पाकिस्तान को Z-10ME हेलीकॉप्टर देने पर चीनी सेना का खुलासा, हमेशा देगी दोस्तों का साथ, भारत को है खतरा?

    पाकिस्तान और चीन के बीच बढ़ता रक्षा सहयोग एक बार फिर चर्चा का विषय बना है.

    Chinese Army disclosed on giving Z-10ME helicopters to Pakistan
    प्रतिकात्मक तस्वीर/ X

    बीजिंग/इस्लामाबाद/नई दिल्ली: पाकिस्तान और चीन के बीच बढ़ता रक्षा सहयोग एक बार फिर चर्चा का विषय बना है. इस बार वजह है- Z-10ME अटैक हेलीकॉप्टर जिसे चीन ने पाकिस्तान को सौंपा है. यह वही हेलीकॉप्टर है, जिसे चीन ने अपने सबसे एडवांस अटैक हेलीकॉप्टर के रूप में प्रचारित किया है और अब इसका पहला विदेशी ऑपरेटर बना है पाकिस्तान.

    इस घटनाक्रम ने भारत की ओर से चिंताओं को जन्म दिया है, क्योंकि पाकिस्तान इन हेलीकॉप्टरों का इस्तेमाल भविष्य में भारत के खिलाफ किसी संभावित संघर्ष में कर सकता है. हालांकि, चीन ने इस पर सफाई देते हुए कहा है कि उसका रक्षा सहयोग ‘मित्र देशों’ के साथ साझा उपलब्धियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य किसी तीसरे पक्ष को नुकसान पहुंचाना नहीं है.

    Z-10ME की तैनाती: सैन्य ताकत को मिलेगा बढ़ावा

    पाकिस्तान की सेना में Z-10ME हेलीकॉप्टर को औपचारिक रूप से शामिल कर लिया गया है. इस कार्यक्रम में पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल असीम मुनीर खुद मौजूद रहे, जिससे इस सैन्य सौदे के महत्व का अंदाजा लगाया जा सकता है.

    Z-10ME, चीन के मूल Z-10 अटैक हेलीकॉप्टर का आधुनिक और अपग्रेडेड संस्करण है. इसे खासतौर से अत्याधुनिक तकनीक, युद्ध क्षमताओं और मौसमीय लचीलापन को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है. हेलीकॉप्टर को एविएशन इंडस्ट्री कॉरपोरेशन ऑफ चाइना (AVIC) ने विकसित किया है और पहली बार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फरवरी 2024 में सिंगापुर एयरशो में पेश किया गया था. पाकिस्तान तब से ही इस हेलीकॉप्टर को हासिल करने में रुचि दिखा रहा था.

    Z-10ME के फीचर्स जो इसे खास बनाते हैं

    Z-10ME सिर्फ एक सामान्य लड़ाकू हेलीकॉप्टर नहीं है, यह एक रणनीतिक हथियार प्रणाली है जिसे कई भूमिकाओं में इस्तेमाल किया जा सकता है. इसमें शामिल हैं:

    • एडवांस इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम जो इसे दुश्मन के रडार से बचने में सक्षम बनाते हैं.
    • टैंक-विरोधी मिसाइलों, हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों, और रॉकेट सिस्टम्स से लैस किया जा सकता है.
    • ऑल-वेदर ऑपरेशन कैपेबिलिटी यानी खराब मौसम में भी यह मिशन को अंजाम दे सकता है.
    • वर्टिकल टेक-ऑफ की क्षमता, जिससे यह हेलीकॉप्टर बिना रनवे के कहीं भी तैनात किया जा सकता है.

    चीन के रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि यह हेलीकॉप्टर स्थिर-पंख वाले लड़ाकू विमानों जैसे J-10CE की तुलना में ज्यादा लचीला है, क्योंकि इसकी तैनाती के लिए हवाई अड्डों की आवश्यकता नहीं होती.

    ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान की रणनीति

    Z-10ME की खरीदारी को पाकिस्तान की नई सैन्य रणनीति के हिस्से के रूप में देखा जा रहा है. खासकर ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद, जब पाकिस्तान को आतंक विरोधी अभियानों में भारी चुनौतियों का सामना करना पड़ा. इसके बाद से ही पाकिस्तान अपनी पारंपरिक युद्ध क्षमताओं को उन्नत करने में जुटा हुआ है.

