अमेरिका और चीन के बीच चल रहा व्यापार युद्ध अब और गंभीर होता जा रहा है. इस बार टकराव की वजह बनी हैं दुर्लभ धातुएं, जिनका इस्तेमाल मिसाइल, रडार, जेट इंजन, स्मार्टफोन और इलेक्ट्रिक गाड़ियों में होता है. रविवार को चीन ने एक बड़ा कदम उठाते हुए 7 जरूरी दुर्लभ धातुओं के निर्यात पर रोक लगा दी. इनमें डिस्प्रोसियम और यट्रियम जैसी धातुएं शामिल हैं, जो अमेरिका की सुरक्षा और रक्षा उद्योग के लिए बेहद अहम मानी जाती हैं.
ट्रंप ने बढ़ाया था टैरिफ, अब चीन का जवाब
यह पूरा मामला तब शुरू हुआ जब अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन से आने वाले सामान पर टैक्स (टैरिफ) बढ़ा दिया. इसके जवाब में चीन ने सिर्फ टैक्स नहीं बढ़ाया, बल्कि उन खनिजों के निर्यात पर ही रोक लगा दी, जिन पर दुनिया बहुत हद तक चीन पर निर्भर है.
क्यों हैं ये धातुएं इतनी जरूरी?
चीन कर रहा है खनिजों को हथियार की तरह इस्तेमाल
विशेषज्ञों का कहना है कि चीन इन धातुओं को एक तरह से "हथियार" की तरह इस्तेमाल कर रहा है ताकि अमेरिका को झटका दिया जा सके. कोलोराडो स्कूल ऑफ माइन्स के प्रोफेसर टॉम ब्रैडी ने कहा, "ये धातुएं चीन के तरकश के तीर हैं, जिनका इस्तेमाल वो अमेरिका के खिलाफ कर रहा है."
हाई-टेक इंडस्ट्री पर भी असर
ये खनिज सिर्फ सेना में ही नहीं, बल्कि स्मार्टफोन, मेडिकल डिवाइस, इलेक्ट्रिक गाड़ियां और सैटेलाइट जैसे हाईटेक प्रोडक्ट में भी इस्तेमाल होते हैं. चीन पहले ही गैलियम नाम की एक जरूरी धातु पर रोक लगा चुका है, जो सेमीकंडक्टर और AI टेक्नोलॉजी के लिए जरूरी है.
अमेरिका की चिंता और तैयारी
इस फैसले से अमेरिका की कंपनियों और रक्षा तैयारियों पर खतरा मंडरा रहा है. अमेरिकन एलिमेंट्स के CEO माइकल सिल्वर ने बताया कि अब चीन से सामान आने में 45 दिन या उससे ज्यादा का समय लग सकता है.
इस खतरे को देखते हुए अमेरिका ने तैयारी शुरू कर दी है. 20 मार्च को ट्रंप ने एक आदेश पर साइन किया, जिसके तहत अब अमेरिका में ही इन धातुओं का उत्पादन बढ़ाने की योजना बनाई गई है. इसके लिए Defence Production Act का इस्तेमाल किया जाएगा और उन सरकारी जमीनों की पहचान की जाएगी, जहां ये खनिज मिल सकते हैं.
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