'मैं नेतन्याहू को जंग रोकने के लिए नहीं कहूंगा', इजरायल-ईरान युद्ध में डोनाल्ड ट्रंप का बड़ा बयान

    इज़राइल लगातार ईरानी ठिकानों को निशाना बना रहा है, वहीं ईरान ने भी तेल अवीव और अन्य इजरायली शहरों पर मिसाइल हमलों से हालात बिगाड़ दिए हैं.

    Donald Trump big statement in Israel-Iran war
    डोनाल्ड ट्रंप | Photo: ANI

    मध्य पूर्व एक बार फिर जंग की आग में जल रहा है. ईरान और इज़राइल के बीच छिड़ी लड़ाई दिन पर दिन और भीषण होती जा रही है. इज़राइल लगातार ईरानी ठिकानों को निशाना बना रहा है, वहीं ईरान ने भी तेल अवीव और अन्य इजरायली शहरों पर मिसाइल हमलों से हालात बिगाड़ दिए हैं. अब दुनिया की निगाहें अमेरिका पर टिकी हैं—क्या अमेरिका इस जंग में हस्तक्षेप करेगा या दूरी बनाए रखेगा?

    इस बीच अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बयान ने अंतरराष्ट्रीय कूटनीति को एक नई दिशा दे दी है. ट्रंप ने दो टूक कहा है कि वे इज़राइल को ईरान पर हमले से रोकने के लिए नहीं कहेंगे. उन्होंने यह भी स्पष्ट कर दिया कि युद्ध को रोकने की कोशिशों के बीच फिलहाल कूटनीतिक समाधान मुश्किल नजर आ रहा है.

    ट्रंप न्यू जर्सी में अपने निजी गोल्फ कोर्स पर एक फंडरेजर इवेंट में पहुंचे थे, जहां उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में यह सब कहा. ‘सिन्हुआ न्यूज एजेंसी’ के मुताबिक, ट्रंप ने यूरोपीय देशों के उस प्रयास को भी खारिज कर दिया जिसमें वे ईरान के साथ बातचीत कर युद्ध को रोकने की कोशिश कर रहे हैं. ट्रंप ने कहा, “ईरान यूरोप से बात नहीं करना चाहता, वो अमेरिका से बात करना चाहता है. यूरोप इस मसले में कोई मदद नहीं कर सकता.”

    ट्रंप की रणनीति: इज़राइल को खुली छूट

    डोनाल्ड ट्रंप ने साफ कहा कि वो इज़राइल को रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाएंगे. उनका मानना है कि इज़राइल को अपने सुरक्षा हितों के लिए जो करना है, वो कर सकता है. उन्होंने यह भी कहा कि ईरान की आक्रामकता को देखते हुए इज़राइल का जवाब उचित है, और इस समय उस पर कोई दबाव नहीं डाला जा सकता.

    इज़राइली हमले तेज, ईरानी ठिकानों पर कहर

    इज़रायल डिफेंस फोर्स (IDF) ने जानकारी दी है कि शुक्रवार सुबह हुए एक बड़े हमले में इज़राइली वायुसेना ने ईरान के तिबेरियास और केरमानशाह इलाकों में 35 से अधिक मिसाइल स्टोरेज और लॉन्च साइट्स को तबाह किया है. इस ऑपरेशन में 25 से ज्यादा फाइटर जेट्स ने हिस्सा लिया. इसके अलावा तेहरान और इस्फहान में ईरानी मिसाइल सिस्टम और रडार इंस्टॉलेशंस पर भी हमले किए गए. IDF के अनुसार, ये हमले पूरी तरह इंटेलिजेंस पर आधारित थे और इनका मकसद ईरानी एयर डिफेंस को कमजोर करना और इजरायली विमानों की सुरक्षा सुनिश्चित करना था.

    अमेरिका की भूमिका पर सस्पेंस बरकरार

    इस पूरे घटनाक्रम के बीच अमेरिकी विदेश विभाग की प्रवक्ता टैमी ब्रूस ने कहा कि फिलहाल इस बात पर कुछ कहना जल्दबाज़ी होगी कि अमेरिका इस युद्ध को रोकने के लिए किसी प्रकार का कूटनीतिक दबाव बनाएगा या नहीं. उन्होंने कहा कि अभी जो घटनाएं हो रही हैं, उनका असर भविष्य की बातचीत पर पड़ेगा या नहीं, इस पर कुछ कहना फिलहाल संभव नहीं है. ट्रंप ने दो सप्ताह का "पॉज बटन" दबाया है, यानी ईरान को चेतावनी दी गई है कि वह शर्तें माने, वरना अमेरिका सीधे इस जंग में उतर सकता है.

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