Venezuela US Tension: अमेरिका और वेनेज़ुएला आमने-सामने खड़े हैं, दोनों देशों ने अपने युद्धपोत, मिसाइलें और सैनिक बेड़े तैनात कर दिए हैं. डोनाल्ड ट्रम्प की सत्ता में वापसी के बाद दोनों देशों के बीच जो कूटनीतिक ठंडक शुरू हुई थी, अब वो खुली सैन्य तनातनी में बदलती दिख रही है.
अमेरिका ने अपना विशाल जहाजी बेड़ा कैरेबियन की ओर रवाना कर दिया है, वहीं वेनेज़ुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो ने खुले मंच से पांच हजार मिसाइलें तैनात करने का ऐलान कर दिया. हाल ही में अमेरिकी नेवी ने वेनेज़ुएला की कुछ नावों पर “ड्रग तस्करी” के आरोप लगाते हुए हमला किया था, जिसमें दर्जनों लोग मारे गए और कई नौकाएं डूब गईं.
तनाव इतना बढ़ गया है कि दोनों देशों की सेनाएं अब आमने-सामने की मुद्रा में हैं. सवाल उठता है, अगर हालात बिगड़े तो क्या यह अमेरिका और वेनेज़ुएला के बीच सीधी जंग में बदल सकता है?
वेनेज़ुएला के हथियारों के पीछे कौन?
वेनेज़ुएला दशकों से रूस, चीन और ईरान का भरोसेमंद साझेदार रहा है. रूस ने उसे Su-30 फाइटर जेट्स, S-300 एयर डिफेंस सिस्टम और T-72 टैंक्स दिए हैं. चीन ने निगरानी और आंतरिक सुरक्षा उपकरणों की आपूर्ति की है. जबकि ईरान से ड्रोन और मिसाइल टेक्नोलॉजी का ट्रांसफ़र बताया जा रहा है.
इन साझेदारियों ने वेनेज़ुएला को कुछ आधुनिक हथियार ज़रूर दिए हैं, लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि मेंटेनेंस की कमी, आर्थिक संकट और तकनीकी संसाधनों की कमी के कारण उसकी सैन्य क्षमता सीमित है. कागज़ पर भले ही वह मजबूत दिखे, मगर अमेरिका जैसी महाशक्ति से भिड़ना उसके लिए आत्मघाती कदम साबित हो सकता है.
अमेरिका का सैन्य प्रदर्शन या युद्ध की तैयारी?
अमेरिका ने हाल ही में कैरेबियन में अपने एयरक्राफ्ट कैरियर स्ट्राइक ग्रुप और युद्धपोतों की तैनाती बढ़ा दी है. वॉशिंगटन का कहना है कि यह कदम नार्को-ट्रैफिकिंग और ट्रांसनेशनल क्राइम नेटवर्क्स के खिलाफ उठाया गया है. लेकिन जिस स्तर पर तैनाती हुई है, उससे साफ है कि यह केवल “एंटी-ड्रग मिशन” नहीं, बल्कि भविष्य की रणनीतिक दबाव नीति का हिस्सा है.
राजनीति, तेल और शक्ति
अमेरिका का गुस्सा सिर्फ ड्रग्स तक सीमित नहीं है. वॉशिंगटन लंबे समय से मादुरो शासन को तानाशाही, मानवाधिकार उल्लंघन और भ्रष्टाचार के लिए निशाना बना रहा है.
राष्ट्रपति ट्रम्प ने तो मादुरो की गिरफ्तारी पर 2.5 करोड़ डॉलर का इनाम तक रख दिया है.
इसके साथ ही, वेनेज़ुएला का रूस और चीन के साथ बढ़ता गठजोड़ अमेरिका के लिए रणनीतिक सिरदर्द है. तेल के विशाल भंडार और दक्षिण अमेरिका में रूस-ईरान की बढ़ती मौजूदगी अमेरिका को अपने “बैकयार्ड” में हस्तक्षेप जैसा लग रहा है.
प्रचार बनाम वास्तविकता
वर्तमान स्थिति में प्रचार, राजनीति और वास्तविकता तीनों का मिश्रण है. वेनेज़ुएला के पास आधुनिक हथियार हैं, लेकिन लॉजिस्टिक सपोर्ट, इंधन की कमी और रखरखाव उसकी सबसे बड़ी कमजोरी है. दूसरी ओर, अमेरिकी सेना की तकनीकी क्षमता और वैश्विक प्रभुत्व उसे किसी भी संभावित टकराव में निर्णायक बढ़त देती है.
सीधी जंग की संभावना फिलहाल कम है, मगर सीमित सैन्य झड़पें या हवाई कार्रवाई किसी भी समय भड़क सकती हैं, खासकर तब, जब दोनों देशों के नेता “सख्त जवाब” की भाषा बोल रहे हों.
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