Pakistan Fears India Airstrike: दुनिया भर में आतंक के खिलाफ जंग में अमेरिका ने एक बड़ा फैसला लेते हुए लश्कर-ए-तैयबा के मोहरे ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (TRF) को आधिकारिक रूप से ग्लोबल टेरर ऑर्गनाइजेशन घोषित कर दिया है. इस कदम के साथ अमेरिका ने न सिर्फ इस आतंकी संगठन की संपत्तियों पर रोक लगा दी है, बल्कि अपने नागरिकों को TRF से किसी भी तरह के लेन-देन से भी प्रतिबंधित कर दिया है. यह वही संगठन है जो जम्मू-कश्मीर में कई आतंकी घटनाओं को अंजाम दे चुका है और पाकिस्तान के इशारे पर भारत की सरहदों को अशांत करने की कोशिशों में लगातार सक्रिय रहा है.
भारत की रणनीति रंग लाई
TRF पर अंतरराष्ट्रीय कार्रवाई भारत की कूटनीति की बड़ी जीत मानी जा रही है. लंबे समय से भारत इस संगठन की गतिविधियों के खिलाफ सबूत जुटाकर दुनिया के सामने आतंक के असली चेहरे को उजागर कर रहा था. हाल ही में पहलगाम में हुए पर्यटकों पर आतंकी हमले ने भारत को और आक्रामक कर दिया और इसके बाद ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत ने सीमापार आतंकी ठिकानों को निशाना बनाकर कड़ा संदेश दिया.
सीमा पर तनाव और पाकिस्तान की बेचैनी
भारत की कार्रवाई से पाकिस्तान तिलमिला गया है. यही वजह है कि उसने अपनी एयरस्पेस को आंशिक रूप से बंद कर दिया है. 16 से 23 जुलाई तक पाकिस्तान के केंद्रीय हिस्से की हवाई सीमा और 22-23 जुलाई को दक्षिणी सीमा को बंद रखने का ऐलान किया गया है. पाकिस्तान इसे भले ही मिलिट्री एक्सरसाइज और मिसाइल परीक्षण बता रहा हो, लेकिन इसके पीछे डर और सतर्कता दोनों की झलक साफ दिखती है.
इतना ही नहीं, हाल के दिनों में चीन के कार्गो विमानों की पाकिस्तान में लगातार मौजूदगी देखी गई है. इससे यह अटकलें तेज हो गई हैं कि चीन, पाकिस्तान को उन्नत सैन्य तकनीक और एयर डिफेंस सिस्टम मुहैया करवा रहा है. भारत की जवाबी कार्रवाई और अमेरिका का समर्थन मिलने के बाद पाकिस्तान अब दबाव में है और आने वाले दिनों में उसका आतंकियों को शह देने वाला रवैया वैश्विक मंच पर और बेनकाब हो सकता है.
सिर्फ एक कार्रवाई नहीं, एक संदेश है
अमेरिका द्वारा TRF को प्रतिबंधित करना महज एक तकनीकी कार्रवाई नहीं है, बल्कि यह भारत और उसके नागरिकों पर हो रहे हमलों को अंतरराष्ट्रीय मान्यता मिलने जैसा है. इससे पाकिस्तान की आतंकी रणनीति पर वैश्विक निगाहें और भी तीव्र होंगी और भविष्य में उसके लिए अपनी छवि बचाना मुश्किल होगा. अंततः यह कहना गलत नहीं होगा कि अमेरिका की यह कार्रवाई सिर्फ TRF के खिलाफ नहीं, बल्कि उन तमाम आतंकी ढांचों के खिलाफ है जो भारत की संप्रभुता को चुनौती देने की हिमाकत करते हैं. और यह भी स्पष्ट संकेत है कि भारत अब सिर्फ कूटनीति की भाषा नहीं बोलता, जरूरत पड़े तो जवाबी एक्शन में भी पीछे नहीं हटता.
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