अमेरिका और भारत के बीच व्यापार वार्ता अब एक नए मोड़ पर पहुंच गई है, खासकर जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 12 देशों से आने वाले निर्यात पर नए टैरिफ लगाने के लिए पत्रों पर हस्ताक्षर कर दिए हैं. इन पत्रों का वितरण सोमवार को किया जाने की उम्मीद है, और अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि इस कदम से जुड़े सभी विवरण जल्द ही सार्वजनिक किए जाएंगे. उनका कहना था, "कुछ पत्रों पर मैंने हस्ताक्षर किए हैं, जो सोमवार को भेजे जाएंगे. कुल मिलाकर 12 पत्र हैं, जिनमें अलग-अलग दरों और टैरिफ की व्यवस्था की गई है. यह प्रक्रिया कागजी रूप से आसान है, क्योंकि एक पत्र भेजना कई दस्तावेजों के मुकाबले ज्यादा सरल होता है."
70 प्रतिशत तक बढ़ाए जा सकते हैं टैरिफ
इसके साथ ही ट्रंप ने यह भी संकेत दिया कि 'रेसिप्रोकल टैरिफ' यानी प्रत्युत्तरात्मक शुल्क कुछ देशों पर 70 प्रतिशत तक बढ़ाए जा सकते हैं, और इसका कार्यान्वयन 1 अगस्त से होने की संभावना है. अप्रैल में उन्होंने अधिकांश आयातित सामानों पर 10 प्रतिशत का टैरिफ लागू करने की घोषणा की थी, हालांकि कुछ देशों जैसे चीन के लिए इससे अधिक शुल्क तय किए गए थे. हालांकि, इन बढ़े हुए टैरिफ को बाद में 9 जुलाई तक के लिए स्थगित कर दिया गया है. वॉशिंगटन ने दो देशों—यूनाइटेड किंगडम और वियतनाम—के साथ पहले ही व्यापार समझौते किए हैं.
इसी बीच, भारतीय उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल हाल ही में वाशिंगटन से लौट आया है, लेकिन बिना किसी अंतिम समझौते के. इस प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई राजेश अग्रवाल ने की थी. यह वार्ता मुख्य रूप से कृषि और डेयरी उत्पादों के व्यापार को लेकर हो रही थी, जिनमें अमेरिका ने भारत पर दबाव बनाया था. हालांकि, अभी भी उम्मीद की किरण बाकी है कि 9 जुलाई से पहले दोनों देशों के बीच एक अंतरिम व्यापार समझौता हो सकता है. भारतीय दल 26 जून से 2 जुलाई तक अमेरिका में था, और उनका उद्देश्य अमेरिकी दबाव के बावजूद एक स्थिर और उचित समझौता करना था.
26 प्रतिशत टैरिफ से छूट पाने की कोशिश
भारत के केंद्रीय वाणिज्य मंत्री, पीयूष गोयल ने इस मामले पर अपनी राय स्पष्ट करते हुए कहा कि भारत जल्दबाजी में किसी भी 'फ्री ट्रेड एग्रीमेंट' पर हस्ताक्षर नहीं करेगा. उन्होंने जोर देकर कहा, "भारत कभी भी डेडलाइन के दबाव में आकर व्यापार समझौते नहीं करता है. हम राष्ट्रीय हित में निर्णय लेंगे और इस प्रक्रिया को तसल्ली से पूरा करेंगे."
भारत और अमेरिका के बीच व्यापार संबंधों का यह जटिल मसला मुख्य रूप से कृषि और डेयरी उत्पादों को लेकर है. अमेरिका भारत से इन उत्पादों के लिए व्यापक बाजार की मांग कर रहा है, जो भारत के छोटे किसानों के लिए एक संवेदनशील मुद्दा है. भारत 9 जुलाई से पहले एक अंतरिम समझौते के माध्यम से अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा लगाए गए 26 प्रतिशत टैरिफ से छूट पाने की कोशिश कर रहा है. इसके साथ ही भारत अपने श्रम-प्रधान उत्पादों जैसे वस्त्र, चमड़े और जूतों पर भी किफायती टैरिफ कन्सेशन की उम्मीद कर रहा है.
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