इस्लामाबादः भारतीय सेना द्वारा चलाए जा रहे "ऑपरेशन सिंदूर" ने पाकिस्तान को जिस तरह से झटका दिया है, उससे अब उसकी रणनीतिक नब्ज हिल चुकी है. ताजा घटनाक्रम में पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार अचानक से चीन रवाना हो रहे हैं. डार वहां चीन के विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात करेंगे. इस यात्रा का उद्देश्य है – ऑपरेशन सिंदूर के दौरान चीनी हथियारों के फेल होने की जानकारी साझा करना और भारत के खिलाफ नई रणनीति पर चर्चा करना.
चीन-पाकिस्तान गठजोड़ में हलचल, लेकिन नतीजे नदारद
इस दौरे की टाइमिंग अपने आप में बहुत कुछ कहती है. एक ओर भारत ने ऑपरेशन सिंदूर को लेकर स्पष्ट कर दिया है कि यह अभियान अभी भी खत्म नहीं हुआ है, वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान जल्दबाज़ी में चीन के दरवाज़े पर पहुंचा है. पाकिस्तान यह जानता है कि अगर अब भी चीन का समर्थन मजबूत नहीं मिला, तो उसकी स्थिति और भी कमजोर हो जाएगी.
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान चीन ने पाकिस्तान की पीएल-15 मिसाइलों से लैस जे-10सी फाइटर जेट्स की मदद की पेशकश की थी, ताकि पाकिस्तान भारत के राफेल और सुखोई विमानों का मुकाबला कर सके. मगर, नतीजा वही रहा – पाकिस्तानी सेना एक बार फिर भारतीय हमलों को रोकने में नाकाम रही.
तालिबान से भी मिल रही है झटका, डार का मिशन दोहरा
इशाक डार का बीजिंग दौरा सिर्फ चीन से सहयोग मांगने तक सीमित नहीं है. दिलचस्प बात यह है कि तालिबान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी भी इस समय चीन में मौजूद हैं. माना जा रहा है कि चीन अब पाकिस्तान और तालिबान के रिश्तों को पटरी पर लाने में जुट गया है.
गौरतलब है कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान तालिबान ने भारत का समर्थन किया था, जो पाकिस्तान के लिए एक अप्रत्याशित झटका था. यही वजह है कि भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर और तालिबान के विदेश मंत्री के बीच बातचीत ने कई संकेत दिए हैं कि क्षेत्रीय समीकरण बदल रहे हैं.
पाकिस्तान को सहारा, तालिबान पर दबाव
चीन इस समय अफगानिस्तान में भारी निवेश कर रहा है और उसका उद्देश्य है – दक्षिण एशिया में अपने प्रभाव को मज़बूत करना. ऐसे में चीन नहीं चाहता कि पाकिस्तान और तालिबान के रिश्तों में तनाव बढ़े. यही वजह है कि वह अब कूटनीतिक स्तर पर मध्यस्थता की भूमिका निभाने की कोशिश कर रहा है.
चीन और पाकिस्तान की इस मुलाकात में CPEC (चीन-पाक आर्थिक गलियारा) के प्रोजेक्ट्स पर भी चर्चा होगी, जिसमें चीन ने अब तक करीब 60 अरब डॉलर का निवेश किया है. इसके साथ ही चीन पाकिस्तान को लगातार लोन और हथियार भी दे रहा है, लेकिन अब सवाल यह उठ रहा है कि इन संसाधनों के बावजूद पाकिस्तान को ऑपरेशन सिंदूर जैसे अभियानों में बार-बार हार क्यों झेलनी पड़ रही है.
ऑपरेशन सिंदूर खत्म नहीं हुआ
भारत ने बार-बार यह साफ किया है कि ऑपरेशन सिंदूर अब भी सक्रिय है और जब तक खतरे का सफाया नहीं हो जाता, तब तक यह जारी रहेगा. वहीं, पाकिस्तान को अब डर सता रहा है कि कहीं अफगानिस्तान की सीमा से भी कोई नया मोर्चा न खुल जाए.
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