'वे नहीं चुन सकते उत्तराधिकारी...' दलाई लामा पर भड़के भारत में चीनी राजदूत, क्या है पुनर्जन्म नियम?

    तिब्बती बौद्ध धर्म के आध्यात्मिक नेता दलाई लामा के उत्तराधिकारी को लेकर एक बार फिर चीन और तिब्बती समुदाय के बीच तनातनी बढ़ गई है.

    Chinese ambassador said- Dalai Lama cannot choose successor
    प्रतीकात्मक तस्वीर/Photo- ANI

    नई दिल्ली/धर्मशाला: तिब्बती बौद्ध धर्म के आध्यात्मिक नेता दलाई लामा के उत्तराधिकारी को लेकर एक बार फिर चीन और तिब्बती समुदाय के बीच तनातनी बढ़ गई है. ताजा विवाद तब शुरू हुआ जब भारत में चीन के राजदूत शू फेइहोंग ने दलाई लामा के पुनर्जन्म को लेकर दिए गए बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी और दावा किया कि उत्तराधिकारी चुनने का अधिकार सिर्फ दलाई लामा को नहीं, बल्कि यह निर्णय पारंपरिक और कानूनी प्रक्रियाओं के तहत होना चाहिए.

    वहीं दूसरी ओर, दलाई लामा ने स्पष्ट कर दिया है कि उनकी मृत्यु के बाद उनके उत्तराधिकारी की पहचान तिब्बती बौद्ध परंपराओं के अनुसार होगी, जिसमें किसी भी बाहरी हस्तक्षेप, खासकर चीन की सरकार की भूमिका को पूरी तरह से खारिज कर दिया गया है.

    राजदूत: "परंपरा को बदलने का अधिकार नहीं"

    चीन के भारत में राजदूत शू फेइहोंग ने सोशल मीडिया मंच X पर बयान जारी करते हुए कहा कि दलाई लामा के पुनर्जन्म की परंपरा कोई नई नहीं है, बल्कि यह 700 साल पुरानी धार्मिक प्रक्रिया है.

    उन्होंने लिखा, "14वें दलाई लामा इस ऐतिहासिक परंपरा का हिस्सा हैं. पुनर्जन्म की परंपरा उनके साथ शुरू नहीं हुई थी और न ही यह उनके साथ खत्म होगी. इसका निर्णय अकेले वे नहीं ले सकते."

    चीन की इस प्रतिक्रिया को तिब्बती समुदाय और धार्मिक स्वतंत्रता से जुड़े संगठनों ने सीधा हस्तक्षेप और राजनीतिक दबाव बताया है.

    फैसला बौद्ध परंपराओं से होगा- दलाई लामा

    दलाई लामा ने यह बयान धर्मशाला में चल रहे तीन दिवसीय 15वें तिब्बती धार्मिक सम्मेलन के दौरान दिया. उन्होंने जोर देकर कहा कि उनके उत्तराधिकारी का चयन तिब्बती बौद्ध धार्मिक गुरुओं और परंपराओं के अनुसार ही होगा, और यह निर्णय पूरी तरह आध्यात्मिक प्रक्रिया होगी, राजनीतिक नहीं.

    उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि चीन या कोई भी सरकार इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकती. दलाई लामा ने यह जिम्मेदारी 'गादेन फोडंग ट्रस्ट' को सौंपी है, जिसकी स्थापना 2015 में की गई थी.

    भारत की प्रतिक्रिया: "धार्मिक मामलों पर टिप्पणी नहीं"

    इस मुद्दे पर भारत सरकार ने सतर्क रुख अपनाया है. विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा, "भारत सरकार धार्मिक विश्वासों और परंपराओं से जुड़े मामलों में टिप्पणी नहीं करती और आगे भी यही नीति अपनाई जाएगी."

    हालांकि, इस मुद्दे पर केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने 3 जुलाई को खुलकर दलाई लामा का समर्थन किया और कहा कि, "दलाई लामा को अपने उत्तराधिकारी चुनने का पूरा अधिकार है."

    चीन ने इस बयान पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि भारत को तिब्बत से जुड़े संवेदनशील मुद्दों पर सतर्क रहना चाहिए.

    उत्तराधिकारी का चुनाव चीन की अनुमति से ही होगा

    बीजिंग का कहना है कि दलाई लामा की उत्तराधिकार प्रक्रिया को चीनी कानून, धार्मिक रीति-रिवाजों, और ऐतिहासिक परंपराओं, खासकर गोल्डन अर्न प्रणाली के तहत पूरा किया जाना चाहिए. चीन की विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने दावा किया कि, "1793 में किंग राजवंश के समय से ही उत्तराधिकारी की पहचान की अंतिम मंजूरी चीन को मिलती रही है. इसी के तहत दलाई लामा का चयन होता है."

    हालांकि, तिब्बती समुदाय ने इस दावे को सिरे से खारिज कर दिया है.

    "गोल्डन अर्न प्रणाली प्रासंगिक नहीं": दलाई लामा

    दलाई लामा ने कहा कि गोल्डन अर्न प्रक्रिया केवल 11वें और 12वें दलाई लामा के चयन में उपयोग हुई थी. न तो 9वें, न 13वें और न ही उनके (14वें) चयन में इसका उपयोग हुआ.

    उनका कहना है कि "उत्तराधिकारी की पहचान एक गहन धार्मिक प्रक्रिया है, न कि कोई राजनीतिक निर्णय. यह प्रक्रिया किसी भी राज्य सत्ता के नियंत्रण से बाहर होनी चाहिए."

    "चीन राजनीतिक इस्तेमाल करना चाहता है": CTA

    सेंट्रल तिब्बतियन एडमिनिस्ट्रेशन (CTA) के प्रमुख पेन्पा शेरिंग ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि चीन दलाई लामा की परंपरा को एक राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल करने की कोशिश कर रहा है.

    उनके अनुसार, "चीनी सरकार तिब्बती पहचान, संस्कृति, भाषा और धर्म को मिटाने की कोशिश कर रही है. उत्तराधिकारी को नियंत्रित करना इसी एजेंडे का हिस्सा है."

    "मैं 130 साल तक जीवित रहूंगा": दलाई लामा

    धर्मशाला में आयोजित एक दीर्घायु प्रार्थना सभा में दलाई लामा ने कहा कि वे 130 वर्ष तक जीवित रहने की आशा रखते हैं. उन्होंने कहा कि, "प्रभु की कृपा से मुझे उम्मीद है कि मैं 30 से 40 साल और जीवित रहूंगा और बौद्ध धर्म और जीवों की सेवा करता रहूंगा."

    इस बयान के बाद उनके उत्तराधिकारी को लेकर चल रही अटकलों पर कुछ हद तक विराम लगा है.

    दलाई लामा पहले भी कह चुके हैं कि जब वे 90 साल के करीब होंगे, तब वे अपने पुनर्जन्म और उत्तराधिकारी को लेकर अंतिम निर्णय लेंगे.

    किताब में उल्लेख: "पुनर्जन्म स्वतंत्र दुनिया में होगा"

    मार्च 2025 में प्रकाशित अपनी किताब "Voice for the Voiceless" में दलाई लामा ने लिखा है कि उनका पुनर्जन्म चीन के बाहर, एक स्वतंत्र दुनिया में होगा जहां तिब्बती बौद्ध धर्म की स्वतंत्रता और गरिमा बनी रहे.

    उन्होंने यह भी लिखा कि उनका उत्तराधिकारी तिब्बती लोगों की आकांक्षाओं और धर्म की सेवा के लिए काम करेगा, न कि किसी राजनीतिक एजेंडे के तहत.

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