा बदलाव देखने को मिला है. पाकिस्तान के खिलाफ भारत के ऑपरेशन ‘सिंदूर’ से लेकर रूस-यूक्रेन संघर्ष तक, आधुनिक तकनीकों की भूमिका निर्णायक बनती जा रही है. खासतौर पर आत्मघाती ड्रोन जैसे हथियारों ने वैश्विक सैन्य रणनीतियों की दिशा ही बदल दी है. एक समय था जब ड्रोन को निगरानी के उपकरण के रूप में ही देखा जाता था, लेकिन अब यह युद्ध के मैदान में सबसे मारक हथियार के तौर पर स्थापित हो चुका है.

    इसी कड़ी में रक्षा प्रौद्योगिकी की दुनिया एक और स्तर पार करती नजर आ रही है. अब चर्चा सिर्फ ड्रोन तक सीमित नहीं रही, बल्कि अब ‘साइबोर्ग कॉकरोच’ और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से लैस ऑटोमैटिक हथियारों की रेस शुरू हो चुकी है.

    रूस-यूक्रेन युद्ध ने बदली यूरोप की सोच

    रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग ने यूरोप की सैन्य नीतियों को पूरी तरह से बदलकर रख दिया है. युद्ध ने यह स्पष्ट कर दिया है कि सुरक्षा की जिम्मेदारी केवल अमेरिका या NATO जैसे गठबंधनों पर छोड़ना अब सुरक्षित विकल्प नहीं रहा. यही वजह है कि यूरोपीय देशों, खासकर जर्मनी, ने रक्षा क्षेत्र में निवेश को तेजी से बढ़ाना शुरू किया है. द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जर्मनी ने रक्षा खर्च में भारी कटौती कर दी थी और खुद को एक तरह से अमेरिका की सैन्य छत्रछाया में रख दिया था. लेकिन मौजूदा हालातों ने उसे मजबूर किया है कि वह अपनी सैन्य क्षमताएं खुद विकसित करे.

    2029 तक तीन गुना होगा जर्मनी का रक्षा बजट

    जर्मनी ने एलान किया है कि वह 2029 तक अपने सैन्य खर्च को तीन गुना बढ़ाकर 162 अरब यूरो यानी लगभग 175 अरब अमेरिकी डॉलर प्रति वर्ष तक ले जाएगा. यह निवेश केवल परंपरागत हथियारों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इसमें आधुनिकतम टेक्नोलॉजी, AI और रोबोटिक्स आधारित रक्षा सिस्टम भी शामिल हैं.

    युद्ध के मैदान में उतरेंगे साइबोर्ग कॉकरोच

    जर्मनी में अब ऐसे स्टार्टअप्स को सरकारी फंडिंग मिल रही है, जो रक्षा क्षेत्र में इनोवेटिव टेक्नोलॉजी विकसित कर रहे हैं. उदाहरण के लिए, Swarm Biotactics नाम की एक कंपनी असली कॉकरोच पर मिनी कैमरे और उपकरण लगाकर उन्हें दुश्मन के इलाकों में भेजने की तकनीक विकसित कर रही है. इन कॉकरोचों के शरीर पर एक बैकपैकनुमा डिवाइस लगाई जाती है, जो इलेक्ट्रिकल सिग्नल के जरिए उनके मूवमेंट को कंट्रोल करती है. ये छोटे 'जासूस' दुश्मन की गतिविधियों की रिकॉर्डिंग करने में सक्षम हैं.

    AI-आधारित हथियारों की बढ़ती होड़

    इसके अलावा, मानव रहित टैंकों, अंडरवाटर ड्रोन और पूरी तरह से ऑटोनॉमस हथियारों पर भी काम किया जा रहा है. साइबर इनोवेशन हब के प्रमुख स्वेन वीज़ेनेगर के मुताबिक, अब समाज में रक्षा तकनीक को लेकर जो पहले नैतिक झिझक थी, वह तेजी से खत्म हो रही है. स्टार्टअप्स और युवा इंजीनियर बड़ी संख्या में अपने इनोवेशन लेकर सामने आ रहे हैं.

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