दिल्ली ब्लास्ट के आतंकी कर रहे थे 'सेशन' ऐप का इस्तेमाल, मैसेज के लिए फोन नंबर और ईमेल की जरूरत नहीं

    दिल्ली के लाल किले के आसपास 10 नवंबर को हुए कार ब्लास्ट ने देश की सुरक्षा एजेंसियों को हाई अलर्ट पर ला दिया था. इस धमाके में 13 लोगों की मौत हुई थी. शुरुआती जांच में यह स्पष्ट हुआ कि हमले की योजना और उसे अंजाम देने में शामिल आतंकी लगातार ऐसे एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग प्लेटफॉर्म का उपयोग कर रहे थे, जिन पर संचार को ट्रैक करना बेहद मुश्किल होता है.

    Delhi blast terrorists were using Session app
    प्रतिकात्मक तस्वीर/ ANI

    दिल्ली के लाल किले के आसपास 10 नवंबर को हुए कार ब्लास्ट ने देश की सुरक्षा एजेंसियों को हाई अलर्ट पर ला दिया था. इस धमाके में 13 लोगों की मौत हुई थी. शुरुआती जांच में यह स्पष्ट हुआ कि हमले की योजना और उसे अंजाम देने में शामिल आतंकी लगातार ऐसे एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग प्लेटफॉर्म का उपयोग कर रहे थे, जिन पर संचार को ट्रैक करना बेहद मुश्किल होता है.

    पूछताछ में गिरफ्त में लिए गए दो आरोपियों डॉ. मुजम्मिल और उमर ने बताया कि उन्होंने अपने विदेशी हैंडलर्स से कॉर्डिनेशन के लिए टेलीग्राम, सिग्नल और सेशन जैसे एन्क्रिप्टेड ऐप्स का इस्तेमाल किया था. सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार इसी वजह से उनकी बातचीत तक पहुंचना या उसके स्रोत का पता लगाना चुनौतीपूर्ण बना रहा.

    टेलीग्राम से सिग्नल और फिर सेशन पर शिफ्ट

    एक प्रमुख मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, जैश-ए-मोहम्मद और अंसार गजवात-उल-हिंद से जुड़े चार आतंकी वर्ष 2022 में तुर्की गए थे. वहां उनकी मुलाकात "उकासा" कोडनेम से पहचाने जाने वाले एक ऑपरेटर से हुई.

    पहले चरण में बातचीत टेलीग्राम पर होती थी, लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने अपनी कम्युनिकेशन रणनीति को और गोपनीय बनाते हुए सिग्नल और सेशन जैसे कठिन-ट्रेस ऐप्स का इस्तेमाल शुरू किया.

    जांच एजेंसियों का अनुमान है कि यह बदलाव पूरी तरह सोची-समझी सुरक्षा रणनीति का हिस्सा था, ताकि भारतीय एजेंसियों की निगरानी से बचा जा सके.

    ये तीनों मैसेजिंग ऐप क्यों बन गए आतंकियों की पसंद?

    1. टेलीग्राम

    • टेलीग्राम एक लोकप्रिय मल्टी-प्लेटफॉर्म मैसेजिंग ऐप है. इसके ‘सीक्रेट चैट’ फीचर में एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन मिलता है.
    • उपयोगकर्ता पासकोड लॉक, 2-फैक्टर ऑथेंटिकेशन, सेल्फ-डिस्ट्रक्ट मैसेज जैसी सुविधाओं का उपयोग कर सकते हैं.
    • बड़े ग्रुप्स बनाने और फाइल शेयर करने की सुविधा के कारण इसका दुरुपयोग भी कई बार देखा गया है.

    2. सिग्नल

    • सिग्नल को दुनिया के सबसे सुरक्षित मैसेजिंग ऐप्स में गिना जाता है.
    • पूरा प्लेटफॉर्म एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन पर आधारित है.
    • फोन नंबर छिपाने के लिए यूज़रनेम का विकल्प भी दिया गया है, जिससे उपयोगकर्ताओं की पहचान छिपाना आसान हो जाता है.

    3. सेशन

    • सेशन को पूरी तरह गोपनीयता-केंद्रित ऐप माना जाता है.
    • इस पर अकाउंट बनाने के लिए फोन नंबर या ईमेल की आवश्यकता नहीं होती.
    • यह एक विकेंद्रीकृत नेटवर्क पर चलता है, जिसमें मेटाडेटा भी सुरक्षित रहता है.
    • ओनियन-रूटिंग जैसी तकनीक इसे लगभग ट्रेस-प्रूफ बनाती है.

    इसी कारण हाल के वर्षों में अपराधियों और उग्रवादी संगठनों में यह ऐप तेजी से लोकप्रिय हुआ है.

    हमले के पीछे ‘सीरियल रिवेंज प्लान’ का खुलासा

    जांच के दौरान पुलिस और केंद्रीय एजेंसियों ने बताया कि 10 नवंबर का ब्लास्ट किसी एकल घटना का हिस्सा नहीं था, बल्कि एक बड़े हमले की श्रृंखला की योजना का आरंभ था.
    पुलिस सूत्रों के अनुसार, आतंकी 6 दिसंबर जो बाबरी मस्जिद ढहाए जाने की बरसी है, को देश के कई हिस्सों में बड़े धमाके करने की तैयारी कर रहे थे.

    • इसके लिए 32 कारों में विस्फोटक सामग्री भरने की योजना बनाई गई थी.
    • अब तक सुरक्षा एजेंसियाँ चार कारों को बरामद कर चुकी हैं.
    • 10 नवंबर को विस्फोटित हुई आई20 कार इसी नेटवर्क का हिस्सा थी.

    जांच अधिकारियों का कहना है कि सोशल मीडिया और एन्क्रिप्टेड ऐप्स के जरिए हैंडलर्स लगातार आतंकी मॉड्यूल को निर्देश दे रहे थे, और इनमें से ज्यादातर बातचीत ऐसे माध्यमों से हुई जिनका डिक्रिप्शन संभव नहीं है.

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