बांग्लादेश में होगा तख्तापलट, यूनुस को कुर्सी से उखाड़ फेंकेगी सेना? जानें क्या चल रहा

    शेख हसीना की सरकार को सत्ता छोड़े एक साल भी नहीं बीता है और बांग्लादेश एक बार फिर गहरी राजनीतिक उथल-पुथल के दौर में पहुंच गया है.

    coup in Bangladesh army remove Yunus
    यूनुस | Photo: ANI

    शेख हसीना की सरकार को सत्ता छोड़े एक साल भी नहीं बीता है और बांग्लादेश एक बार फिर गहरी राजनीतिक उथल-पुथल के दौर में पहुंच गया है. देश के अंतरिम प्रमुख मोहम्मद यूनुस के खिलाफ जनता का आक्रोश बढ़ता जा रहा है. राजनीतिक अस्थिरता, प्रशासनिक ढिलाई और सड़कों पर उमड़ते विरोध ने देश के हालात को नाजुक बना दिया है.

    हर वर्ग नाराज़, कानून व्यवस्था लड़खड़ाई

    छात्र संगठनों से लेकर व्यापारी समूहों तक और यहां तक कि पूर्व में यूनुस समर्थक रहे इस्लामी संगठन भी अब विरोध में उतर आए हैं. बांग्लादेश की सड़कों पर प्रदर्शन, हिंसा और अफरातफरी का माहौल है. पुलिस और प्रशासन स्थिति संभालने में विफल नजर आ रहे हैं. बलात्कार, डकैती और हिंसा की घटनाओं में लगातार इजाफा हो रहा है.

    राजनीतिक चाल या दबाव की रणनीति?

    हाल ही में मोहम्मद यूनुस ने अचानक मुख्य सलाहकार के पद से इस्तीफे की धमकी देकर देश में हड़कंप मचा दिया था. हालांकि बाद में उन्होंने यह फैसला वापस ले लिया, लेकिन इससे यह स्पष्ट हो गया कि सरकार भीतर से दबाव में है. विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम एक 'पोलिटिकल प्रेशर टैक्टिक' था, जिससे सत्ता के विभिन्न केंद्रों—विशेषकर सेना—पर दबाव बनाया जा सके.

    सेना बनाम सरकार

    बांग्लादेश की अंतरिम सरकार और सेना के बीच दरारें अब खुलकर सामने आ रही हैं. सेना प्रमुख जनरल वकार उज-जमान ने साफ कहा है कि दिसंबर 2025 से पहले आम चुनाव कराए जाएं. उन्होंने यह भी जाहिर किया कि यूनुस सरकार बिना सेना की सलाह के अहम निर्णय ले रही है, जिससे असहमति है.

    म्यांमार से सटे रखाइन क्षेत्र में प्रस्तावित 'मानवीय गलियारे' को लेकर भी सेना और सरकार आमने-सामने हैं. जहां यूनुस इसे मानवीय कदम बताते हुए आगे बढ़ाना चाहते हैं, वहीं सेना इसे देश की संप्रभुता पर खतरा मान रही है.

    चुनाव की तारीख बनी नई राजनीतिक लड़ाई

    यूनुस ने जून 2026 तक चुनाव कराने के लिए चुनावी सुधारों में तेजी लाने की बात कही है, लेकिन सेना, BNP और कई विपक्षी दल दिसंबर 2025 में ही चुनाव चाहते हैं. वहीं कट्टरपंथी गुट, जमात-ए-इस्लामी और नवगठित एनसीपी इस प्रक्रिया को टालने के पक्ष में हैं, जिससे विपक्षी BNP को सत्ता-विरोधी लहर का लाभ न मिल सके.

    लोकतंत्र को बड़ा झटका

    बांग्लादेश की सबसे पुरानी और प्रभावशाली पार्टी अवामी लीग पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. इसके अधिकांश नेता देश छोड़कर भाग गए हैं. इस प्रतिबंध ने चुनाव की निष्पक्षता और वैधता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. ऐसा माहौल बन रहा है जिसमें असंतुलन की स्थिति आगे और बढ़ सकती है.

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