Rajnath Singh On Vande Mataram: भारत की संसद में आज वंदे मातरम् की 150वीं वर्षगांठ के अवसर पर दोनों सदनों में इस गीत और इसके ऐतिहासिक महत्व पर विस्तृत चर्चा चल रही है. इस अवसर पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सदन में अपनी राय रखते हुए वंदे मातरम् के राष्ट्रीय और सांस्कृतिक महत्व पर जोर दिया. उन्होंने कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी के उस सवाल का जवाब भी दिया, जिसमें उन्होंने पूछा था कि वंदे मातरम् पर बहस क्यों आवश्यक है.
राजनाथ सिंह ने सदन में बताया कि बंगाल विभाजन के समय यह गीत पूरी धरती पर गूंजा और लोगों के मन में देशभक्ति की भावना को जगाया. ब्रिटिश शासन को इस गीत से डर था और उन्होंने इसे रोकने की कोशिशें की, लेकिन आम जनता इसे सुनने और गाने से नहीं रुकी. उन्होंने यह भी कहा कि आज जब हम इस गीत की वर्षगांठ मना रहे हैं, तब यह स्वीकार करना आवश्यक है कि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद वंदे मातरम् को वह सम्मान नहीं मिला, जो इसे मिलना चाहिए था.
वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूरे होने पर लोकसभा में आयोजित विशेष चर्चा में संबोधन। https://t.co/4OsLNUmnPK
— Rajnath Singh (@rajnathsingh) December 8, 2025
उन्होंने कहा कि जबकि राष्ट्रीय गान ‘जन गण मन’ मुख्यधारा में स्थान पा गया, वंदे मातरम् को राजनीतिक और सांप्रदायिक कारणों से खंडित कर दिया गया. इसका ऐतिहासिक कारण यह था कि 1937 में कांग्रेस ने वंदे मातरम् को अपने राजनीतिक उद्देश्यों के लिए खंडित करने का निर्णय लिया था.
वंदे मातरम् और राजनीतिक इतिहास
रक्षा मंत्री ने सदन को बताया कि वंदे मातरम् की पंक्तियों को कभी सांप्रदायिक रूप से गलत तरीके से पेश किया गया. उन्होंने कहा कि गीत का उद्देश्य किसी भी धर्म के खिलाफ नहीं था, बल्कि यह भारत की संस्कृति और मातृभूमि की आराधना का प्रतीक है. उन्होंने यह भी कहा कि कुछ राजनीतिक ताकतों ने इस गीत को राजनीतिक तुष्टीकरण और विभाजनकारी मानसिकता के तहत खंडित किया.
वंदे मातरम् और राष्ट्रीय गौरव
राजनाथ सिंह ने जोर देकर कहा कि वंदे मातरम् राष्ट्रीय भावना का अमरगीत है और यह हमेशा देशवासियों के दिलों में जीवित रहेगा. उन्होंने बताया कि यह गीत आज भी देशभक्ति और मातृभूमि की सेवा की भावना को प्रेरित करता है. उन्होंने यह भी कहा कि वंदे मातरम् और जन गण मन दोनों ही भारत के गौरव हैं और दोनों को बराबरी का सम्मान मिलना चाहिए.
विभाजन, नक्सलवाद और सामाजिक असमानताएं
रक्षा मंत्री ने इतिहास की ओर इशारा करते हुए कहा कि तुष्टीकरण की राजनीति, विभाजन और वामपंथी विचारधारा के कारण कई पीढ़ियों को नुकसान हुआ. उन्होंने बताया कि लेफ्ट विंग उग्रवाद और नक्सलवाद ने समाज में अस्थिरता पैदा की और इससे युवाओं की पीढ़ियों को खतरा हुआ. इसके अलावा उन्होंने कहा कि कुछ पड़ोसी देशों से आए शरणार्थियों और मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों के मामलों में भी तुष्टीकरण ने असमानता पैदा की.
बंगाल का उदाहरण और सांस्कृतिक चेतावनी
राजनाथ सिंह ने बंगाल को उदाहरण के रूप में पेश किया. उन्होंने बताया कि जहां से भारत की राष्ट्रीय एकता और शिक्षा के क्षेत्र में पहल हुई, वही भूमि आज कई सामाजिक और आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रही है. उन्होंने कहा कि बंगाल में सांप्रदायिक और राजनीतिक असंतुलन, तुष्टीकरण, और स्थानीय नीतियों के कारण सामाजिक और आर्थिक पतन हुआ.
वंदे मातरम् को पुनः सम्मानित करने की आवश्यकता
रक्षा मंत्री ने सदन को यह विश्वास दिलाया कि आज का यह उत्सव केवल वर्षगांठ मनाने के लिए नहीं है, बल्कि यह वंदे मातरम् को उसका वास्तविक और नैतिक सम्मान दिलाने का प्रयास है. उन्होंने कहा कि इसे खंडित करने वाले ऐतिहासिक निर्णयों को सुधारा जाना चाहिए और राष्ट्रीय संस्कृति और परंपराओं के महत्व को फिर से स्थापित करना चाहिए.
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