नेपाल के बाद अब फ्रांस में भी सोशल मीडिया होगा बंद? सांसदों ने कम उम्र के बच्चों के लिए उठाई बैन की मांग

    फ्रांस के सांसदों की एक समिति ने 15 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया पर पूरी तरह बैन लगाने और 15 से 18 साल के किशोरों के लिए रात के समय डिजिटल कर्फ्यू लगाने की सिफारिश की है.

    French MPs urge ban on social media for children
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    आज के डिजिटल युग में सोशल मीडिया बच्चों की जिंदगी का अहम हिस्सा बन चुका है, लेकिन इसके गलत प्रभावों को लेकर दुनियाभर में चिंता बढ़ती जा रही है. खासकर कम उम्र के बच्चों पर इसका नकारात्मक असर ज्यादा देखने को मिल रहा है. इसी के चलते फ्रांस के सांसदों की एक समिति ने 15 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया पर पूरी तरह बैन लगाने और 15 से 18 साल के किशोरों के लिए रात के समय डिजिटल कर्फ्यू लगाने की सिफारिश की है.

    फ्रांस की समिति की रिपोर्ट में उठे गंभीर मुद्दे

    संसद की इस समिति ने कई महीनों तक परिवारों, सोशल मीडिया अधिकारियों और विशेषज्ञों की गवाही के आधार पर एक रिपोर्ट तैयार की है. इस रिपोर्ट में उन्होंने सोशल मीडिया की बढ़ती चुनौती को स्वीकार करते हुए बच्चों के संरक्षण के लिए कड़े कदम उठाने की मांग की है. राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के कार्यालय ने भी पहले ही संकेत दिए हैं कि वे बच्चों और किशोरों के लिए सोशल मीडिया पर बैन लगाने पर विचार कर रहे हैं.

    ऑस्ट्रेलिया भी उठा चुका है कदम

    फ्रांस की यह पहल वैश्विक स्तर पर हो रही कोशिशों का हिस्सा है. ऑस्ट्रेलिया ने पहले ही 16 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाने का ऐतिहासिक कानून बनाना शुरू कर दिया है, जो इस दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है.

    टिकटॉक पर खास नजर

    समिति के प्रमुख आर्थर डेलापोर्ट ने बताया कि टिकटॉक जैसे शॉर्ट वीडियो प्लेटफॉर्म नाबालिगों के लिए सबसे बड़ा खतरा बन गए हैं. वह इस ऐप के खिलाफ आपराधिक शिकायत दर्ज कराने की भी तैयारी में हैं. मार्च 2024 में इस मामले में सात परिवारों ने मुकदमा भी दायर किया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि टिकटॉक के कंटेंट ने बच्चों को आत्महत्या जैसे खतरनाक कदम उठाने के लिए प्रेरित किया.

    एल्गोरिदम की समस्या और मनोवैज्ञानिक प्रभाव

    टिकटॉक ने अपनी सुरक्षा व्यवस्था का बचाव किया है, लेकिन समिति ने कहा कि टिकटॉक का एल्गोरिदम ही नकारात्मक कंटेंट को बढ़ावा देता है और यह जानबूझकर यूजर्स को जोखिम में डालता है. बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर इसके गंभीर प्रभाव सामने आए हैं, जो चिंता का विषय हैं.

    बच्चों की बढ़ती आत्महत्या के बीच उठी आवाज

    सोशल मीडिया के दुष्प्रभाव से बच्चों की आत्महत्या के मामलों में वृद्धि देखी गई है. एक 18 वर्षीय युवती की मां ने बताया कि बेटी की मृत्यु के बाद उन्होंने टिकटॉक पर सेल्फ-हार्म और अन्य खतरनाक वीडियो देखे, जिसने उन्हें बेहद दुखी कर दिया. यह कहानी इस बात का बयां है कि सोशल मीडिया से बच्चों को दूर रखने के लिए कठोर कदम उठाना क्यों जरूरी हो गया है.

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