Asim Munir Latest News: पाकिस्तान में एक बार फिर सत्ता और सेना के बीच टकराव की लकीर गहरी होती जा रही है. ऑपरेशन सिंदूर में भारत के हाथों करारी हार झेलने के बावजूद पाकिस्तानी आर्मी चीफ आसिम मुनीर को न सिर्फ फील्ड मार्शल बना दिया गया है, बल्कि अब उन्हें और शक्तिशाली बनाने की तैयारी भी चल रही है. प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की सरकार जल्द ही संविधान में 27वां संशोधन लाने जा रही है, जिससे मुनीर को नए अधिकार और बढ़ा हुआ कार्यकाल मिल सकता है.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, सरकार संविधान के अनुच्छेद 243 में बदलाव करने जा रही है, जो पाकिस्तानी सशस्त्र बलों की कमान और नियंत्रण से जुड़ा है. यह संशोधन अगर पारित होता है, तो फील्ड मार्शल मुनीर को कमांडर-इन-चीफ जैसी असीमित शक्तियाँ मिल सकती हैं.
हालाँकि, इस निर्णय को लेकर शहबाज शरीफ सरकार पूरी तरह चुप है. मगर इमरान खान की गिरती लोकप्रियता और सेना की बढ़ती भूमिका के बीच यह कदम देश के सत्ता समीकरण को पूरी तरह बदल सकता है.
पीपीपी को मिला समर्थन का प्रस्ताव
दिलचस्प बात यह है कि संविधान संशोधन की जानकारी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने नहीं, बल्कि पीपीपी नेता बिलावल भुट्टो ने सार्वजनिक की. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (X) पर लिखा कि शहबाज शरीफ ने उनकी पार्टी से संविधान संशोधन में समर्थन मांगा है.
बिलावल के इस खुलासे के बाद पाकिस्तान में यह चर्चा और तेज हो गई है कि सरकार फील्ड मार्शल मुनीर के लिए संवैधानिक रास्ता साफ करने में जुटी है.
क्यों बढ़ाई जा रही है आसिम मुनीर की ताकत?
आसिम मुनीर इस महीने यानी 28 नवंबर 2025 को रिटायर होने वाले हैं. लेकिन अब सरकार संविधान में बदलाव करके उनकी सेवा अवधि बढ़ाने का रास्ता तलाश रही है.
कानून राज्य मंत्री अकील मलिक के अनुसार, 1973 के संविधान के लागू होने के बाद यह पहला मौका होगा जब किसी अधिकारी को फील्ड मार्शल बनाया गया है. उन्होंने कहा कि सरकार इस पद को संवैधानिक दर्जा देने पर विचार कर रही है.
पूर्व सांसद और अमेरिकी राजनयिकों ने जताई चिंता
पूर्व पाकिस्तानी सांसद मुस्तफा नवाज खोखर ने आरोप लगाया कि यह संशोधन केवल सेना की ताकत बढ़ाने के लिए है. उन्होंने लिखा, "27वें संशोधन का असली उद्देश्य अनुच्छेद 243 में बदलाव करना है, जो सशस्त्र बलों की कमान और सेवा प्रमुखों की नियुक्ति से जुड़ा है. बाकी सब दिखावा है.”
वहीं, अमेरिका के पूर्व राजदूत खलीलजाद ने भी चेतावनी दी कि अगर यह संशोधन पास होता है, तो पाकिस्तान में सेना पर नागरिक नियंत्रण खत्म हो सकता है.
पाकिस्तान में ‘लोकतंत्र बनाम वर्दी’ की नई जंग
पाकिस्तान का इतिहास बताता है कि वहाँ लोकतांत्रिक सत्ता और सैन्य ताकत हमेशा आमने-सामने रही हैं. फील्ड मार्शल मुनीर को संविधान के जरिए अधिक शक्तियाँ देना पाकिस्तान को एक बार फिर मिलिट्री-डॉमिनेटेड स्टेट में बदल सकता है. जहाँ एक तरफ शरीफ सरकार कह रही है कि यह “संविधानिक सुधार” है, वहीं विपक्ष और विदेशी विशेषज्ञ इसे “सेना तानाशाही की वापसी” के तौर पर देख रहे हैं.
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