पाकिस्तान में चीन के फर्जी कॉल सेंटर का भंडाफोड़, छापेमारी के बाद टूट पड़े स्थानीय लोग, लूटे लैपटॉप

    पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में हाल ही में एक बड़े साइबर अपराध गिरोह का भंडाफोड़ हुआ, जिसमें एक चीनी संचालित फर्जी कॉल सेंटर को सुरक्षा एजेंसियों ने निशाना बनाया.

    Fake Chinese call center busted in Pakistan locals attacked after raid looted laptops
    प्रतीकात्मक तस्वीर/Photo- Social Media

    इस्लामाबाद: पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में हाल ही में एक बड़े साइबर अपराध गिरोह का भंडाफोड़ हुआ, जिसमें एक चीनी संचालित फर्जी कॉल सेंटर को सुरक्षा एजेंसियों ने निशाना बनाया. संघीय जांच एजेंसी (FIA) के साइबर क्राइम सेल ने इस कथित स्कैम सेंटर पर छापा मारकर 24 लोगों को हिरासत में लिया, जिनमें विदेशी नागरिक भी शामिल थे. हालांकि, इस कार्रवाई के दौरान अव्यवस्था फैल गई, जिसका फायदा उठाकर स्थानीय लोगों ने कॉल सेंटर से महंगे इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और लैपटॉप लूट लिए.

    फर्जी कॉल सेंटर पर छापे के बाद मची अफरातफरी

    घटना इस्लामाबाद के सेक्टर F-11 की बताई जा रही है, जहां यह अवैध कॉल सेंटर संचालित किया जा रहा था. FIA को लंबे समय से इस केंद्र में संदिग्ध गतिविधियों की जानकारी मिल रही थी, जिसके आधार पर छापेमारी की गई. कार्रवाई के दौरान सुरक्षा बलों ने कई कर्मचारियों को हिरासत में लिया, लेकिन कुछ संदिग्ध मौके से भागने में सफल रहे.

    सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में स्थानीय लोगों को कॉल सेंटर में घुसते और वहां से इलेक्ट्रॉनिक सामान लेकर जाते देखा गया. वीडियो में लोग लैपटॉप, मॉनीटर, कंप्यूटर सिस्टम और अन्य तकनीकी उपकरण उठाकर भागते नजर आ रहे हैं.

    अंतरराष्ट्रीय साइबर अपराधों में शामिल था कॉल सेंटर

    रिपोर्ट्स के अनुसार, इस कॉल सेंटर का उपयोग विभिन्न देशों में लोगों को ठगने के लिए किया जा रहा था. कॉल सेंटर से संचालित गतिविधियों में बैंकिंग धोखाधड़ी और अन्य ऑनलाइन घोटाले शामिल थे. हालांकि, FIA की कार्रवाई से इस गिरोह का भंडाफोड़ हो गया, लेकिन छापेमारी के दौरान स्थानीय लोगों द्वारा की गई लूटपाट ने अधिकारियों की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं.

    छापेमारी के बाद अराजकता, सुरक्षा पर उठे सवाल

    विशेषज्ञों का मानना है कि छापेमारी के दौरान लूटपाट जैसी घटनाएं इस बात को दर्शाती हैं कि संवेदनशील अभियानों के दौरान उचित सुरक्षा उपायों की कमी है. जिन उपकरणों को जांच के लिए जब्त किया जाना चाहिए था, वे सार्वजनिक हाथों में चले गए, जिससे आगे की जांच में बाधा आ सकती है.

    यह घटना पाकिस्तान में साइबर अपराध और कानून-व्यवस्था की स्थिति को लेकर नई बहस छेड़ सकती है. सुरक्षा एजेंसियों को अब न केवल अपराधियों से निपटना होगा, बल्कि छापेमारी के दौरान होने वाली अव्यवस्था को भी नियंत्रित करने की रणनीति पर विचार करना होगा.

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