नई दिल्ली की सुबह 24 नवंबर की वो घड़ी कभी नहीं भूल पाएगी, जब एक ऐसी खबर आई जिसने पूरे देश को शोक में डुबो दिया. हिंदी सिनेमा के अमर कलाकार और करोड़ों दिलों के हीरो धर्मेंद्र ने 89 वर्ष की उम्र में अंतिम सांस ली. महीनों से चल रही स्वास्थ्य समस्याओं के कारण उन्हें बीच-बीच में अस्पताल में भर्ती होना पड़ रहा था.
हाल ही में ब्रीच कैंडी अस्पताल से घर लौटने के बाद ऐसा लगा था कि उनकी हालत अब सुधर रही है. लेकिन किस्मत को शायद कुछ और मंजूर था. अचानक उनकी तबीयत दोबारा बिगड़ी और दोपहर तक वह इस दुनिया से विदा हो गए. उनके जाने के साथ भारतीय सिनेमा का एक सुनहरा युग भी सिमट गया.
फिल्म इंडस्ट्री में मातम, एक हीरो नहीं, एक भावनात्मक विरासत चली गई
धर्मेंद्र के निधन की खबर ने न सिर्फ उनके परिवार और दोस्तों को, बल्कि पूरे फिल्म जगत को सदमें में डाल दिया. उनकी लोकप्रियता सिर्फ पर्दे तक सीमित नहीं थी, वह अपने प्रशंसकों के लिए भावनाओं का हिस्सा बन चुके थे. सोशल मीडिया पर हर तरफ श्रद्धांजलि के संदेशों की बाढ़ आ गई है. उनके साथ काम करने वाले कलाकारों ने बताया कि धर्मेंद्र जैसे सादगीभरे, दिलदार और गर्मजोशी से भरे इंसान अब शायद ही मिलें. उनकी सबसे ऐतिहासिक ऑन-स्क्रीन दोस्ती ‘शोले’ की जय-वीरु जोड़ी के साथ दर्ज है. और अब, 50 साल बाद, वह जोड़ी हमेशा के लिए बिछड़ गई. यह खबर अमिताभ बच्चन को भीतर तक तोड़ गई है. धर्मेंद्र उनके लिए सिर्फ एक सह-कलाकार नहीं, बल्कि परिवार जैसा रिश्ता थे.
अमिताभ बच्चन की रातभर टूटी नींद—ढाई बजे लिखी दिल दहला देने वाली पोस्ट
धर्मेंद्र के अंतिम संस्कार में बेटे अभिषेक के साथ शामिल होने के बाद बिग बी पूरी रात सो नहीं पाए. यादें और भावनाएं उन्हें लगातार बेचैन करती रहीं. रात के ढाई बजे उन्होंने एक्स पर एक बेहद भावुक पोस्ट लिखी, जिसने हर पाठक का दिल पिघला दिया. अमिताभ ने लिखा “एक और बहादुर दिग्गज हमें छोड़ गया है… मंच खाली हो गया है… और पीछे एक ऐसी खामोशी रह गई है, जिसे स्वीकार कर पाना बेहद कठिन है. धरम जी… महानता की जीती-जागती मिसाल. सिर्फ अपनी कद-काठी के कारण नहीं, बल्कि उस विशाल दिल के कारण, जिसकी गर्माहट हर मिलने वाले तक पहुंचती थी.”
उन्होंने आगे लिखा, “वह अपने साथ पंजाब की मिट्टी की खुशबू लेकर आए थे, और अपने लंबे करियर में उन्होंने कभी अपनी सच्चाई और सादगी नहीं छोड़ी. फिल्म इंडस्ट्री बदलती रही, दौर बदलते रहे, स्टार्स आते-जाते रहे, लेकिन धरम जी अपनी मुस्कान और अपनी विनम्रता के साथ हमेशा एक जैसे रहे. उनके जाने के बाद हवा में एक अजीब सी खालीपन है… एक ऐसा खालीपन जो शायद कभी भर नहीं पाएगा.”
पूरे देश की स्मृतियों में एक गहरी रिक्तता है
धर्मेंद्र सिर्फ अभिनय नहीं थे, बल्कि एक संवेदना थे. उनका जाना किसी एक परिवार का नुकसान नहीं, बल्कि पूरे देश की स्मृतियों में एक गहरी रिक्तता है. उनकी मुस्कान, उनकी शैली, उनकी इंसानियत और उनके संवाद हमेशा भारतीय सिनेमा के इतिहास में दर्ज रहेंगे.
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