म्यांमार को मोहरा बनाकर भारत के खिलाफ साजिश रच रहा चीन! मिजोरम-मणिपुर सीमा पर फैला दहशत, जानें प्लान

    म्यांमार के चिन राज्य में जातीय सशस्त्र समूहों CNDF (चिन नेशनल डिफेंस फोर्स) और CDF (चिन डिफेंस फोर्स) के बीच चल रहा टकराव अब सीमा पार प्रभाव दिखाने लगा है, और भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के लिए चिंता का विषय बन गया है.

    China is plotting against India by using Myanmar as a pawn
    प्रतीकात्मक तस्वीर/Photo- Internet

    नई दिल्ली: भारत के पूर्वोत्तर राज्यों मिजोरम और मणिपुर से सटी म्यांमार सीमा पर हाल के दिनों में अशांति बढ़ती जा रही है. म्यांमार के चिन राज्य में जातीय सशस्त्र समूहों CNDF (चिन नेशनल डिफेंस फोर्स) और CDF (चिन डिफेंस फोर्स) के बीच चल रहा टकराव अब सीमा पार प्रभाव दिखाने लगा है, और भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के लिए चिंता का विषय बन गया है.

    विशेषज्ञों का मानना है कि यह स्थिति केवल क्षेत्रीय संघर्ष नहीं है, बल्कि इसके पीछे भूराजनीतिक रणनीति भी कार्य कर रही है, जिसमें चीन की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं.

    चीन की संलिप्तता के संकेत

    भारतीय खुफिया एजेंसियों को मिली जानकारी के अनुसार, CNDF द्वारा इस्तेमाल किए गए कुछ हथियारों की उत्पत्ति चीन में हुई है. इसके अतिरिक्त, CNDF के कुछ वरिष्ठ नेताओं के चीन के युन्नान प्रांत में प्रशिक्षण प्राप्त करने की भी सूचना मिली है. इस तरह की गतिविधियों से यह संकेत मिलता है कि चीन म्यांमार के विद्रोही समूहों को सहायता और दिशा दे सकता है, जिससे भारत की सीमाओं पर अस्थिरता फैलाई जा सके.

    भारत की सीमाओं पर मानवीय संकट

    2 जुलाई को म्यांमार की सीमा से लगे मिजोरम के खावथलिर गांव में CNDF ने अवैध चेकपॉइंट बनाकर नागरिकों से पूछताछ और वसूली की. जवाब में CDF द्वारा हथियारबंद प्रतिक्रिया के चलते सीमावर्ती क्षेत्र में भय और अस्थिरता फैल गई. इसके चलते अब तक 245 नए शरणार्थी मिजोरम में प्रवेश कर चुके हैं, जिससे कुल संख्या 35,000 से अधिक हो गई है.

    ये घटनाएं मिजोरम और मणिपुर जैसे राज्यों के लिए न केवल सामाजिक और प्रशासनिक दबाव बढ़ा रही हैं, बल्कि इससे राजनीतिक और सामुदायिक तनाव भी गहराता दिख रहा है. यह स्थिति भारत की आंतरिक सुरक्षा नीति के लिए एक जटिल चुनौती बन गई है.

    हथियारों और तस्करी का नेटवर्क

    सीमा पार से हथियारों और मादक पदार्थों की तस्करी की खबरें भी चिंताजनक हैं. मिजोरम के लॉन्गतलाई और चंपाई जिलों से अवैध गतिविधियों की जानकारी सामने आई है, जिनका उपयोग न केवल म्यांमार के विद्रोही कर रहे हैं, बल्कि इन्हीं मार्गों से पाकिस्तान समर्थित तस्करी प्रयास भी पूर्व में देखे गए हैं.

    सामाजिक समरसता पर प्रभाव

    पूर्वोत्तर भारत के विभिन्न समुदायों — जैसे मणिपुर के मैतई और मिजोरम के कुकी-जो — के बीच बढ़ता जातीय अविश्वास भी इस संघर्ष से प्रभावित हो रहा है. 2023 में मिजोरम से सैकड़ों मैतई नागरिकों का पलायन हुआ था, और अब फिर से समुदायों के बीच तनाव उभरने लगा है.

    राजनीतिक और रणनीतिक विश्लेषक इसे चीन की एक दीर्घकालिक रणनीति — जिसे कुछ लोग "Divide India" नीति कहते हैं — के रूप में देख रहे हैं, जहां सामाजिक ताने-बाने को प्रभावित कर भारत को आंतरिक रूप से कमजोर करने का प्रयास हो सकता है.

    CNDF बनाम CDF: चिन एकता पर संकट

    आइजोल स्थित सूत्रों के अनुसार, CNDF और CDF के बीच एक समय जो सामंजस्य था, वह अब समाप्त हो चुका है. CNDF ने फालाम-रिखावदार कॉरिडोर को अपने नियंत्रण में लेने की कोशिशें तेज की हैं — यह वही मार्ग है जो म्यांमार के चिन राज्य को भारत के साथ जोड़ता है और लॉजिस्टिक सप्लाई लाइन का मुख्य माध्यम है.

    CNDF की सैन्य रणनीति — जैसे ड्रोन हमलों और मार्ग अवरोधन — से यह संकेत मिलता है कि यह अभियान केवल स्थानीय विद्रोह नहीं, बल्कि पूर्वनियोजित रणनीतिक हस्तक्षेप का हिस्सा हो सकता है.