Aurangabad News: जब उम्मीदें हद से ज्यादा बढ़ती हैं और सपनों की उड़ान हकीकत से दूर जाती है, तब अंधविश्वास की जमीन तैयार होती है. औरंगाबाद (छत्रपति संभाजीनगर) में ऐसा ही एक मामला सामने आया है, जहां लोगों को 'पैसों की बारिश' का सपना दिखाकर तीन लोगों ने अंधविश्वास और काले जादू की मदद से लाखों रुपये ठग लिए. लेकिन आखिरकार, कानून के शिकंजे से वे नहीं बच सके.
एक गुप्त सूचना से खुली 'पैसों की बारिश' की पोल
शहर के पुलिस आयुक्त प्रवीण पवार को एक गुप्त सूचना मिली थी कि शहर के एक पॉश होटल में कुछ संदिग्ध लोग महीनों से रह रहे हैं और अंधविश्वास के ज़रिए लोगों को ठग रहे हैं. इस खबर ने पुलिस को अलर्ट कर दिया. जिम्मा सौंपा गया इंस्पेक्टर संभाजी पवार को, जिनकी तेज़ निगाहें और तेज़ कार्रवाई के लिए विभाग में तारीफ होती है. टीम ने होटल के कमरा नंबर 305 और 412 पर एक साथ रेड डाली और वहीं से इस जालसाजी का पर्दाफाश हुआ.
बाबा और उसके दो 'भक्त' निकले ठगी के उस्ताद
कमरा 305 में छिपा था खुद को 'तांत्रिक बाबा' कहने वाला विकास उत्तरवार, जो पिछले दिसंबर से वहीं ठहरा था. वहीं, कमरा 412 में थे उसके दो साथी – विलास कोहिले और शंकर कजाले, जो क्रमशः जुरुद गांव (वैजापुर तहसील) और चिकलथाना (छत्रपति संभाजीनगर) के रहने वाले हैं. तीनों मिलकर एक ऐसा जाल बुनते थे, जिसमें लोग न केवल अपना पैसा, बल्कि अपनी समझदारी भी खो बैठते थे.
कमरे से बरामद हुए ठगी के 'जादुई' हथियार
जब पुलिस ने कमरे की तलाशी ली, तो वहां मिले 'काले जादू' के प्रतीक – नकली नोट, सिंदूर, सूखी जड़ें, पुराने नारियल और अन्य तांत्रिक सामग्री. इन चीज़ों के सहारे बाबा लोगों को यकीन दिलाता था कि बस एक टोटका होगा और उनके घर पैसों की बारिश शुरू हो जाएगी.
कानून का डंडा पड़ा भारी
जांच के बाद सहायक पुलिस निरीक्षक काशीनाथ महादुले की शिकायत पर तीनों के खिलाफ IPC की धारा 318 और 3(5) के तहत मामला दर्ज हुआ. इसके साथ ही, महाराष्ट्र मानव बलि और काले जादू अधिनियम, 2013 के तहत भी कड़ी कार्रवाई की गई. फिलहाल तीनों आरोपियों को क्रांति चौक पुलिस स्टेशन में हिरासत में रखकर गहन पूछताछ की जा रही है. अधिकारियों का कहना है कि इनसे जुड़े और भी कई केस खुल सकते हैं.
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