नई दिल्ली: दुनिया अब एक ऐसे मोड़ पर खड़ी है जहाँ परमाणु हथियार केवल सैन्य शक्ति के प्रतीक नहीं, बल्कि वैश्विक अस्थिरता का संभावित कारण बनते जा रहे हैं. स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) की ताज़ा 2025 रिपोर्ट दुनिया को यह स्पष्ट संकेत देती है कि एक नया और अधिक अस्थिर परमाणु युग दस्तक दे चुका है — जिसका केंद्र एशिया बनता जा रहा है.
चीन का परमाणु जखीरा: रणनीति में भी बदलाव
SIPRI की रिपोर्ट के अनुसार, चीन ने केवल 12 महीनों में अपने परमाणु हथियारों की संख्या 100 बढ़ाकर 600 कर दी है. यह वृद्धि केवल मात्रात्मक नहीं, बल्कि गुणात्मक रूप से भी खतरनाक है. रिपोर्ट यह संकेत देती है कि चीन अब पारंपरिक 'नो फर्स्ट यूज़' नीति से हटकर 'लॉन्च ऑन वॉर्निंग' जैसी आक्रामक रणनीति की ओर बढ़ रहा है, जिसमें दुश्मन का हमला होते ही त्वरित प्रतिकार किया जा सकता है, भले ही हमला पूरी तरह से निष्पादित न हुआ हो.
इस बदलाव के पीछे चीन की नई तकनीकी क्षमताएँ भी हैं. वह अब MIRV (Multiple Independently Targetable Re-entry Vehicle) जैसी अत्याधुनिक तकनीकों में निवेश कर रहा है, जिससे एक ही मिसाइल कई लक्ष्यों को निशाना बना सकती है. इससे भारत समेत अन्य पड़ोसी देशों की सुरक्षा चिंताओं में भारी इजाफा हुआ है.
भारत की जवाबी तैयारी:
भारत भी इस खतरनाक दौड़ से अछूता नहीं है. रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत ने भी अपने परमाणु हथियारों की संख्या 172 से बढ़ाकर 180 कर ली है और अपनी स्ट्रैटेजिक फोर्सेज कमांड को तकनीकी रूप से अधिक सक्षम बनाने की दिशा में कई कदम उठाए हैं.
भारत की अग्नि-5 मिसाइल, जिसमें अब MIRV प्रणाली का परीक्षण किया गया है, उसकी प्रिसाइज स्ट्राइक क्षमता को कई गुना बढ़ा देती है. वहीं, कैनिस्टर-बेस्ड लॉन्च सिस्टम से यह हथियार शांति के समय में भी तैयार रहते हैं. समुद्री क्षेत्र में भारत के पास अब दो SSBN पनडुब्बियाँ (INS अरिहंत और अरिघात) हैं, और तीसरी (INS अरिदमन) जल्द ही बेड़े में शामिल होने जा रही है. यह भारत को परमाणु त्रिकोण (लैंड, सी और एयर) के जरिए पूर्ण प्रतिरोधी रणनीति प्रदान करता है.
पाकिस्तान: सेना का बढ़ता हस्तक्षेप
पाकिस्तान का नाम इस दौड़ में लगातार सामने आ रहा है. SIPRI की रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान न केवल अपने परमाणु हथियारों की संख्या और तकनीक को बढ़ा रहा है, बल्कि अब समुद्री परमाणु क्षमताओं को भी विकसित कर रहा है, विशेष रूप से बाबर-3 क्रूज़ मिसाइल प्रणाली के जरिए.
हालांकि, सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि पाकिस्तान की राजनीतिक व्यवस्था में सेना का बढ़ता हस्तक्षेप इस पूरे क्षेत्र को अस्थिर बना सकता है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा पाक सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर को व्हाइट हाउस में आमंत्रित करना यह दर्शाता है कि पाकिस्तान में असल निर्णय सत्ता अब राजनीतिक नहीं, सैन्य नेतृत्व के हाथ में है.
परमाणु युद्ध की कगार पर दुनिया?
SIPRI रिपोर्ट में भारत और पाकिस्तान के बीच मई 2025 में हुए सैन्य संघर्ष को विशेष रूप से गंभीर बताया गया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय वायुसेना द्वारा सरगोधा और नूर खान एयरबेस पर की गई कार्रवाई परमाणु टकराव के जोखिम को भड़का सकती थी, क्योंकि ये ठिकाने पाकिस्तान के मुख्य परमाणु इन्फ्रास्ट्रक्चर के नज़दीक हैं.
एक शोधकर्ता ने चेतावनी दी, "इस तरह की सैन्य कार्रवाई और गलतफहमी मिलकर किसी सामान्य संघर्ष को पूर्ण परमाणु युद्ध में तब्दील कर सकती हैं."
परमाणु हथियार: सुरक्षा या भ्रम?
SIPRI का निष्कर्ष बेहद स्पष्ट है, "परमाणु हथियार अपने आप में सुरक्षा की गारंटी नहीं देते. उनकी मौजूदगी के साथ राजनीतिक संयम, पारदर्शिता और भरोसेमंद संवाद आवश्यक हैं."
दुर्भाग्यवश, मौजूदा वैश्विक परिदृश्य में यह संयम और संवाद लगातार कमजोर हो रहे हैं.
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