20 लाख सैनिक, 3300 फाइटर जेट, 700 युद्धपोत... चीनी सेना के 98 साल पूरे, PLA कैसे बनी सबसे ताकतवर फोर्स?

    चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) ने अपनी स्थापना के 98 वर्ष पूरे कर लिए हैं.

    Chinese army completes 98 years PLA becomes the most powerful force
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    बीजिंग: चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) ने अपनी स्थापना के 98 वर्ष पूरे कर लिए हैं. इस अवसर पर राजधानी बीजिंग के प्रतिष्ठित ग्रेट हॉल ऑफ द पीपल में आयोजित भव्य समारोह में चीनी रक्षा मंत्री डोंग जून ने देश की बढ़ती सैन्य ताकत पर विस्तार से बात की और PLA को शांति, सुरक्षा और वैश्विक स्थिरता का मजबूत स्तंभ बताया.

    हालांकि, यह "शांति" का संदेश जितना संतुलित प्रतीत होता है, उतनी ही गहराई से यह चीन के उस सैन्य विस्तारवाद को भी दर्शाता है, जिसने हाल के वर्षों में एशिया ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया की सैन्य संरचना को पुनर्परिभाषित कर दिया है. चीनी सेना अब सिर्फ एक रक्षात्मक बल नहीं, बल्कि एक वैश्विक सैन्य शक्ति बन चुकी है, जिसकी क्षमताएं हर मोर्चे पर तेज़ी से बढ़ रही हैं- थल, जल, वायु और अंतरिक्ष तक.

    PLA: 98 साल का सफर और वर्तमान स्वरूप

    1 अगस्त 1927 को स्थापित हुई पीपुल्स लिबरेशन आर्मी आज दुनिया की सबसे बड़ी सैन्य बलों में गिनी जाती है. चीन की सैन्य शक्ति न केवल उसकी रक्षा नीति का हिस्सा है, बल्कि इसकी विदेश नीति और रणनीतिक बढ़त का भी अहम आधार बन चुकी है. PLA के तहत तीन प्रमुख अंग आते हैं:

    • PLA ग्राउंड फोर्स (PLAGF)
    • PLA एयरफोर्स (PLAAF)
    • PLA नेवी (PLAN)

    साथ ही चीन ने रॉकेट फोर्स और स्ट्रैटजिक सपोर्ट फोर्स जैसी नई शाखाओं को शामिल करके अपनी सेनाओं को साइबर, स्पेस और एआई जैसे आधुनिक युद्ध क्षेत्रों में भी सक्षम बना लिया है.

    थलसेना: सबसे बड़ी और उन्नत सेना

    चीन की PLA ग्राउंड फोर्स के पास अनुमानित 20 से 22 लाख सक्रिय सैनिक हैं – यानी विश्व की सबसे बड़ी थल सेना. यह संख्या चीन को किसी भी पारंपरिक युद्ध में जबरदस्त ताकत देती है. साथ ही PLA ने पारंपरिक भारी डिवीजनों की जगह तेज़, लचीली और ब्रिगेड-आधारित संरचना को प्राथमिकता दी है जिससे सीमावर्ती संघर्षों में फुर्ती से कार्रवाई की जा सके.

    मुख्य विशेषताएं:

    • 6800 से अधिक टैंक, जिनमें 5440 सक्रिय हैं.
    • 2750 रॉकेट आर्टिलरी सिस्टम और 3490 से अधिक मोबाइल आर्टिलरी यूनिट.
    • स्वदेशी तकनीक आधारित आर्मर्ड गाड़ियाँ और ऑटोमेटेड वेपन सिस्टम.
    • युद्धक ड्रोन और AI-सक्षम यूनिट्स, जो भविष्य के युद्धों के लिए तैयारी दर्शाते हैं.

    चीन की थलसेना अब सिर्फ परंपरागत सैन्य शक्ति नहीं, बल्कि अत्याधुनिक, टेक्नोलॉजी-ड्रिवन और मल्टी-डोमेन युद्ध के लिए तैयार सैन्य बल बन चुकी है.

