तुर्की ने पाकिस्तान को उत्तरी साइप्रस में अपनी रणनीतिक मौजूदगी को बढ़ाने का प्रस्ताव दिया है, जो तुर्की द्वारा अवैध रूप से कब्जा किए गए क्षेत्र में आता है. तुर्की ने इसे "तुर्की गणराज्य उत्तरी साइप्रस" के रूप में मान्यता दी है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय समुदाय इसे साइप्रस का हिस्सा मानता है. यह क्षेत्र और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) के बीच की समानता को लेकर विश्लेषकों के बीच चर्चा हो रही है, क्योंकि दोनों ही क्षेत्र अवैध कब्जे के तहत आते हैं. तुर्की और पाकिस्तान के बीच बढ़ते संबंधों को भू-राजनीतिक दृष्टिकोण से देखा जा रहा है, खासकर तब जब भारत ने साइप्रस के साथ अपनी रणनीतिक साझेदारी को बढ़ाने का ऐलान किया है.
पाकिस्तान में तुर्की के विदेश और रक्षा मंत्रियों का दौरा
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय द्वारा जारी किए गए बयान के अनुसार, तुर्की के विदेश मंत्री हाकन फिदान और रक्षा मंत्री यासर गुलर ने पाकिस्तान दौरे के दौरान दोनों देशों के मजबूत और ऐतिहासिक रिश्तों को लेकर चर्चा की. दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देने, व्यापार, निवेश और ऊर्जा क्षेत्र में साझेदारी को गहरा करने पर जोर दिया. तुर्की के विदेश मंत्री ने पाकिस्तान के साथ सहयोग को और मजबूत करने की तुर्की की इच्छा व्यक्त करते हुए राष्ट्रपति रेचेप तैयप एर्दोगन की ओर से हार्दिक शुभकामनाएं भेजी. उन्होंने पाकिस्तान और तुर्की के बीच सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और धार्मिक संबंधों का भी उल्लेख किया, जो दोनों देशों के रिश्तों की नींव माने जाते हैं.
उत्तरी साइप्रस में पाकिस्तान की भूमिका
तुर्की के विदेश मंत्री हाकन फिदान ने इस दौरे के दौरान पाकिस्तान से उत्तरी साइप्रस में अपनी भूमिका बढ़ाने का प्रस्ताव दिया. तुर्की ने 1974 में साइप्रस के उत्तरी हिस्से पर अवैध कब्जा किया था और इसे एक स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता दी है, हालांकि अंतरराष्ट्रीय समुदाय इसे साइप्रस का हिस्सा ही मानता है. तुर्की के कब्जे वाले उत्तरी साइप्रस का क्षेत्र साइप्रस के उत्तर-पूर्वी हिस्से से लेकर पश्चिम में कोकिना एक्सक्लेव तक फैला हुआ है. यह क्षेत्र दशकों से विवादित है, और यहां तुर्की ने 35,000 सैनिक तैनात कर रखे हैं.
साइप्रस संघर्ष की शुरुआत 1974 में यूनान सरकार के समर्थन से हुए एक सैन्य तख्तापलट के बाद हुई थी, जिसके बाद तुर्की ने उत्तरी साइप्रस पर आक्रमण कर दिया. इस दौरान तुर्की ने साइप्रस के प्रमुख पर्यटक शहर वरोशा पर भी कब्जा किया था, जो अब 47 सालों से निर्जन पड़ा हुआ है. तुर्की ने अपने कब्जे को औपचारिक रूप से एक स्वघोषित "तुर्की गणराज्य उत्तरी साइप्रस" के रूप में पेश किया, जिसे सिर्फ तुर्की ने स्वीकार किया है.
भारत के लिए नई चुनौतियां
पाकिस्तान और तुर्की के बीच बढ़ती दोस्ती भारत के लिए चिंता का विषय बन सकती है. तुर्की द्वारा पाकिस्तान को उत्तरी साइप्रस में अपनी मौजूदगी बढ़ाने का प्रस्ताव, एक महत्वपूर्ण भू-राजनीतिक कदम है, जो भारत के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है. पिछले महीने, भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साइप्रस की यात्रा की थी, जहां उन्होंने साइप्रस के साथ अपने रणनीतिक रिश्तों को और मजबूत करने का संकल्प लिया. प्रधानमंत्री मोदी ने साइप्रस की राजधानी निकोसिया से तुर्की के कब्जे वाले उत्तरी साइप्रस की सीमा को भी देखा था. इस यात्रा के दौरान, मोदी ने साइप्रस के साथ रक्षा और व्यापार सहयोग बढ़ाने की दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए थे.
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