ट्रंप के 'मार' से चीन की अक्ल आई ठिकाने, भारत के सामने घुटनों पर आया ड्रैगन; सभी शर्तें मानने को तैयार

    चीन की प्रमुख कंपनियों जैसे शंघाई हाइली और हायर ने भारत में निवेश के लिए सरकार की शर्तें मान ली हैं. इनमें सबसे अहम शर्त यह है कि चीनी कंपनियां ज्वाइंट वेंचर्स में अल्पमत हिस्सेदारी बनाए रखें.

    China Trump India ready to accept all conditions
    मोदी-जिनपिंग | Photo: ANI

    बीजिंगः बहुत समय से पूरी दुनिया सोच रही थी कि अमेरिका और उनके राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप चीन को घुटनों पर ला देंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. अब चीन को घुटने टेकने पर भारत ने मजबूर किया है. दरअसल, भारत ने टैरिफ वॉर का फायदा उठाते हुए चीनी कंपनियों को भारत में निवेश करने के लिए उन शर्तों को मानने के लिए राजी किया, जिन्हें वे पहले स्वीकार नहीं करना चाहते थे.

    चीन की प्रमुख कंपनियों जैसे शंघाई हाइली और हायर ने भारत में निवेश के लिए सरकार की शर्तें मान ली हैं. इनमें सबसे अहम शर्त यह है कि चीनी कंपनियां ज्वाइंट वेंचर्स में अल्पमत हिस्सेदारी बनाए रखें. पहले ये कंपनियां ऐसा नहीं चाहती थीं, लेकिन अमेरिका के बढ़ते टैरिफ के चलते अब उन्हें ऐसा करने के लिए मजबूर किया गया है.

    भारत में निवेश करने के लिए राजी हुईं चीनी कंपनियां

    मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, शंघाई हाइली ग्रुप और हायर जैसी कंपनियां अब भारत में अपने कारोबार का विस्तार करने के लिए तैयार हो गई हैं, और इसके लिए वे भारतीय नियमों और शर्तों को मानने को तैयार हैं. शंघाई हाइली अब टाटा ग्रुप की वोल्टास के साथ ज्वाइंट वेंचर के लिए बातचीत कर रही है और वह माइनोरिटी स्टेक (अल्पमत हिस्सेदारी) रखने के लिए सहमत हो गई है.

    पीएलआई स्कीम का भी फायदा

    हायर, जो भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स बाजार में तीसरे स्थान पर है, ने भी अपने भारतीय ऑपरेशंस में मेजरिटी स्टेक (अधिकांश हिस्सेदारी) बेचने पर सहमति जताई है. यह बदलाव भारत सरकार की उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन योजना (PLI स्कीम) की वजह से आया है, जो चीनी कंपनियों को भारत में उत्पादन बढ़ाने के लिए आकर्षित कर रही है.

    अमेरिका के टैरिफ से प्रभावित चीन

    अमेरिका के बढ़ते टैरिफ ने चीन के उत्पादों को महंगा कर दिया है, और यही कारण है कि चीनी कंपनियां अब भारत में अपनी मौजूदगी बनाए रखना चाहती हैं. वे भारतीय सरकार की शर्तों को मानने के लिए तैयार हो गई हैं, ताकि उनका कारोबार प्रभावित न हो. भारत में निवेश के लिए उन्हें जो शर्तें दी जा रही हैं, उनमें ज्वाइंट वेंचर में माइनोरिटी स्टेक रखना, भारतीय कंपनियों के साथ तकनीकी गठबंधन करना, और नए प्रोडक्शन लाइन्स लगाना शामिल हैं.

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