    वायुसेना: स्टील्थ से स्पेस तक विस्तार

    PLA की वायुसेना, जिसे PLAAF कहा जाता है, आज दुनिया की सबसे बड़ी वायु सेनाओं में शामिल है. इसके पास 3300 से अधिक सैन्य विमान हैं, जिनमें अत्याधुनिक लड़ाकू विमान, भारी ट्रांसपोर्टर, हेलीकॉप्टर और विशेष मिशन एयरक्राफ्ट शामिल हैं.

    विशेषताएं:

    • J-10, J-11, J-16 जैसे 4.5 जेनरेशन लड़ाकू विमान.
    • J-20 और J-35 जैसे फिफ्थ जेनरेशन स्टील्थ जेट, जो अमेरिका के F-22 और F-35 के समकक्ष माने जाते हैं.
    • 6वीं पीढ़ी के फाइटर J-36 पर विकास कार्य जारी.
    • अंतरिक्ष युद्ध, इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर, और AI-आधारित नेटवर्क-सेंट्रिक वारफेयर में लगातार निवेश.

    हालांकि, हिमालयी क्षेत्रों में सीमित तैनाती और दुर्गम भूगोल चीन के लिए कुछ बाधाएं जरूर हैं. लद्दाख और तिब्बत में भारत को अभी भी सामरिक बढ़त हासिल है, लेकिन चीन की वायु शक्ति में लगातार हो रहा निवेश भविष्य में समीकरण बदल सकता है.

    नौसेना: दुनिया की सबसे बड़ी नेवी

    PLA Navy (PLAN) आज दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना बन चुकी है – जहाजों की कुल संख्या के आधार पर उसने अमेरिका को भी पीछे छोड़ दिया है. PLAN को अब केवल क्षेत्रीय नहीं, बल्कि ब्लू वॉटर नेवी माना जाता है, जो दुनिया के किसी भी महासागर में ऑपरेट कर सकती है.

    मुख्य क्षमताएं:

    • 730 से अधिक युद्धपोत, जिनमें 3 एयरक्राफ्ट कैरियर, 61 पनडुब्बियां, दर्जनों डेस्ट्रॉयर और फ्रिगेट्स शामिल हैं.
    • 12 परमाणु पनडुब्बियों, जो चीनी न्यूक्लियर ट्रायड का हिस्सा हैं.
    • 6 एयरक्राफ्ट कैरियर का लक्ष्य, जिनमें से 3 ऑपरेशनल और एक निर्माणाधीन है.
    • दक्षिण चीन सागर, ताइवान जलडमरूमध्य और हिंद महासागर क्षेत्र में निरंतर बढ़ती उपस्थिति.

    यह स्पष्ट है कि PLAN अब केवल रक्षात्मक नेवी नहीं रही. उसकी रणनीति, अमेरिका और भारत जैसे प्रतिस्पर्धियों को सामुद्रिक क्षेत्रों में चुनौती देना है.

    सैन्य बजट और वैश्विक रैंकिंग

    चीन का रक्षा बजट 267 अरब डॉलर से अधिक है, कुछ रिपोर्ट्स इसे 314 अरब डॉलर तक मानती हैं. यह दुनिया में अमेरिका के बाद सबसे अधिक है. ग्लोबल फायरपावर इंडेक्स 2025 के अनुसार, चीन की सेना अब दुनिया में तीसरे स्थान पर है, हालांकि कुछ रक्षा विशेषज्ञ इसे रूस से आगे और केवल अमेरिका के बाद दूसरी सबसे बड़ी सैन्य शक्ति मानते हैं.

    भारत इस इंडेक्स में चौथे स्थान पर है, और दोनों एशियाई महाशक्तियों के बीच सैन्य तुलना अक्सर रणनीतिक विश्लेषणों का विषय बनी रहती है.

    ताइवान और Indo-Pacific: चीन की प्राथमिकता

    PLA का तेज़ी से विस्तार केवल आंकड़ों का खेल नहीं, इसके पीछे एक स्पष्ट भू-राजनीतिक एजेंडा है. ताइवान, दक्षिण चीन सागर, और हिंद-प्रशांत क्षेत्र चीन की रणनीतिक प्राथमिकताएं हैं.

    रक्षा मंत्री डोंग जून ने एक बार फिर ताइवान के पुनः एकीकरण की बात दोहराते हुए “कुचलने” जैसे शब्दों का उपयोग किया, जिससे स्पष्ट होता है कि चीन इस दिशा में सैन्य विकल्प खुले रखे हुए है.

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