दुबई एयरशो में ब्रह्मोस मिसाइल देखने के लिए उमड़ी भीड़, पाकिस्तानी एयरबेस तबाह करने का बाद बढ़ी डिमांड

    हालिया सैन्य अभियानों में असाधारण प्रदर्शन के बाद भारत की ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल वैश्विक रक्षा बाज़ार का केंद्र बन गई है.

    Crowd gathered to see BrahMos missile in Dubai Airshow
    Image Source: Social Media

    दुबई: हालिया सैन्य अभियानों में असाधारण प्रदर्शन के बाद भारत की ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल वैश्विक रक्षा बाज़ार का केंद्र बन गई है. दुबई एयरशो में भारतीय पवेलियन उन गिने-चुने स्थानों में शामिल रहा जहाँ लगातार सबसे ज्यादा अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधिमंडल पहुंचे. खाड़ी देशों, दक्षिण-पूर्व एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिकी राष्ट्रों के सैन्य अधिकारी ब्रह्मोस की क्षमताओं और खरीद प्रक्रियाओं पर जानकारी लेने पहुँचे और कई प्रतिनिधिमंडलों ने “गहरी रुचि” जताई.

    ब्रह्मोस एरोस्पेस के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि इस वर्ष संभावित खरीदारों की संख्या पिछले वर्षों की तुलना में तीन गुना बढ़ी है. दो देशों के साथ सरकार-से-सरकार (G2G) रक्षा समझौते लगभग अंतिम चरण में हैं, जबकि 3–4 देशों के साथ औपचारिक चर्चा जारी है.

    क्यों बढ़ी ब्रह्मोस की वैश्विक मांग?

    ब्रह्मोस की वैश्विक लोकप्रियता में सबसे बड़ा मोड़ उस सैन्य अभियान के बाद आया, जिसमें भारतीय लड़ाकू विमानों ने ब्रह्मोस-A वैरिएंट का इस्तेमाल करते हुए पाकिस्तान के अत्यधिक संरक्षित एयरबेसों पर सटीक प्रहार किए.

    पाकिस्तान ने इन सेन्य ठिकानों की सुरक्षा के लिए चीन से मिले HQ-9BE और HQ-16FE एयर डिफेंस सिस्टम तैनात किए थे. लेकिन ब्रह्मोस की हाई-स्पीड प्रोफाइल और फ्लाइट-मैनुवरिंग तकनीकों ने इन सिस्टमों को निष्क्रिय कर दिया.

    पाकिस्तानी अधिकारियों के अनुसार, मिसाइल इतनी तेज गति से लक्ष्यों की ओर बढ़ी कि उनकी सेना के पास प्रतिक्रिया के लिए 30 सेकंड से भी कम समय था, जिससे काउंटर-मेजर सिस्टम सक्रिय ही नहीं हो पाया.

    ब्रह्मोस के हमले की तकनीकी खासियत:

    • अंतिम चरण में सी-स्किमिंग
    • अचानक हाई पॉप-अप
    • जटिल “S” मैनुवर
    • केवल 12 मीटर की ऊँचाई से वर्टिकल स्ट्राइक

    इन क्षमताओं ने इसे आधुनिक युद्धक्षेत्र में सबसे भरोसेमंद सुपरसोनिक हथियारों में शामिल कर दिया है.

    दुबई एयरशो में विदेशी प्रतिनिधिमंडलों की पूछताछ

    भारतीय पवेलियन पर आए कई देशों के रक्षा अधिकारियों ने—

    • ब्रह्मोस के विभिन्न वैरिएंट
    • इसकी रेंज
    • लक्ष्य भेदने की क्षमता
    • प्लेटफॉर्म इंटीग्रेशन (फाइटर जेट, समुद्री प्लेटफॉर्म और लैंड-बेस्ड सिस्टम)
    • संभावित ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी
    • लागत और डिलीवरी टाइमलाइन

    जैसे पहलुओं पर जानकारी ली.

    खाड़ी के एक देश ने अपने राफेल फाइटर जेट स्क्वाड्रन के लिए एयर-लॉन्च्ड ब्रह्मोस में रुचि दिखाई है. इसके अलावा नौसैनिक संस्करण के लिए भी शुरुआती बातचीत हो रही है.
    दो एशियाई राष्ट्र विस्तारित रेंज वाले ब्रह्मोस संस्करण के लिए वार्ता कर रहे हैं. इंडोनेशिया के साथ बातचीत अंतिम चरण में पहुंच चुकी है.

    ब्रह्मोस: सबसे तेज सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल

    ब्रह्मोस मिसाइल अपनी श्रेणी में सुपरसोनिक गति (Mach 2.8–3) और अल्ट्रा-लो ऊँचाई पर उड़ान भरने की क्षमता के कारण दुनिया में अनोखी है. इसकी स्ट्राइक प्रिसिजन, इलेक्ट्रॉनिक जैमिंग से बचने की क्षमता और मल्टी-स्टेज गाइडेंस सिस्टम ने इसे एक “कंप्लीट बैटल-प्रूव्ड वेपन” बना दिया है.

    भारत बना रहा है नई पीढ़ी की ब्रह्मोस-NG

    ब्रह्मोस के बाद अब भारत नेक्स्ट जेनरेशन ब्रह्मोस-NG तैयार कर रहा है.

    नई मिसाइल—

    • मौजूदा मॉडल से हल्की होगी
    • गति और मैनुवरिंग और अधिक उन्नत होगी
    • तेजस जैसे हल्के लड़ाकू विमानों पर भी इंटीग्रेट हो सकेगी
    • जहाजों और पनडुब्बियों से लॉन्च होने वाले वैरिएंट भी विकसित किए जा रहे हैं

    पहली टेस्ट फ्लाइट 2026 में होने की उम्मीद है, जबकि mass production 2027 के अंत तक शुरू किया जा सकता है.

    ब्रह्मोस-NG को लेकर भी कई देशों ने रुचि दिखाई है. खाड़ी का एक प्रमुख देश अपने राफेल बेड़े के लिए एयर-लॉन्च्ड मिसाइल वर्ज़न में दिलचस्पी दिखा रहा है.

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