Loan Apps Ban: भारत सरकार ने डिजिटल वित्तीय धोखाधड़ी पर लगाम लगाने के लिए एक निर्णायक कदम उठाया है. इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 69A के तहत 87 अवैध और संदिग्ध लोन ऐप्स को प्रतिबंधित कर दिया है. लोकसभा में कॉर्पोरेट मामलों के राज्यमंत्री हर्ष मल्होत्रा ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि यह फैसला जनता को डिजिटल ठगी, डेटा चोरी और साइबर बुलिंग से बचाने के उद्देश्य से लिया गया है.
इन ऐप्स पर प्रतिबंध लगने के बाद भारत में उनका संचालन पूरी तरह रुक जाएगा. साथ ही नए उपयोगकर्ता भी इनके झाँसे में नहीं आएंगे, जिससे संभावित वित्तीय नुकसान और मानसिक उत्पीड़न से बचाव हो सकेगा.
शिकायतों की बढ़ती संख्या और डेटा चोरी का खतरा
पिछले कुछ महीनों से देश के कई हिस्सों से ऐसी शिकायतें लगातार दर्ज की जा रही थीं कि अनधिकृत डिजिटल लोन प्रदान करने वाले ऐप्स लोगों की निजी जानकारी का दुरुपयोग कर रहे हैं. कई पीड़ितों ने आरोप लगाए कि ये ऐप्स मोबाइल फोन के कॉन्टैक्ट्स, गैलरी और व्यक्तिगत दस्तावेज़ों तक बिना अनुमति पहुँच बनाकर उन्हें ब्लैकमेल करते हैं.
विशेषज्ञों का कहना है कि अधिकांश अवैध ऐप्स ऐसे तंत्रों पर आधारित होते हैं, जो उपयोगकर्ताओं की संवेदनशील जानकारी हासिल करने के बाद उन्हें धमकाकर मनमाना भुगतान वसूलते हैं. भारत सरकार इन जोखिमों को गंभीरता से लेते हुए ऐसे ऐप्स के नेटवर्क पर लगातार निगरानी रख रही थी, जिसके बाद यह व्यापक कार्रवाई सामने आई.
मंत्री का बयान: डिजिटल सुरक्षा सर्वोपरि
राज्यमंत्री हर्ष मल्होत्रा ने संसद में स्पष्ट कहा कि सरकार किसी भी डिजिटल प्लेटफॉर्म को देश के कानूनों का उल्लंघन करने की अनुमति नहीं देगी. उनका कहना था कि कंपनी अधिनियम और आईटी अधिनियम के प्रावधानों के आधार पर यह कार्रवाई इसलिए आवश्यक थी, क्योंकि नागरिकों की सुरक्षा और गोपनीयता सरकार की प्राथमिकता है.
उन्होंने यह भी बताया कि सरकार नए नियम और तकनीकी उपाय लागू कर रही है, ताकि लोग सुरक्षित वातावरण में डिजिटल लेनदेन कर सकें और किसी प्रकार की ऑनलाइन ठगी या उत्पीड़न का सामना न करें.
लोन ऐप्स का दुष्चक्र: 25% तक ब्याज और ब्लैकमेलिंग की रणनीति
अवैध लोन ऐप्स की सबसे खतरनाक बात उनका अत्यधिक ब्याज दर वसूली का तरीका है. कई रिपोर्टों में यह सामने आया है कि ये ऐप्स प्रति माह 20 से 25 प्रतिशत तक ब्याज मांगते हैं. लोन लेने वाले व्यक्ति के लिए इस अवैध ऋण-चक्र से बाहर निकलना लगभग असंभव हो जाता है.
जो लोग भुगतान में देरी करते हैं या अतिरिक्त ब्याज देने से इनकार करते हैं, उन्हें इन ऐप्स की ओर से धमकियाँ दी जाती हैं. कई मामलों में उपयोगकर्ता की तस्वीरों को एडिट कर उन्हें बदनाम करने की कोशिश की जाती है. पीड़ितों के परिवार और दोस्तों को भी लगातार कॉल कर डराया जाता है, जिससे कई लोग मानसिक तनाव और सामाजिक दबाव का शिकार होते हैं.
बार-बार प्रतिबंधों के बावजूद ऐप्स का फिर सक्रिय होना
हालांकि अवैध ऐप्स पर पहले भी कई बार कार्रवाई की गई है, लेकिन इनमें से कई डेवलपर टीमें ऐप्स के नाम बदलकर या नए प्लेटफॉर्म बनाकर फिर से बाजार में अपनी मौजूदगी बना लेती हैं. सरकार इस चक्रीय प्रक्रिया को रोकने के लिए एक स्थायी व्यवस्था तैयार कर रही है, जिसमें ऐप की रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया, डेटा एक्सेस परमिशन और वित्तीय नियमन को और सख्त बनाने की योजना है.
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