अंतरराष्ट्रीय मंच पर चीन ने हाल ही में सैन्य सहयोग की अपनी भूमिका और स्पष्ट कर दी है. जहां एक ओर वह ईरान की मिसाइल क्षमताओं को फिर से मजबूत करने में जुटा है, वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान की नौसेना को आधुनिक पनडुब्बियों के जरिए ताकत प्रदान कर रहा है. इस कदम से भारत और इज़राइल समेत कई देशों के लिए रणनीतिक चिंता बढ़ गई है.
इज़रायल के अखबार येदिओथ अहरोनोथ ने खुफिया रिपोर्टों का हवाला देते हुए बताया है कि चीन और ईरान के बीच सैन्य सहयोग तेजी से बढ़ रहा है. रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन ईरान को सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइलें बनाने में मदद कर रहा है. यह सहयोग ऐसे समय में हो रहा है जब जून में ईरान और इज़राइल के बीच 12 दिन का भीषण संघर्ष हुआ, जिसमें ईरान की मिसाइल क्षमता काफी हद तक प्रभावित हुई थी.
ईरान की मिसाइल क्षमताओं को बढ़ावा
इज़रायल को सबसे ज्यादा डर इस बात का है कि चीन की मदद से ईरान अपनी मिसाइल क्षमता को दोबारा स्थापित कर सकता है. हालांकि चीन ने हथियार सप्लाई करने की आधिकारिक पुष्टि नहीं की है, लेकिन उसके हालिया कदम यही संकेत देते हैं कि वह ईरान की सैन्य ताकत को फिर से खड़ा कर रहा है. अमेरिका में इज़रायल के राजदूत येखियल लाइटर ने जुलाई में कहा था कि चीन की यह भूमिका बेहद ‘चिंताजनक’ है. उनका कहना था कि अगर मिसाइल निर्माण सामग्री ईरान तक पहुंची, तो यह सीधे इज़रायल की सुरक्षा के लिए खतरा होगी.
पाकिस्तान की नौसैनिक ताकत में इजाफा
सिर्फ ईरान ही नहीं, चीन पाकिस्तान को भी हथियारों और सैन्य उपकरणों की सप्लाई कर रहा है. हाल ही में पाकिस्तान को आठ एडवांस्ड हैंगोर-क्लास पनडुब्बियों में से तीसरी डिलीवर की गई. इस पनडुब्बी की लॉन्सिंग सेरेमनी चीन के हुबेई प्रांत, वुहान शहर में हुई. इससे पहले मार्च में पाकिस्तान को दूसरी पनडुब्बी सौंपी गई थी.
इस कदम से पाकिस्तान की नौसैनिक ताकत में काफी वृद्धि हुई है. यह मदद ऐसे समय में मिली है जब भारतीय सेना ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान को गंभीर नुकसान पहुँचाया था. इसके बाद पाकिस्तान के चीनी सैन्य अधिकारियों की यात्रा ने भी दोनों देशों के बीच संबंधों को और मजबूती दी.
इस समय की रणनीतिक अहमियत
चीन का यह सैन्य समर्थन दो कारणों से खास है:
भारत-पाकिस्तान तनाव: भारत ने हाल ही में पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर किया था. ऐसे समय में पाकिस्तान की पनडुब्बियों में इजाफा सीधे भारतीय सुरक्षा पर प्रभाव डाल सकता है. ईरान-चीन सहयोग: ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने हाल ही में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में भाग लेने बीजिंग का दौरा किया. इसी दौरान कई रिपोर्टों में दावा किया गया कि ईरान ने तेल के बदले चीन से सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें खरीदी हैं. इस पूरी तस्वीर से साफ है कि चीन अब न केवल पाकिस्तान बल्कि ईरान को भी मजबूत करके एशिया में अपनी सैन्य पकड़ बढ़ाने में लगा है. ऐसे में भारत और उसके रणनीतिक सहयोगियों के लिए सतर्क रहना और सुरक्षा तैयारी को और मजबूत करना अनिवार्य हो गया है.
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