पहले बस रोकी, फिर पढ़ने लगा नमाज; पैसेंजर्स की शिकायत पर लिया जाएगा एक्शन VIDEO वायरल

    कर्नाटक से एक वीडियो सामने आया जो इस समय सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. दरअसल एक बस ड्राइवर ने पहले अपनी बस को रोका फिर उसके बाद नमाज अदा करना शुरू कर दिया. बस में सवार यात्रियों ने इसकी वीडियो रिकॉर्ड की और इसे सोशल मीडिया पर अपलोड किया जो तेजी से वायरल हो रहा है.

    First stops bus then offer namaz video went viral now will take action on driver
    Image Source: Viral

    कर्नाटक में एक अजीब घटना सामने आई है, जब एक राज्य परिवहन बस के चालक ने सड़क पर ही बस रोककर सीट पर बैठकर नमाज अदा करना शुरू कर दिया. इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसके बाद बस ड्राइवर के खिलाफ जांच शुरू कर दी गई है. वीडियो में देखा जा सकता है कि ड्राइवर ने अपनी जिम्मेदारियों से हटकर यातायात के बीच, बस की सीट पर ही नमाज पढ़ना शुरू कर दिया. इस दौरान कुछ यात्री बस में मौजूद थे, लेकिन वे असहाय होकर यह दृश्य देखते रहे.

    कर्नाटक राज्य परिवहन निगम की प्रतिक्रिया

    यह घटना मंगलवार शाम को हुबली-हावेरी मार्ग के जावेरी के पास हुई. यात्रियों ने इसकी शिकायत की, जिसके बाद कर्नाटक राज्य परिवहन निगम ने मामले की जांच शुरू कर दी है. परिवहन मंत्री रामलिंगा रेड्डी ने इस घटना को गंभीरता से लिया और उत्तर पश्चिमी कर्नाटक सड़क परिवहन निगम को पत्र भेजकर कार्रवाई की सिफारिश की है. मंत्री ने कहा, "सार्वजनिक सेवा में काम करने वाले कर्मचारियों को कुछ निर्धारित नियमों और विनियमों का पालन करना अनिवार्य है."

    सार्वजनिक सेवा में काम करते हुए धर्म का पालन

    अपने पत्र में मंत्री ने स्पष्ट रूप से कहा कि "हर किसी को अपने धर्म का पालन करने का अधिकार है, लेकिन काम के वक्त को छोड़कर उन्हें अपने धार्मिक कर्तव्यों को पूरा करना चाहिए." उन्होंने यह भी कहा, "बस में यात्रियों के होते हुए और रास्ते में बस रोककर नमाज पढ़ना न केवल अनुशासनहीनता है, बल्कि यह अन्य यात्रियों के लिए भी असुविधाजनक हो सकता है."

    भविष्य में ऐसे मामलों को रोकने की आवश्यकता

    मंत्री ने यह भी कहा कि "वायरल वीडियो की तुरंत जांच की जानी चाहिए और यदि कोई दोषी पाया जाता है, तो उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जानी चाहिए." उनका यह भी मानना है कि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए सख्त कदम उठाए जाने चाहिए. यह घटना इस बात को लेकर गंभीर सवाल उठाती है कि सार्वजनिक सेवाओं में कर्मचारियों को अपनी जिम्मेदारियों के साथ धर्म के पालन के बीच एक संतुलन बनाकर चलना चाहिए.

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