Rakhi With Khaki: रक्षाबंधन सिर्फ एक त्योहार नहीं होता ये भरोसे की एक डोर होती है, एक ऐसा वादा जो बहन अपने भाई से करती है कि वह हमेशा उसकी हिफाज़त करेगा. इस बार दिल्ली पुलिस ने इस वादे को एक नई परिभाषा दी.
दिल्ली के आउटर जिले में पुलिस ने "राखी विद खाकी" नाम से एक दिल छू लेने वाली पहल शुरू की. रानी बाग और राज पार्क थानों की पुलिस टीमें सरकारी स्कूलों में पहुंचीं, जहां छात्राओं ने पुलिसकर्मियों की कलाई पर राखी बांधकर उन्हें अपना ‘रक्षक भाई’ बना लिया.
जब वर्दी बनी रिश्तों की डोर
इस अनूठे आयोजन में छात्राओं की आंखों में जो विश्वास था, वह शब्दों से परे था. एक ओर जहां राखी बांधते वक्त बहनों ने मुस्कुराकर ‘धन्यवाद’ कहा, वहीं दूसरी ओर पुलिसकर्मियों ने गंभीरता से यह वादा किया “आपकी सुरक्षा अब सिर्फ हमारा काम नहीं, हमारी ज़िम्मेदारी भी है.”

डीसीपी सचिन शर्मा ने बताया कि इस पहल का मकसद केवल त्योहार मनाना नहीं था, बल्कि छात्राओं और पुलिस के बीच भरोसे की दीवार को और मजबूत करना था. यह जरूरी भी है, क्योंकि कई बार बच्चे पुलिस को देखकर झिझकते हैं या डरते हैं. लेकिन जब वही पुलिस उनके स्कूल में आकर रक्षाबंधन मनाए, तो वो डर विश्वास में बदल जाता है.
जब हर बहन को मिला एक ‘खाकी’ भाई
इस कार्यक्रम के दौरान पुलिसकर्मियों ने बच्चियों को आत्मरक्षा की सलाह दी, जरूरी हेल्पलाइन नंबर बताए और भरोसा दिया कि वो हर हाल में उनके साथ खड़े हैं. कई छात्राओं ने कहा कि यह उनके लिए एक यादगार अनुभव था. उन्होंने पहली बार किसी पुलिसवाले को एक ‘भाई’ की तरह देखा.

त्योहार से आगे की बात
"राखी विद खाकी" जैसे अभियान त्योहारों को समाज के साथ जोड़ते हैं. यह पहल दिखाती है कि पुलिस महज़ कानून व्यवस्था संभालने वाला विभाग नहीं, बल्कि समाज का एक संवेदनशील और ज़िम्मेदार हिस्सा है. ऐसे प्रयास ही पुलिस की छवि को जनता की नजरों में इंसानियत से भरपूर बनाते हैं.इस रक्षाबंधन, दिल्ली पुलिस ने ये दिखा दिया कि वर्दी के पीछे दिल भी धड़कता है. एक ऐसा दिल जो बहनों के लिए धड़कता है, एक ऐसा भाई जो हथियार नहीं, भरोसा लेकर खड़ा होता है.
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