ECI On Bihar Election: लोकतंत्र को सशक्त और पारदर्शी बनाए रखने के उद्देश्य से भारत निर्वाचन आयोग (ECI) ने आगामी बिहार विधानसभा चुनाव और देश के विभिन्न राज्यों में प्रस्तावित उपचुनावों के लिए 470 वरिष्ठ अधिकारियों को केंद्रीय पर्यवेक्षक (General, Police, और Expenditure) के रूप में तैनात करने का निर्णय लिया है.
इस कदम का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि चुनावी प्रक्रिया निष्पक्ष, पारदर्शी और निर्बाध रूप से संपन्न हो, जिससे जनता का लोकतांत्रिक प्रक्रिया में विश्वास और मजबूत हो.
इन सेवाओं के अधिकारियों को मिली जिम्मेदारी
चुनाव आयोग द्वारा नियुक्त किए गए इन 470 अधिकारियों में शामिल हैं:
इन पर्यवेक्षकों को बिहार के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर, राजस्थान, झारखंड, तेलंगाना, पंजाब, मिजोरम और ओडिशा में होने वाले उपचुनावों की निगरानी की जिम्मेदारी सौंपी गई है.
आयोग की आंख और कान
चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया कि केंद्रीय पर्यवेक्षक आयोग के लिए "आंख और कान" की भूमिका निभाते हैं. वे चुनावी प्रक्रिया के हर पहलू पर सतर्क निगरानी रखते हैं और नियमित रूप से आयोग को रिपोर्ट भेजते हैं. इनकी भूमिका विशेष रूप से इस बात को सुनिश्चित करने की होती है कि:
जिन राज्यों में होंगे उपचुनाव
इन केंद्रीय पर्यवेक्षकों की तैनाती निम्नलिखित विधानसभा क्षेत्रों में होने वाले उपचुनावों के लिए की गई है:
नुआपाड़ा उपचुनाव की संभावना बिहार चुनाव के साथ
ओडिशा के नुआपाड़ा विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव की संभावना भी जताई गई है. यह सीट विधायक राजेंद्र ढोलकिया के निधन के बाद खाली हुई थी. ढोलकिया चार बार विधायक रह चुके थे और नवीन पटनायक मंत्रिमंडल में मंत्री पद पर भी कार्यरत रहे.
संवैधानिक अधिकार और प्रक्रिया
पर्यवेक्षकों की नियुक्ति भारतीय संविधान के अनुच्छेद 324 और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 20बी के तहत की जाती है. यह अधिकारी चुनाव प्रक्रिया के दौरान आयोग के प्रत्यक्ष नियंत्रण में रहते हैं और किसी भी तरह की गड़बड़ी या अनियमितता की जानकारी तुरंत आयोग को देते हैं.
चुनाव आयोग की सक्रियता
इन तैनातियों के माध्यम से चुनाव आयोग ने यह संकेत दिया है कि वह लोकतंत्र की मूल भावना "स्वतंत्र, निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव" को बनाए रखने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है. हर स्तर पर निगरानी और नियंत्रण सुनिश्चित करने के उद्देश्य से ये कदम उठाए गए हैं.
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