दुश्मनों की हर चाल होगी नाकाम, भारतीय सेना को मिलेगा स्वदेशी ‘बाज़’ अटैक ड्रोन; बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरू

    Baaz Attack Drone: भारतीय रक्षा तकनीक में एक बड़ा कदम उठाते हुए सेना ने स्वदेशी रूप से विकसित ‘बाज़’ (Baaz) अटैक ड्रोन को अब बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए हरी झंडी दे दी है. इस ड्रोन की पूरी तकनीक यानी ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी (ToT) चुनिंदा भारतीय निजी कंपनियों को सौंप दी गई है, जिसके बाद यह ड्रोन पूरी तरह भारत में निर्मित होगा और आने वाले वर्षों में सेना के बेड़े में शामिल होने लगेगा. 

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    Baaz Attack Drone: भारतीय रक्षा तकनीक में एक बड़ा कदम उठाते हुए सेना ने स्वदेशी रूप से विकसित ‘बाज़’ (Baaz) अटैक ड्रोन को अब बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए हरी झंडी दे दी है. इस ड्रोन की पूरी तकनीक यानी ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी (ToT) चुनिंदा भारतीय निजी कंपनियों को सौंप दी गई है, जिसके बाद यह ड्रोन पूरी तरह भारत में निर्मित होगा और आने वाले वर्षों में सेना के बेड़े में शामिल होने लगेगा. 

    इस प्रोजेक्ट का नेतृत्व कर्नल विकास चतुर्वेदी ने किया, जिन्होंने इसे स्वयं डिजाइन किया है. यह भारतीय सेना के अनुभव और निजी रक्षा उद्योग की क्षमता के सम्मिश्रण का मजबूत उदाहरण बनकर उभरा है.

    क्या है ‘बाज़’ ड्रोन और क्यों है यह खास?

    ‘बाज़’ एक मल्टी-रोल अटैक ड्रोन है, जो जासूसी, निगरानी, हमला और लॉजिस्टिक सपोर्ट, चारों भूमिकाओं को एक साथ निभाने में सक्षम है. इसकी सबसे बड़ी ताकत यह है कि यह दुश्मन के ठिकानों पर दूरी से सटीक हमला कर सकता है और मिशन के बाद सुरक्षित वापस लौट आता है.

    मुख्य क्षमताएँ

    • दुश्मन के टैंक, बंकर और हथियार भंडार पर हमला करने में सक्षम
    • रॉकेट, ग्रेनेड और हल्की मिसाइलें ले जाने की क्षमता
    • जासूसी, निगरानी और सैनिकों तक सामान पहुंचाने का कार्य कर सकता है
    • पूरी तरह ऑटोनॉमस, यानी यह खुद उड़ान भर सकता है और तय मार्ग पर मिशन पूरा कर सकता है
    • ज़रूरत पड़ने पर मैनुअल नियंत्रण भी उपलब्ध
    • हाई-रेज़ोल्यूशन कैमरा और फायर-कंट्रोल सिस्टम, जिससे निशाना पूरी सटीकता से लगता है

    दुनिया का पहला ड्रोन जो हवा से रॉकेट दाग सकता है

    ड्रोन तकनीक में यह अत्यंत महत्वपूर्ण उपलब्धि है. अब तक दुनिया भर में ज्यादातर ड्रोन हवा से केवल छोटे बम या ग्रेनेड गिराते थे. ‘बाज़’ पहला ऐसा ड्रोन माना जा रहा है जो हवा में रहते हुए एक छोटे रॉकेट लॉन्चर से रॉकेट फायर कर सकता है.

    इस तकनीक से टैंक और बख्तरबंद गाड़ियों को 5–10 किलोमीटर दूर से नष्ट किया जा सकता है. ड्रोन ऑपरेटर सुरक्षित दूरी पर रहते हैं. हमला बेहद सटीक होता है क्योंकि कैमरा और हथियार की साइट सिंक रहती है. यह तकनीक सीमा क्षेत्रों में लड़ाई का तरीका बदल सकती है.

    सेना में कब शामिल होगा ‘बाज़’?

    तकनीक निजी कंपनियों को मिलने के बाद अब इसका उत्पादन बड़े पैमाने पर शुरू किया जा रहा है. अनुमान है कि 2026-27 से ‘बाज़’ की पहली स्क्वाड्रन सेना में शामिल होने लगेगी. एक स्क्वाड्रन में 20–30 ड्रोन होंगे. सीमा पर तैनात यूनिटों को इससे बड़ी ताकत मिलेगी. सेना अधिकारियों का कहना है कि यह ड्रोन भविष्य के युद्धों का अहम हथियार बनेगा और पारंपरिक खतरों के मुकाबले सैनिकों की जान जोखिम में नहीं पड़ेगी.

    विदेशी देशों से भी बढ़ी दिलचस्पी

    ‘बाज़’ के डिजाइन और उसकी अटैक क्षमता को देखते हुए कई देशों ने पहले ही इसकी जानकारी माँगी है. रक्षा मंत्रालय के अनुसार, आने वाले समय में यह भारत का बड़ा डिफेंस एक्सपोर्ट प्रोडक्ट बन सकता है.

    डिज़ाइनर कर्नल विकास चतुर्वेदी का दृष्टिकोण

    ड्रोन के डिज़ाइनर कर्नल विकास चतुर्वेदी के मुताबिक, यह प्रोजेक्ट उन भारतीय जवानों को ध्यान में रखकर बनाया गया है जो सीमाओं पर कठिन परिस्थितियों में देश की रक्षा करते हैं. उनका कहना है, “बाज़ जवानों की ढाल भी बनेगा और उनकी ताकत भी. युद्ध के जोखिम कम होंगे और दुश्मन को दूरी से ही जवाब दिया जा सकेगा.”

    भारत का नया रक्षा संदेश

    ‘बाज़’ के सफल विकास और उत्पादन के साथ भारत यह संदेश दे रहा है कि वह अब केवल ड्रोन खरीदने वाला देश नहीं, बल्कि आधुनिक युद्ध तकनीक बनाने वाला वैश्विक खिलाड़ी भी बन चुका है. दुनिया में यह पहला ड्रोन है जो रॉकेट लॉन्चिंग क्षमता के साथ आता है, और यह साबित करता है कि भारतीय तकनीक अब उच्चतम वैश्विक मानकों को चुनौती देने की स्थिति में है.

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