    चीन का यह समर्थन पाकिस्तान के लिए न केवल सैन्य लाभ है, बल्कि यह उसकी भू-राजनीतिक रणनीति का भी हिस्सा है जिसमें वह भारत के साथ सैन्य संतुलन बनाए रखना चाहता है.

    भारत को कितनी चिंता होनी चाहिए?

    चीन और पाकिस्तान का सैन्य गठजोड़ भारत के लिए नया नहीं है. लेकिन Z-10ME जैसे अटैक हेलीकॉप्टर की तैनाती भारतीय रणनीतिक हलकों में नई चिंता पैदा कर रही है.

    हालांकि भारत के पास भी अपनी मजबूत लड़ाकू हेलीकॉप्टर ताकत है, जिसमें HAL रुद्र, Apache AH-64E, और भविष्य में आने वाले LCH प्रचंड जैसे स्वदेशी विकल्प शामिल हैं. लेकिन पाकिस्तान की ओर से Z-10ME जैसे आधुनिक हथियारों की तैनाती यह संकेत देती है कि वह भविष्य में सीमावर्ती क्षेत्रों में अधिक आक्रामक रणनीति अपनाने की ओर बढ़ सकता है.

    चीन की सफाई: भारत को नहीं है कोई खतरा?

    Z-10ME की तैनाती और भारत में उत्पन्न सुरक्षा आशंकाओं पर प्रतिक्रिया देते हुए चीनी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता जियांग बिन ने कहा, "चीन अपने रक्षा उपकरण विकास की उपलब्धियों को पाकिस्तान सहित मित्र देशों के साथ साझा करने को तैयार है. चीन-पाकिस्तान रक्षा सहयोग से किसी तीसरे पक्ष को नुकसान नहीं है."

    चीन के इस बयान में भले ही शांति और स्थिरता की बात की गई हो, लेकिन क्षेत्रीय भू-राजनीति की सच्चाई यह है कि हथियारों की ऐसी साझेदारी हमेशा सामरिक संतुलन को प्रभावित करती है. विशेषकर तब, जब सहयोग करने वाला देश चीन और प्राप्त करने वाला देश पाकिस्तान हो — भारत के दो ऐसे पड़ोसी जिनके साथ इसके संबंध बेहद संवेदनशील हैं.

    रणनीतिक संकेत या सिर्फ रक्षा सौदा?

    चीन और पाकिस्तान के बीच हुआ यह सौदा केवल एक सैन्य तकनीकी हस्तांतरण नहीं है, बल्कि एक स्ट्रैटेजिक सिग्नल भी है. यह उन देशों के लिए संकेत है जो दक्षिण एशिया में बढ़ते चीन-पाक गठजोड़ को लेकर पहले से ही सतर्क हैं.

    चीन का यह कदम सिर्फ पाकिस्तान की सैन्य क्षमताओं को बढ़ाने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भारत को एक परोक्ष संदेश भी है कि वह क्षेत्रीय सत्ता संतुलन में खुलकर हस्तक्षेप कर सकता है.

    जवाब देने की क्षमता रखता है भारत

    भारत की सैन्य ताकत किसी से कम नहीं है. जहां एक ओर देश स्वदेशी हथियार निर्माण और ‘आत्मनिर्भर भारत’ के तहत रक्षा उत्पादन को बढ़ावा दे रहा है, वहीं भारतीय सशस्त्र बलों के पास पहले से ही ऐसी तकनीक और ट्रेनिंग है जो किसी भी खतरे से निपटने में सक्षम हैं.

    भारतीय वायुसेना ने हाल के वर्षों में अमेरिकी Apache हेलीकॉप्टर, स्वदेशी LCH प्रचंड, और HAL रुद्र को शामिल कर अपनी युद्धक क्षमताओं को आधुनिक बनाया है. साथ ही, भारत की सामरिक नीति हमेशा से रक्षात्मक और स्थिरता को प्राथमिकता देने वाली रही है.