दक्षिण एशिया में सामरिक संतुलन एक बार फिर बदलाव के दौर में है. पाकिस्तान और चीन के बीच गहराते रक्षा संबंधों के चलते अब एक और बड़ा घटनाक्रम सामने आया है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तान जल्द ही चीन से अत्याधुनिक स्टील्थ फाइटर जेट J-35A की पहली खेप प्राप्त कर सकता है. यह विमान पांचवीं पीढ़ी की तकनीक पर आधारित है और इसे अमेरिका के F-35 के मुकाबले खड़ा करने की कोशिश की जा रही है.
इस बीच, हाल ही में सामने आई कुछ सैटेलाइट और ग्राउंड तस्वीरों ने रक्षा विशेषज्ञों के बीच खलबली मचा दी है. इन तस्वीरों में देखा गया है कि चीन ने अपने प्रमुख फाइटर जेट J-20 को एक नई और घातक मिसाइल – PL-21 – के साथ एकीकृत कर दिया है. यह मिसाइल चीन की अगली पीढ़ी की वेरी लॉन्ग रेंज एयर-टू-एयर मिसाइल (VLRAAM) मानी जा रही है, जो मौजूदा PL-15 से भी अधिक घातक है.
PL-21: हाइपरसोनिक शक्ति के साथ दुश्मन पर दूर से वार
PL-21 को लेकर जो दावे किए जा रहे हैं, वे इसे बेहद उन्नत और खतरनाक हथियार के रूप में दर्शाते हैं. इसकी रेंज 300 से 400 किलोमीटर तक बताई जा रही है और इसकी स्पीड मैक 4 के करीब हो सकती है, यानी ये आवाज की गति से चार गुना तेज उड़ती है. इसे विशेष रूप से ऐसे लक्ष्यों के लिए डिज़ाइन किया गया है जो रणनीतिक दृष्टिकोण से अहम होते हैं, जैसे कि AWACS, एरियल टैंकर, और कमांड एंड कंट्रोल एयरक्राफ्ट.
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर इस मिसाइल को पाकिस्तान को मिलने वाले J-35A जैसे स्टील्थ फाइटर के साथ तैनात किया जाता है, तो यह भारत के लिए एक नई सुरक्षा चुनौती खड़ी कर सकता है. पाकिस्तान पहले ही चीन से मिले J-10C फाइटर जेट्स को PL-15 जैसी एडवांस्ड मिसाइलों से लैस कर चुका है, इसलिए J-35A के साथ PL-21 का आना एक स्वाभाविक अगला कदम माना जा रहा है.
भारत के लिए रणनीतिक सबक
जहां पाकिस्तान चीन की उन्नत तकनीक को अपनाकर अपनी वायु शक्ति को और मजबूत कर रहा है, वहीं भारत के पास अभी तक कोई ऐसा VLRAAM सिस्टम नहीं है जो PL-21 की टक्कर में हो. भारतीय वायुसेना के मौजूदा प्लेटफॉर्म, जैसे Su-30MKI, को लक्ष्य भेदने के लिए शत्रु क्षेत्र के ज्यादा करीब जाना पड़ता है – जो कि स्टील्थ और लॉन्ग रेंज मिसाइलों के युग में एक बड़ा जोखिम बन सकता है.
भारत ने हालांकि अपने VLRAAM प्रोजेक्ट्स – जैसे कि Astra Mk-3 और SFDR (Solid Fuel Ducted Ramjet) – पर काम शुरू कर दिया है, लेकिन उन्हें जल्दी पूरा करना अब रणनीतिक जरूरत बन चुका है. यदि चीन और पाकिस्तान का यह हाईटेक कॉम्बिनेशन इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में पूर्ण रूप से तैनात हो जाता है, तो इससे पूरे क्षेत्रीय पावर बैलेंस में बदलाव आ सकता है.
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