H-1B वीजा पर ट्रंप ने दिखाई सख्ती तो जर्मनी ने बढ़ा दिया हाथ, भारत को दिया ऐसा ऑफर...होगी कमाई ही कमाई!

    अमेरिका में H-1B वीज़ा को लेकर बढ़ती सख्ती का असर अब वैश्विक स्तर पर दिखने लगा है. जहां एक ओर भारतीय आईटी और टेक विशेषज्ञ अमेरिकी नीतियों से परेशान हैं, वहीं दूसरी ओर जर्मनी ने इस मौके को भुनाने की तैयारी कर ली है.

    Germany Gaves offer to india over indian talent amid trump h1b visa tension
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    अमेरिका में H-1B वीज़ा को लेकर बढ़ती सख्ती का असर अब वैश्विक स्तर पर दिखने लगा है. जहां एक ओर भारतीय आईटी और टेक विशेषज्ञ अमेरिकी नीतियों से परेशान हैं, वहीं दूसरी ओर जर्मनी ने इस मौके को भुनाने की तैयारी कर ली है. यूरोप की सबसे मजबूत अर्थव्यवस्था वाला यह देश अब भारतीय टैलेंट को अपने यहां बुलाने के लिए सक्रिय रूप से कदम उठा रहा है.

    भारत में जर्मनी के राजदूत डॉ. फिलिप एकरमैन ने एक वीडियो संदेश के ज़रिए भारत के कुशल पेशेवरों को आमंत्रण दिया है. सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए अपने संदेश में उन्होंने कहा कि जर्मनी आईटी, विज्ञान, टेक्नोलॉजी और मैनेजमेंट जैसे क्षेत्रों में कार्यरत भारतीयों के लिए बेहतरीन अवसर प्रदान करता है. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जर्मनी की इमिग्रेशन नीति स्थिर, पारदर्शी और विश्वसनीय है — कुछ वैसी ही जैसे जर्मन कारें होती हैं: टिकाऊ, भरोसेमंद और सीधे रास्ते पर चलने वाली.

    कमाई के मामले में भारतीय सबसे आगे

    एकरमैन ने जर्मनी में काम कर रहे भारतीयों के योगदान पर रोशनी डालते हुए बताया कि औसत भारतीय कर्मचारी, औसत जर्मन कर्मचारी की तुलना में अधिक वेतन प्राप्त करता है. उन्होंने इसे समाज के लिए सकारात्मक संकेत बताया और कहा कि भारतीय पेशेवर न केवल आर्थिक रूप से, बल्कि सामाजिक रूप से भी जर्मनी के विकास में अहम भूमिका निभा रहे हैं.

    अमेरिका की सख्ती, जर्मनी की रणनीति

    यह बयान ऐसे समय में आया है जब अमेरिका ने H-1B वीज़ा की फीस में भारी बढ़ोतरी कर दी है. अब एक आवेदन पर कंपनियों को करीब 1,00,000 डॉलर का खर्च उठाना पड़ रहा है, जो पहले केवल 5,000 डॉलर के आसपास था. इससे भारत की आईटी कंपनियों और टेक्नोलॉजी विशेषज्ञों पर सीधा असर पड़ा है. वहीं, जर्मनी ने इस स्थिति को अपने पक्ष में मोड़ने के लिए सक्रिय पहल की है.

    2024 में भारतीयों के लिए बढ़ेगा वीज़ा कोटा

    जर्मनी बढ़ती उम्र वाली आबादी और कुशल श्रमिकों की कमी से जूझ रहा है. अनुमान है कि 2040 तक जर्मन अर्थव्यवस्था को हर साल करीब 2.88 लाख प्रवासियों की आवश्यकता होगी. इसी जरूरत को देखते हुए जर्मन सरकार ने 2024 में प्रोफेशनल वीजा में 10% से अधिक की वृद्धि करने और भारतीयों के लिए आवंटन बढ़ाने की योजना बनाई है. 2023 में जहां जर्मनी ने कुल 2 लाख प्रोफेशनल वीजा देने का वादा किया था, उनमें से 90,000 भारतीयों के लिए आरक्षित थे. वर्तमान में करीब 1.3 लाख भारतीय पेशेवर जर्मनी में रह रहे हैं.

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