New Labour Codes: केंद्र सरकार ने श्रम कानूनों में बड़े बदलाव किए हैं और अब चार नए लेबर कोड लागू किए गए हैं. इन सुधारों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा श्रमिकों के भले के लिए उठाया गया ऐतिहासिक कदम बताया गया है. इस कदम का उद्देश्य केवल कानूनों में बदलाव करना नहीं है, बल्कि हर श्रमिक को सम्मान, सुरक्षा और आर्थिक मजबूती प्रदान करना है. इस बदलाव के बाद से, 40 करोड़ से अधिक कामकाजी लोगों को मिलने वाली सामाजिक सुरक्षा और बेहतर कामकाजी शर्तों को लेकर नए अवसर खुलेंगे. आइए जानते हैं इन बदलावों के बारे में विस्तार से और यह आपके लिए कैसे फायदेमंद हो सकता है.
चार नए लेबर कोड: क्या-क्या हैं बदलाव?
केंद्र सरकार ने पुराने 29 श्रम कानूनों को समाहित करके चार नए श्रम कोड पेश किए हैं. इन कोड्स का उद्देश्य कामकाजी माहौल को और अधिक पारदर्शी, कार्यक्षम और सुरक्षित बनाना है. ये नए कोड हैं:
इन कोड्स के लागू होने से कामकाजी माहौल में एक नई उम्मीद और सुरक्षा का तंत्र स्थापित किया जाएगा. इन बदलावों से कामकाजी क्षेत्र में एक नई दिशा मिल रही है, जो पुरानी प्रणाली से पूरी तरह अलग है और आज के समय की आवश्यकता के अनुरूप है.
पारदर्शिता की ओर बड़ा कदम
नए श्रम कानूनों का सबसे बड़ा बदलाव ‘नियुक्ति पत्र’ को लेकर है. अब सभी कर्मचारियों के लिए जॉइनिंग के वक्त नियुक्ति पत्र लेना अनिवार्य कर दिया गया है. इससे न केवल पारदर्शिता आएगी, बल्कि कर्मचारियों को उनके अधिकारों के बारे में भी पूरी जानकारी होगी. कंपनियों की मनमानी पर भी रोक लगेगी और श्रमिकों को उनके काम के अधिकार स्पष्ट रूप से मिलेंगे.
40 करोड़ असंगठित कामगारों को मिलेगा फायदा
अब तक असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले श्रमिकों को अधिकांश सामाजिक सुरक्षा योजनाओं से वंचित रहना पड़ता था, लेकिन नए कोड्स के लागू होने से लगभग 40 करोड़ श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा का लाभ मिलेगा. इसका मतलब यह है कि वे भी अब पीएफ (PF), ईएसआईसी (ESIC) और पेंशन जैसी सुविधाओं का लाभ उठा सकेंगे. यह कदम एक बड़े सुधार की ओर इशारा करता है और कामकाजी वर्ग को बेहतर सुरक्षा प्रदान करता है.
फिक्स्ड टर्म कर्मचारियों के लिए ग्रैच्युटी का नया नियम
अब तक निजी क्षेत्र में काम करने वाले फिक्स्ड टर्म कर्मचारियों को ग्रैच्युटी के लिए 5 साल का कार्यकाल पूरा करना पड़ता था. लेकिन नए नियमों के तहत, अब एक साल की नौकरी पूरी करने पर ही कर्मचारियों को ग्रैच्युटी का अधिकार मिलेगा. यह बदलाव उन कर्मचारियों के लिए बहुत फायदेमंद साबित होगा, जो विभिन्न कंपनियों में फिक्स्ड टर्म के आधार पर काम कर रहे हैं.
ओवरटाइम पर नए नियम
अगर कर्मचारी निर्धारित कामकाजी घंटे से अधिक काम करते हैं, तो अब उन्हें उनके सामान्य वेतन से दोगुना (Double Wages) भुगतान किया जाएगा. यह बदलाव कर्मचारियों के लिए एक बड़ा लाभ साबित होगा, क्योंकि इससे उनकी मेहनत का सही मूल्य मिलेगा और वेतन का भुगतान समय पर होगा, जिससे आर्थिक तनाव भी कम होगा.
महिलाओं और गिग वर्कर्स के लिए नई संभावनाएं
नए श्रम कोड में महिलाओं के लिए भी कई बदलाव किए गए हैं. अब महिलाएं रात की शिफ्ट में भी काम कर सकेंगी, बशर्ते उनकी सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हों और उनकी सहमति ली गई हो. इससे महिलाएं अधिक कार्यक्षेत्रों में प्रवेश कर सकेंगी और समान वेतन की गारंटी भी दी गई है. साथ ही, गिग वर्कर्स (जैसे जोमैटो, स्विगी, उबर और ओला में काम करने वाले) को भी अब कानूनी रूप से पहचान मिली है. इन वर्कर्स के कल्याण के लिए कंपनियों को अपने सालाना टर्नओवर का 1-2% हिस्सा देना होगा. इससे गिग वर्कर्स की स्थिति में सुधार होगा और उन्हें कानूनी सुरक्षा मिलेगी.
40 वर्ष और उससे अधिक उम्र के कर्मचारियों के लिए खास सुविधाएं
नए श्रम कोड में 40 वर्ष से ऊपर के कर्मचारियों का विशेष ध्यान रखा गया है. अब नियोक्ताओं को इन कर्मचारियों का साल में एक बार मुफ्त हेल्थ चेकअप कराना होगा, ताकि किसी भी गंभीर बीमारी का समय पर पता चल सके और उनकी सेहत की बेहतर देखभाल हो सके. इसके अलावा, खतरनाक क्षेत्रों में काम करने वाले श्रमिकों के लिए 100% स्वास्थ्य सुरक्षा की गारंटी दी गई है.
खतरनाक क्षेत्रों में काम करने वालों के लिए सुरक्षा
जिन कर्मचारियों को खतरनाक क्षेत्रों में काम करना पड़ता है, उनके लिए नए नियमों के तहत अधिक सुरक्षा उपाय लागू किए गए हैं. इन कर्मचारियों को अब बेहतर सुरक्षा मिल सकेगी, साथ ही उन्हें उपचार सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जाएंगी. इसके अलावा, ईएसआईसी (ESIC) का दायरा अब पूरे देश में फैला दिया गया है, जिससे अब छोटे संस्थानों में काम करने वाले लोग भी स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ उठा सकेंगे.
MSME और अन्य सेक्टर्स के लिए विशेष प्रावधान
एमएसएमई सेक्टर, टेक्सटाइल और आईटी सेक्टर के लिए भी अलग-अलग प्रावधान किए गए हैं. इन प्रावधानों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कर्मचारियों का शोषण न हो और काम के घंटे संतुलित रहें.
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